दीपावली पर आर्थिक समस्या से मुक्ति के लिये श्रीलक्ष्मी कवच उपाय 

इस लेख के माध्यम से आपको आर्थिक श्राप से मुक्ति पाने के लिये तथा आर्थिक समृद्धि के लिये एक कवच उपाय बताया जा रहा है। इसके लिये आपको दो स्थान पर यंत्र लेखन करना होगा। इसमें से एक यंत्र आप धारण करेंगे तथा एक यंत्र को पूजास्थल में स्थान देंगे।

लेख के चित्र में दिया गया यंत्र कवच का लेखन दीपावली की मध्य रात्रि सिंह लग्न अथवा प्रदोष काल मे भी कर सकते है सिंह लग्न इसके लिये ज्यादा उपयुक्त हैं। यंत्र लेख से पहले आपको स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर संभव हो तो कोई भी लाल रंग का वस्त्र घारण कर निकट के किसी भी श्रीमाँ लक्ष्मी मन्दिर में जायें। यदि माँ लक्ष्मी का मन्दिर उपलब्ध न हो तो मों शक्ति के किसी भी मन्दिर में जा सकते हैं। मन्दिर में यदि भीड़ न हो तो यह कार्य स्वयं करें अथवा सामग्री को आप मन्दिर के मुख्य पुजारी के हाथ में देकर माँ को प्रणाम कर वापिस आ जायें सर्वप्रथम आप माँ को रोली एवं केशर का तिलक लगा कर शुद्ध घी का दीपक जिसमें एक हरी इलायची का जोड़ा अवश्य हो लगायें।

ग्यारह तीव्र सुगंध की अगरबत्ती, धूपबत्ती के साथ पाँच प्रकार के मिष्ठान को भोग के रूप में अर्पित करें। तत्पश्चात सुहाग सामग्री, जिसमे लाल वस्त्र का जोड़ा और यदि जोड़ा देने में असमर्थ हैं तो एक लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, मेंहदी का पैकिट, सिन्दूर, एक इत्र की छोटी शीशी, महावर का एक पैकिट, लाल बिन्दी का पैकिट एवं कुछ नकद धन राशि रखें। औऱ एक लाल रेशमी चुनरी व एक जटा नारियल आर्पित करें तथा प्रणाम कर वापिस आ जायें। मन्दिर में यदि भीड़ अधिक हो तो आप मन्दिर के मुख्य पुजारी को लाल रेशमी चुनरी, जटा नारियल, सुहाग सामग्री व कुछ नकद धनराशि देकर भी आ सकते हैं।

इस यंत्र कवच का पूर्ण उपाय करने के लिये आपको एक ऐसे कक्ष की आवश्यकता होगी जिसमें 9 दिन तक आपके अलावा कोई प्रवेश न कर सके। अब आप मन्दिर से वापिस आने पर निवास के पूजास्थल में माँ लक्ष्मी को रोली से तिलक कर शुद्ध घी का दीपक लगायें। तीव्र सुगंध की अगरबत्ती, धूपबत्ती के साथ कोई भी मिष्ठानरूपी भोग अर्पित करें और प्रणाम कर पूजास्थल से बाहर आ जाये। आपने उपाय करने के लिये जिस कक्ष का चयन किया है उस कक्ष के ईशान कोण की भूमि को गोबर से लीप कर अथवा गंगाजल से शुद्ध कर एक बाजोट बिछायें। बाजोट पर सवा मीटर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर तैयार रखें।

जब पूजास्थल का दीपक ठण्डा हो जाये तो माँ लक्ष्मी की तस्वीर को अत्यंत सावधानी से उठा कर बाजोट पर पूर्व दिशा में एक चावल की परत बना कर जटा नारियल के सहारे से स्थान दें। मां की तस्वीर को गंगाजल के छीटें देकर स्नान करायें। पुनः रोली व केशर से तिलक कर शुद्ध घी का दीपक लगायें। 11 तीव्र सुगंध की अगरबत्ती, धूपबत्ती के साथ पाँच प्रकार के मिष्ठान का भोग अर्पित करें। माँ की तस्वीर के समक्ष एक लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर उसके ऊपर एक चांदी का सिक्का, पाँच अभिमंत्रित गोमती चक्र, पाँच अभिमंत्रित धनकारक कौड़ियां

(गौमती चक्र एवं कौड़िया पहले ही लक्ष्मी पूजन में रखकर कम से कम 11 माला श्रीलक्ष्मी मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ मंत्र की जप करके सिद्ध कर लें) व पाँच सूखे छुआरे रखें यंत्र लेखन के लिये दो स्वच्छ भोजपत्र पास रख लें।

