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खीरा – ककड़ी खाने के फायदे Khira kakari Benefits in Hindi 

खीरा – ककड़ी खाने के फायदे Khira kakari Benefits in Hindi 

खीरा विटामिन ए, बी1, बी6, सी, डी, पोटैशियम, फास्फोरस, आयरन और अन्य खनिजों से भरपूर होता है। खीरा न केवल कब्ज में मदद करता है, बल्कि यह पेट की अन्य बीमारियों में भी मदद करता है। खीरे के सिलिकॉन और सल्फर बालों के विकास को बढ़ावा देते हैं। खीरे के रस को गाजर और पालक के रस में मिलाकर लगाने से भी तुरंत परिणाम मिलते हैं।

खीरे में 96 प्रतिशत पानी होता है। वे सूखापन रोकने के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं। खीरे में अनगिनत फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं। वे इसके अलावा संक्षारक और मोलिब्डेनम के एक उत्पादक वाहन हैं। इनमें तांबा, पोटेशियम, मैंगनीज, पोषक तत्व सी, फास्फोरस, परमाणु मात्रा 12 और पोषण बी 1 शामिल हैं।

खीरा – ककड़ी खाने के फायदे Khira kakari Benefits 

प्रकृति ने मनुष्य के हित के लिए हर मौसम के अनुरूप फल, कंद, मूल इत्यादि खाद्य पदार्थ दिए हैं, उनमें से गरमी के दिनों में तरबूज, खरबूजा, रसभरी, फालसा, नारियल, ककड़ी और खीरा, नींबू आदि ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो शरीर में मिनरल्स एवं पानी की कमी दूर कर गरमी के दिनों में शारीरिक स्वास्थ्य को संरक्षित रखते हैं।। ककड़ी एवं खीरा दोनों के गुण समान हैं।। इनमें मैग्नीशियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, कैल्शियम, सल्फर आदि खनिज लवण पाए जाते हैं।।

खीरा ककड़ी सलाद के रूप में अधिक लाभप्रद है।। इनको अच्छी तरह धोकर बिना छीले गोल काटकर सेंधा नमक, काली मिर्च, भुनी हुई अजवाइन तथा जीरे को पीसकर चूर्ण बनाकर सलाद पर बुरककर खाएं। ये नया खून बनाने, शरीर को स्वस्थ रखने, खून की क्षारीयता बढाने के लिए उपयोगी है तथा इनसे आंतरिक रक्त विषाक्तता को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

खीरा-ककड़ी को कसकर दही का रायता बनाकर प्रति दिन दोपहर के भोजन के बाद अमृत तुल्य पेय के रूप में पीना चाहिए। इस रायते में काली मिर्च, अजवाइन दोनों की शीतल प्रकृति को नियंत्रित करने के लिए मिलाए जाते हैं जिससे सर्दी जुकाम एलर्जी आदि के रोगी को नुकसान न हो। खीरा शरीर में पथरी बनने से बचाता है तथा किडनी को स्वस्थ रखने में लाभप्रद होता है।

खीरा के घरेलू प्रयोग Home use of cucumber

मूत्राशय की गरमी एवं प्रमेह में– खीरे के बीज की मिंगी २ ग्राम पीसकर एक गिलास दूध और एक गिलास पानी में मिलाकर फेंटकर खड़े खड दिन में २- पीने से लाभ होता है।

पेशाब की जलन में– खीरे का रस एक गिलास तथा ५ ग्राम नींबू स्वादानुसार भुना हुआ जीरा पाउडर देशी खाँड मिलाकर शरबत बनाकर दिन में २ बार पीएं।

मानसिक रोग में– खीरे के बीज की मिंगी ३ ग्राम नित्य प्रातः काल सेवन करें।

आंखों की थकान में– खीरे को गोल काटकर पलकों पर रखकर १० मिनट के लिए लेट जाएं। बड़ी ताजगी मिलती है।

पथरी से बचाव में– खीरे का रस एक गिलास, एक चम्मच नींबू का रस तथा चुटकी भर सेंधा नमक मिला कर पीने से पथरी नहीं होती। यदि पथरी बन रही है तो पथरी का क्षरण होना शुरू हो जाता है। पथरी हो गई है तो प्रतिदिन दो बार यह प्रयोग करें।

मधुमेह में– मधुमेह के रोगी को मेथी, करेला, टमाटर, दही तथा खीरा बहुत उपयोगी होता है। ये डायबिटिक नेफ्रोपैथी से भी बचाते हैं। खीरा टमाटर और करेला का मिक्स जूस प्रतिदिन प्रातः दोपहर के भोजन के दो घंटे बाद पीना चाहिए।

मधुमेह के रोगी तले खाद्य तथा मैदा, चावल, आलू, शकरकंद के सेवन से बचें। चोकर सहित आटे की रोटी तथा हरी सब्जी का सेवन एवं सलाद का सेवन लाभप्रद होता है। मधुमेह के रोगी को अंकुरित मूंग या चना प्रात: नास्ते में सेवन करना चाहिए। अंजीर, संतरा, पपीता, सेव, अमरूद कम मात्रा में तथा बेल, बेर एवं जामुन पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।

