नवरत्न की जड़े धारण करने की सम्पूर्ण विधि 

प्राचीन काल से नवग्रह की अनुकूलता के लिये रत्न पहनने का प्रचलन रहा है। सम्पन्न लोग महंगे से महंगे रत्न धारण कर लेते है। लेकिन इन रत्नों का संबंध ग्रह के शुभाशुभ प्रभाव को बढ़ाने के कारण इनकी माँग और भी ज्यादा बढ़ गई है। परन्तु सभी व्यक्ति इतने सक्षम नहीं होते कि वे ग्रह के आधिकारिक महंगे रत्न पहन सकें। हमारे ऋषि मुनियों ने प्राचीन काल से में ही ग्रह राशियों के आधिकारिक वृक्ष उनके गुण देखकर निर्धारित किये थे। प्रारम्भ में सभी लोगों को महंगे रत्न उपलब्ध नहीं होते थे। तब वे पेड़ की जड़धारण करते थे। आज भी कुछ मूर्धन्य सज्जन वृक्ष की जड़ को रत्नों की जगह अपनाते है। रत्नों की तरह ही पेड़ की जड़ भी पूर्ण लाभ देती है।

वृक्ष की जड़ पहनने के लिए सर्वप्रथम आपको अपने जन्मनाम की राशि का पता होना चाहिए। और अपनी राशि के स्वामी ग्रह का भी ज्ञान होना चाहिए। नीचेसारणी में आपको ग्रह और राशि के साथ आधिकारिक वृक्ष की जड़ का विवरण दिया जा रहा है।

राशि – ग्रह – वृक्ष 

मेष – मंगल – खदिर 

वृष – शुक्र – गूलर 

मिथुन – बुध – अपामार्ग 

कर्क – चंद्र – पलाश 

सिंह – सूर्य – आक 

कन्या – बुध – अपामार्ग 

तुला – शुक्र – गूलर

वृश्चिक – मंगल – खदिर

धनु – गुरु – पीपल

मकर – शनि – शमी

कुम्भ – शनि – शमी

मीन – गुरु – पीपल 

पेड़ से जड़ लेने की प्रक्रिया आपको जिस ग्रह या नक्षत्र से संबंधित पेड़ की जड़ लेनी हो, उस ग्रह या नक्षत्र के आधिकारिक दिन से एक दिन पहले

अर्थात मेष या वृश्चिक राशि हो तो उसके स्वामी मंगल की जड़ पहनने के लिए मंगलवार से एक दिन पहले सोमवार को

वृष या तुला राशि हो तो उसके स्वामी शुक्र की जड़ पहनने के लिए शुक्रवार से एक दिन पहले गुरुवार को

मिथुन या कन्या राशि हो तो उसके स्वामी बुध की जड़ पहनने के लिए बुधवार से एक दिन पहले मंगलवार को

कर्क राशि हो तो उसके स्वामी चन्द्रमा की जड़ पहनने के लिए सोमवार से एक दिन पहले रविवार को,

सिंह राशि हो तो उसके स्वामी सूर्य की जड़ पहनने के लिए रविवार से एक दिन पहले शनिवार को

धनु – मीन राशि हो तो स्वामी गुरु की जड़ पहनने के लिए गुरुवार से एक दिन पहले बुधवार को,

यदि मकरकुम्भ राशि हो तो उसके स्वामी शनि की जड़ पहनने के लिए शनिवार से एक दिन पहले शुक्रवार को, शुभ मुहूर्त देखकर उस वृक्ष के पास जाएँ और वृक्ष से निवेदन करें कि मैं आपके आधकारिक ग्रह की शांति और शुभ फल प्राप्ति हेतु आपकी जड़ धारण करना चाहता हूँ , जिसे कल शुभ मुहूर्त में आपसे लेने आऊंगा। इसके लिए मुझे अनुमति प्रदान करें। इसके बाद अगले दिन उस ग्रह के वार को धूपबत्ती, जल का लोटा, पुष्प, प्रसाद आदि सामग्री लेकर शुभ मुहूर्त में उस वृक्ष के पास जाएँ और हाथ जोड़कर जल चढ़ाएं। फिर धूपबत्ती जलाकर पुष्प चढ़ाएं। उसके बाद प्रसाद का भोग लगाएं। फिर प्रणाम करके उसकी जड़ खोदकर निकाल लें। और घर ले आएं।

जड़ धारण करने की विधि जड़ को घर लाकर शुभ मुहूर्त में भगवान के सामने आसन पर बैठ कर उसे पंचामृत और गंगाजल से धोकर धूपबत्ती दिखाकर उसके आधिकारिक ग्रह के मंत्र का यथा सामर्थ्य अधिक से अधिक या कम से कम एक माला का जाप करें। फिर उसे गले में पहनना हो तो ताबीज़ में डाल ले और हाथ पर बांधना हो तो कपड़े में सिलकर पुरुष दाएं हाथ में और स्त्री बाएं हाथ में बांध ले।