अष्टगंध में केशर एवं गंगाजल मिला कर स्याही का निर्माण करें। अनार की कलम से दोनों भोजपत्रों पर यंत्र क्रमांक -1 का लेखन करें लेखन के बाद दोनों यो पर रोली से तिलक करें। बाजोट के अन्य स्थान पर सवा किलो गेहूं, सवा किलो। लाल मसूर की दाल, सवा किलो गुड़, अन्य ऊपर में बताई गई सुहाग सामग्री, एक इत्र की शीशी एवं कुछ नकद धनराशि रखें। अब आप बाजोट के समझ एक लाल आसन पर बैठ कर सर्वप्रथम एक बार श्री लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।

यथा त्वमचलाकृष्णे तथा भव मयि स्थिरा।।

ईश्वरी कमला लक्ष्मीश्चला भूति्हरिश्रया।

पद्मा पद्मालया संपदुच्चैः श्रीः पद्मधारिणी।। 

द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य यः पठेत्। 

स्थिरा लक्ष्मीः भवेतस्व पुत्रदारादिभिः सह।। 

श्री लक्ष्मी स्तोत्र पाठ के बाद एक बार श्री लक्ष्मी चालीसा, एक बार श्रीसूक्त एवं एक बार श्री लक्ष्म्याष्टक का पाठ करें इन। पाठ के बाद कमलगट्टे की माला अथवा स्फटिक की माला से 3, 5 अथवा 11 माला निम्न मंत्र का जाप करें

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालय प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्रीं माँ महालक्ष्म्यै नमः ।। 

जाप आदि के बाद प्रणाम कर उठ जायें। समस्त सामग्री बाजोट पर ही रखी रहने दें। माँ को अर्पित भोग कन्याओं में वितरित कर दें। अगले दिन माँ को तिलक आदि कर सामग्री रखने के अतिरिक्त सारी क्रिया करनी है तथा सारे पाठ भी करने हैं। इस प्रकार आपको दीपावली से लेकर नित्य 15 दिवस तक यह क्रिया करनी है पंद्रहवें (देवदीपावली) के दिन पूजन आदि के बाद माँ की तस्वीर के समक्ष लाल वस्त्र पर रखी सामग्री अर्थात् चांदी का सिक्का व अन्य सामग्री को उसी लाल वस्त्र में बांध कर अपने धन रखने के स्थान पर रख दें।

भोजपत्र पर लिखित दोनों यंत्र भी उठा लें। माँ लक्ष्मी की तस्वीर को यथावत् सावधानी से पुनः पूजास्थल में स्थान दे दें। बाजोट की अन्य सामग्री को उसी लाल वस्त्र में बांध कर एक पोटली का रूप दे दें। एक युवा ब्राह्मण स्त्री एवं पाँच कन्याओं को भोजन के लिये बुलाये। उन सबको भोजन आदि करवा कर ब्राह्मण स्त्री को बाजोट के लाल वस्त्र की सामग्री जिसमें दाल आदि रखी है, की पोटली बनाई है, उसका दान कर चरणस्पर्श करें कन्याओं को एक-एक लाल चुनरी के साथ कुछ नकद धनराशि उपहार में देकर चरणस्पर्श कर विदा करें।

अब आप एक यंत्र को चांदी के खोल में एक लौंग के जोड़े के साथ रख कर गले में धारण करें दूसरे यंत्र को लाल रेशमी वस्त्र के आधार पर फोटो फ्रेम करवा कर पूजा स्थल में स्थान दे दें। इसके बाद आपको कुछ ही समय में आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन महसूस होंगे नित्य ही आप आर्थिक उन्नति प्राप्त करने के साथ आर्थिक श्राप के अशुभ प्रभाव में भी कमी महसूस करेंगे। इसके बाद आप जब भी निवास से बाहर जायें तो पूजास्थल में स्थान दिये यंत्र के दर्शन करके ही जायें, ऐसा करने से आपके सभी कार्य बिना किसी बाधा के सिद्ध होंगे।

विशेष- इस उपाय में आप अगर श्रीसूक्त का संस्कृत में पाठ नहीं कर सकते है तो इसमें हिन्दी अनुवाद का भी पाठ किया जा सकता है इसके अलावा एक अन्य बात पर भी ध्यान दें कि अगर आप ऊपर बताये सभी पाठ नहीं कर सकते हैं तो उतने ही करें, जितने सहजता के साथ कर सकते हैं । पहले दिन जितने पाठ अथवा जितनी संख्या में मंत्रजाप किया है. इसके बाद के दिनों में भी इतने ही करने हैं। इनकी संख्या कम नहीं करनी है।

मंत्रजाप अथवा पाठ करते समय जब तक आपका मन प्रफुल्लित रहता है, पाठ करने में आनन्द आता है. आलस्य अथवा उबासियां नहीं आती हैं. तभी तक करने चाहिये। मन मार कर, जबरदस्ती से आप चाहे कितने भी मंत्रजाप अथवा पाठ कर लें, उनका लाभ नहीं मिलेगा। इसलिये यह सब आपकी श्रद्धा तथा सामर्थ्य पर ही निर्भर करता है।

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