त्वचा रोगों में विभिन्न प्रयोग Various uses in skin diseases 

त्वचा की शुष्कता में– रूखी त्वचा होने पर खीरे को कसकर, थोड़ी ग्लिसरीन मिलाकर लगाएं।

ओंठों के लिए– स्वस्थ, सुकोमल तथा प्राकृतिक गुलाबी ओंठों का स्वरूप बनाए रखने के लिए खीरे के रस में नींबू का रस कुछ बूंदें मिलाकर रूई से ओंठों पर लगाएं। नियमित कुछ दिनों तक प्रयोग करने से लाभ होगा। हानिकारक रसायनों से बनी लिपिस्टिक का प्रयोग न करें।।

आंखों के नीचे हलकी झुर्रियां– फास्ट-फूड, मैदा, चीनी, तले खाद्य पदार्थ खाने से आंखों के नीचे झुर्रियां ४५ वर्ष की उम्र के पूर्व ही दिखाई देने लगती हैं। इसके निवारण के लिए प्राकृतिक फल, सब्जियों के ताजे रस ताजे खाद्य पदार्थ प्रतिदिन सेवन करते हुए खीरे के रस में आलू का रस मिलाकर आंखों के नीचे लेप लगाएं। २० मिनट बाद धो दें। दिन में २ बार नित्य ऐसा करने से हल्की झुर्रियां मिट जाती हैं।

कोहनियों का कालापन– खीरे के रस में कुछ बूंदें नींबू का रस मिलाकर कुहनियों पर रगड़ने से मैल हट जाता है।

चेहरे के सांवलेपन में– चुटकी भर हल्दी को ५० ग्राम खीरे के रस में मिलाकर २-३ बूँदें नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा का निखार और सौंदर्य बढ़ जाता है।

दाग धब्बे, कील मुंहासों में– (१) खीरे को काटकर चेहरे पर रगड़ें तथा सूखने पर चेहरे को पानी से धो लें। इस प्रयोग को प्रति दिन करें। कब्जकारक खाद्य जैसे मैदा, चीनी एवं पूरी पराठों से परहेज करें। फल, सलाद, सब्जियों का सूप तथा रस का सेवन ५-६ माह तक नियमित करें।

(२) मुंहासों के दाग को हटाने के लिए ५० ग्राम हल्दी में टमाटर और खीरे का रस २०-२० ग्राम तथा नींबू का रस ५ ग्राम मिलाकर चेहरे पर नित्य लगाएं।

त्वचा की कोमलता के लिए– चुकंदर, खीरे तथा टमाटर का रस एक एक चम्मच मिलाकर त्वचा पर लगाएं। ३० मिनट बाद स्वच्छ पानी से धो लें।।

चेहरे की चमक के लिए– (१) ३० ग्राम कच्चे दूध में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर २० मिनट लगाए रखें।। ३० मिनट बाद पानी से धो लें।

(२) खीरे, पुदीने का रस बराबर मात्रा में लेकर मुल्तानी मिट्टी या बेसन में थोड़ा दही मिलाकर चेहरे पर लेप करें। ३० मिनट बाद पानी से धो लें। यह प्रयोग कुछ दिनों तक लगातार करें।

फ्रेशनर एवं स्क्रीन टोनर के रूप में- खीरे का रस एक चम्मच, एक चम्मच गाजर का रस मिलाकर रूई के सहारे गरदन एवं चेहरे पर लगाएं। ३० मिनट बाद पानी से धो लें।

आंखों के नीचे कालेपन में– खीरे का रस आंखों के आसपास नित्य लगाएं तथा हरी सब्जियाें का सेवन करें तनाव एवं पेट के कृमि रोग का कारण हो तो उसका भी निवारण करें।

ककड़ी के प्रयोग uses of cucumber 

पथरी में– २० ग्राम ककड़ी की ताजी जड़ को धोकर, पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर नित्य पीने से लाभ होता है।

मूत्रकृच्छ, मूत्रावरोध तथा मूत्राघात में– एक गिलास ककड़ी के रस में ५ ग्राम भुने हुए जीरे का चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है।।

श्वेत प्रदर में– ककड़ी के बीजों की मिंगी १० ग्राम, सफेद कमल की पंखुड़ियां १० ग्राम को महीन पीस कर जीरा चूर्ण २ ग्राम, मिश्री ६ ग्राम पीसकर मिला लें तथा पानी के साथ सुबह सेवन करें। लंबे समय तक प्रतिदिन यह प्रयोग करना चाहिए। तले खाद्य, गरम मसाले तथा चावल, मैदा, चीनी का परहेज करें। स्थानीय उपचार के रूप में नीम के पानी में फिटकरी मिलाकर वैजिनल डूस से नित्य धुलाई करने से लाभ होता है।

पेशाब की जलन में– ककड़ी के बीजों को पीसकर १०० ग्राम पानी में मिलाकर तथा १० ग्राम मिश्री घोल कर पीने से लाभ होता है।।

घेंघा रोग में– कच्ची ककड़ी का एक गिलास रस नित्य पीने से लाभ होता है। लंबे समय तक प्रयोग करें।

रक्त विकृति में– ककड़ी के फूलों को घी में छौंक कर सेंधा नमक, काली मिर्च मिलाकर बनाया साग खाने से रक्त विकृति दूर होती है।

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