सूतक/पातक क्या होता है ? सूतक में क्या करें क्या नहीं सूतक कितनी पीढ़ी तक लगता है ?
आज आप जानेंगे कि सूतक क्या होता है ? सूतक कितने दिन का होता है ? सूतक में वर्जित कार्य क्या-क्या है ? व सूतक कितनी पीढ़ी तक लगता है ?
सूतक क्या होता है ?
सन्तान का जन्म होने के पश्चात् जो घर वालों को कुछ दिनों के लिए कर्म धर्म का पालन करना वर्जित होता है। जैसे पूजा करना, अन्य दान करना इत्यादि। इसी को नाम सूतक है। इसे राजस्थान में ‘सावड़’ कहते हैं। महाराष्ट्र में ‘वृद्धि’ कहते हैं तथा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा आदि में ‘सूतक’ नाम से ही जाना जाता है
हिन्दू धर्म में किसी के भी मरण तथा जन्म पर सूतक तथा पातक लग जाता है। अगर घर के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो पातक लगता है तथा किसी बच्चे के जन्म पर सूतक लगता है। जन्म के समय सूतक इसीलिए लगता है क्योकि जन्म के समय कुछ अशुद्धियाँ होती है जैसे नाल काटी जाती है आदि, जिसके फलस्वरूप सूतक लगता है तथा मृत्यु के समय दाह संस्कार से हुई हिंसा के फलस्वरूप पातक लगता है। सूतक या पातक जन्म के समय, ग्रहण के समय, स्त्री के मासिक धर्म के समय किसी की मृत्यु के समय पर लगते हैं। आगे आप जानेंगे कि सूतक कितनी पीढ़ी तक लगता है ?
सूतक/पातक विचार
हमारे ऊपर आ रहे कष्टो का एक कारण सूतक के नियमो का पालन नहीं करना भी हो सकता है।
सूतक का सम्बन्ध जन्म एवं मृत्यु के निम्मित से हुई अशुद्धि से है जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप सूतक माना जाता है
जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता
३ पीढ़ी तक – १३ दिन
४ पीढ़ी तक – १० दिन
५ पीढ़ी तक – ६ दिन
ध्यान दें :- एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती वहाँ पूरा १० दिन का सूतक माना है !
प्रसूति (नवजात की माँ) को ४५ दिन का सूतक रहता है
प्रसूति स्थान १ माह तक अशुद्ध है इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं !
सूतक कितनी पीढ़ी तक लगता है ?
परिवार में किसी के जन्म लेने पर 3 पीढ़ी तक 13 दिन का, 4 पीढ़ी तक 10 दिन, 5 पीढ़ी तक 6 दिन का सूतक लगता है। तथा मरण पर अंत्यक्रिया करने वाले को 13 दिनों तक पातक लगता है परिवार के लोगो को 10 दिन तथा पहचान के अलग लोग जो केवल शवयात्रा में गये थे उनके लिए 1 दिन, शव को छूने वाले को 3 दिन तथा कंधा देने वाले को 8 दिन का पातक लगता है।
सूतक कितने दिन का होता है
बच्चे के जन्म के समय घर वालो को और माँ को सूतक लग जाता है, सूतक की अवधि कुछ इस प्रकार है, ब्राह्मणों में 10 दिन, वैश्य के लिए 20 दिन और क्षत्रिय के लिए 15 दिन और शूद्र के लिए 30 दिन का सूतक होता हैं।
अपनी पुत्री
पीहर में जनै तो हमे ३ दिन का, ससुराल में जन्म दे तो उन्हें १० दिन का सूतक रहता है ! और हमे कोई सूतक नहीं रहता है !
नौकर-चाकर
अपने घर में जन्म दे तो १ दिन का,
बाहर दे तो हमे कोई सूतक नहीं !
पालतू पशुओं का
घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर हमे १ दिन का सूतक रहता है
किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता !
बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः १५ दिन, १० दिन और ८ दिन तक अभक्ष्य/अशुद्ध रहता है
पातक किसे कहते हैं
पातक का सम्बन्ध मरण के निम्मित से हुई अशुद्धि से है मरण के अवसर पर दाह-संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप पातक माना जाता है
जिस तरह जन्म के समय परिवार के सदस्यों पर सूतक लग जाता है उसी तरह परिवार के लिए सदस्य की मृत्यु के बाद सूतक का लग जाता है, जिसे पातक भी कहा जाता है। लेकिन जन्म-मरण दोनों को ‘सूतक’ शब्द से भी जाना जाता है। गरुण पुराण में सूतक शब्द नहीं प्रयोग करते हुए पातक शब्द का प्रयोग कर दिया गया। तब से लोग सूतक और पातक को अगल अलग मानने लगे। वास्तव में ये दोनों एक है क्योंकि दोनों (जन्म-मरण) में कर्म-धर्म का पालन नहीं किया जाता।
गरुण पुराण के अनुसार जब भी परिवार के किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो घर के सदस्यों को पुजारी को बुलाकर गरुण पुराण का पाठ करवाकर पातक के नियमों को समझना चाहिए। गरुण पुराण के अनुसार पातक लगने के १३वें दिन क्रिया कर के उस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। इसके बाद मृत व्यक्ति की सभी नई-पुरानी वस्तुओं (सामान), कपड़ों को गरीब और असहाय व्यक्तियों में बांट देना चाहिए।
मरण के बाद हुई अशुचिता :-
३ पीढ़ी तक – १२ दिन
४ पीढ़ी तक – १० दिन
५ पीढ़ी तक – ६ दिन
ध्यान दें :- जिस दिन दाह-संस्कार किया जाता है, उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है, न कि मृत्यु के दिन से !
यदि घर का कोई सदस्य बाहर/विदेश में है, तो जिस दिन उसे सूचना मिलती है, उस दिन से शेष दिनों तक उसके पातक लगता है
अगर 12 दिन बाद सूचना मिले तो स्नान-मात्र करने से शुद्धि हो जाती है
गर्भपात
किसी स्त्री के यदि गर्भपात हुआ हो तो, जितने माह का गर्भ पतित हुआ, उतने ही दिन का पातक मानना चाहिए
घर का कोई सदस्य तपस्वी’ साधु सन्यासी बन गया हो तो, उस साधु सन्त को , उसे घर में होने वाले जन्म-मरण का सूतक-पातक नहीं लगता है किन्तु स्वयं उसका ही मरण हो जाने पर उसके घर वालों को १ दिन का पातक लगता है !
विशेष
किसी अन्य की शवयात्रा में जाने वाले को १ दिन का, मुर्दा छूने वाले को ३ दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को ८ दिन की अशुद्धि जाननी चाहिए
घर में कोई आत्मघात कर ले तो ६ महीने का पातक मानना चाहिए
यदि कोई स्त्री अपने पति के मोह/निर्मोह से आग लगाकर जल मरे, बालक पढाई में फेल होकर या कोई अपने ऊपर दोष देकर “आत्महत्या” कर मरता है तो इनका पातक बारह पक्ष याने ६ महीने का होता है
उसके अलावा भी कहा है कि जिसके घर में इस प्रकार अपघात होता है, वहाँ छह महीने तक कोई बुद्धिमान मनुष्य भोजन अथवा जल भी ग्रहण नहीं करता है ! वह मंदिर नहीं जाता और ना ही उस घर का द्रव्य मंदिर जी में चढ़ाया जाता है
जहां आत्महत्या हुई है, उस घर का पानी भी ६ माह तक नहीं पीना चाहिए। एवं अनाचारी स्त्री-पुरुष के हर समय ही पातक रहता है।
यह भी ध्यान से पढ़िए
सूतक-पातक की अवधि में देव-शास्त्र-गुरु का पूजन, प्रक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती हैं
इन दिनों में मंदिर के उपकरणों को स्पर्श करने का भी निषेध है ! यहाँ तक की गुल्लक में रुपया डालने का भी निषेध बताया है दान पेटी मे दान भी नहीं देना चाहिए।
देव-दर्शन, प्रदिक्षणा, जो पहले से याद हैं वो विनती/स्तुति बोलना, भाव-पूजा करना, हाथ की अँगुलियों पर जाप देना शास्त्र सम्मत है
कहीं कहीं लोग सूतक-पातक के दिनों में मंदिर ना जाकर इसकी समाप्ति के बाद मंदिरजी से गंधोदक लाकर शुद्धि के लिए घर-दुकान में छिड़कते हैं, ऐसा करके नियम से घोनघोर पाप का बंध करते हैं ! मानो या न मानो,
यह सत्य है, नहीं मानने पर दुःख, कष्ट, तकलीफ, होगी
इन्हे समझना इसलिए ज़रूरी है, ताकि अब आगे घर-परिवार में हुए जन्म-मरण के अवसरों पर अनजाने से भी कहीं दोष का उपार्जन ना हो।
सूतक में वर्जित कार्य
किसी भी धार्मिक स्थल पर जाना तथा धार्मिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होना वर्जित होता हैं।
1. पूजा पाठ नही कर सकते हैं।
2. तूलसी के पौधे को छूने की मनाही होती है।
3. मंदिर की सामग्री को छूने की मनाही है।
4. भगवान की मूर्ति को नही छूना चाहिए।
सूतक और पातक में अंतर
किसी के जन्म पर सूतक तथा किसी की मृत्यु पर पातक लगता हैं।
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