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कालिका स्तोत्रम्  Kalika Stotram भक्त की सभी कामना सिद्ध करता हैं

कालिका स्तोत्रम्  Kalika Stotram 

कालिका स्तोत्रम् इसके पाठ से माता के चरणों में प्रीति बढ़ती है और माता अपने भक्त की सभी कामना सिद्ध करती है। 

कालिकास्तोत्रम् 

श्रीगणेशाय नमः ॥

दधन्नैरन्तर्यादपि मलिनचर्यां सपदि यत्

सपर्यां पश्यन्सन् विशतु सुरपुर्यां नरपशुः ।

भटान्वर्यान् वीर्यासमहरदसूर्यान् समिति या

जगद्धुर्या काली मम मनसि कुर्यान्निवसतिम् ॥ १॥

लसन्नासामुक्ता निजचरणभक्तावनविधौ

समुद्युक्ता रक्ताम्बुरुहदृगलक्ताधरपुटा ।

अपि व्यक्ताऽव्यक्तायमनियमसक्ताशयशया

जगद्धुर्या काली मम मनसि कुर्यान्निवसतिम् ॥ २॥

रणत्सन्मञ्जीरा खलदमनधीराऽतिरुचिर-

स्फुरद्विद्युच्चीरा सुजनझषनीरायिततनुः ।

विराजत्कोटीरा विमलतरहीरा भरणभृत्

जगद्धुर्या काली मम०॥ ३॥

वसाना कौशेयं कमलनयना चन्द्रवदना

दधाना कारुण्यं विपुलजघना कुन्दरदना ।

पुनाना पापाद्या सपदि विधुनाना भवभयं

जगद्धुर्या काली मम०॥ ४॥

रधूत्तंसप्रेक्षारणरणिकया मेरुशिखरात्

समागाद्या रागाज्झटिति यमुनागाधिपमसौ ।

नगादीशप्रेष्ठा नगपतिसुता निर्जरनुता

जगद्धुर्या काली मम मनसि-॥ ५॥

विलसन्नवरत्नमालिका कुटिलश्यामलकुन्तलालिका ।

नवकुङ्कुमभव्यभालिकाऽवतु सा मां सुखकृद्धि कालिका ॥ ६॥

यमुनाचलद्दमुना दुःखदवस्य देहिनाम् ।

अमुना यदि वीक्षिता सकृच्छमु नानाविधमातनोत्यहो ॥ ७॥

अनुभूति सतीप्राणपरित्राणपरायणा ।

देवैः कृतसपर्या सा काली कुर्याच्छुभानि नः ॥ ८॥

य इदं कालिकास्तोत्रं पठेत्तु प्रयतः शुचिः ।

देवीसायुज्यभुक् चेह सर्वान्कामानवाप्नुयात् ॥ ९॥

इति कालिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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