धारण करते समय निम्न मंत्र बोले  

सूर्य ॐ घृणि: सूर्याय नमः 

चन्द्रमा ॐ चं चन्द्रमसे नमः 

मंगल ॐ भौम भौमाय नमः 

बुध ॐ बुं बुधाय नमः 

गुरु ॐ गुं गुरुवे नमः 

शुक्र ॐ शुं शुक्राय नमः 

शनि ॐ शं शनये नमः  

नवरत्न की जड धारण के लिये ग्रह योग 

सूर्य

यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच का होकर तुला राशि में है और केंद्र में या लग्नस्थ है तो कृत्तिका नक्षत्र वाले दिन बेल पत्र की जड़ प्रात:काल तोडक़र, शिवालय में शिवजी को समर्पित करें और ऊँ भास्कराय ह्रीं मंत्र का जाप करने के पश्चात गुलाबी धागे से धारण करें। प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करते रहें. रोग, संतानहीनता जैसी अन्य कई समस्याओं का समाधान होगा।

चंद्र

यदि आप की कुंडली में चंद्र नीच का होकर वृश्चिक राशि में है, या राहु, केतु और शनि द्वारा प्रभावित है तो, रोहिणी नक्षत्र वाले दिन खिरनी की जड़, शुद्ध करके शिवजी को समर्पित करें और ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम: मंत्र का जाप कर के सफेद धागे में धारण करें. फेफड़े सम्बंधित रोग, एकाकीपन और भावनात्मक समस्याओं का समाधान होगा।

मंगल

आपकी कुंडली में मंगल नीच का होकर कर्क राशि में हो या आप मांगलिक हों तो मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन अनंतमूल अथवा खेर की जड़ की जड़ शुद्धिकरण के पश्चात हनुमान जी की पूजा करके ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप कर के नारंगी धागे से धारण करें। क्रोध, अवसाद और वैवाहिक बाधा से मुक्ति मिलेगी।

बुध

यदि आपकी कुंडली में बुध द्वादश, अष्टम भाव में या नीच का होकर मीन राशि में है, तो आप अश्लेशा नक्षत्र वाले दिन विधारा (आंधी झाड़ा) की जड़ गणेश भगवान को को समर्पित करने के पश्चात ऊँ बुं बुधाय नम: मंत्र का जाप कर के हरे रंग के धागे में धारण करें। इस से बुद्धि विकसित होगी तथ निर्णय लेने में हो रही त्रुटि का भी समाधान होगा।

गुरु

आपकी कुंडली में यदि गुरु रहु द्वरा युक्त है, राहु द्वारा दृष्ट है या नीच का होकर मकर राशि में है तो शुद्ध और ताजी हल्दी की गाँठ अथवा केले की जड़ पीले धागे में, पुनवर्सु नक्षत्र वाले दिन कृष्ण भगवान या बृहस्पति देव जी की पूजा कर के ॐ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करके धारण करें। व्यवसाय, नौकरी, विवाह सम्बन्धी समस्या और लीवर सम्बन्धी रोगों में लाभ होगा।

शुक्र 

यदि आपकी कुंडली में शुक्र अष्टम भाव में है या नीच का होकर कन्या राशि में है तो आप सरपोंखा अथवा गुलर की जड़, भरणी नक्षत्र वाले दिन सफेद धागे से सायंकाल के समय लक्ष्मी जी का पूजन कर ऊँ शुं शुक्राय नम: मंत्र का जाप कर के धारण करें। संतानहीनता, कर्ज की अधिकता और धन के अभाव जैसी समस्या से मुक्ति मिलेगी।

शनि

आपकी कुंडली में यदि शनि सूर्य युक्त है, सप्तम भाव में है या नीच का होकर मेष राशि में है तो आप अनुराधा नक्षत्र वाले दिन बिच्छू या बिच्छौल की घांस अथवा शमी पेड़ की जड़ को नीले धागे से काली जी की पूजा के पश्चात ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप कर के धारण करें. कार्यों में हो रहे विलम्ब, कानूनी अड़चन और रोगों से मुक्ति मिलेगी।

राहु

आपकी कुंडली में राहु लग्न, सप्तम या भाग्य स्थान मे है, तथा शुभ ग्रहों से युक्त है तो आप आर्द्रा नक्षत्र वाले दिन सफेद चंदन का टुकड़ा शिव जी का अभिषेक कर के भूरे धागे में ऊँ रां राहुए नम: मंत्र का जाप कर के धारण करें। रोग, चिड़चिड़ापन, क्रोध, बुरी आदतों तथा अस्थिरता से मुक्ति मिलेगी।

केतु

यदि आपकी कुंडली में केतु, चन्द्र या मंगल युक्त होकर लग्नस्थ है, तो आप अश्विनी नक्षत्र वाले दिन गणेश जी का पूजन करने के पश्चात शुद्ध की हुई असगन्ध या अश्वगन्धा की जड़, ऊँ कें केतवे नम: मंत्र का जाप करने के पश्चात, नारंगी धागे से धारण करें. चर्म सम्बन्धी रोग, किडनी रोगों और वैवाहिक समस्याओं में से मुक्ति मिलेगी।

याद रखें कि समस्या से पूर्ण मुक्ति के लिये, आपको सम्बंधित ग्रहों के मंत्रों का जाप भी प्रतिदिन करना चाहिए।

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