तेरी दिवानी हूं मुझे इंकार नहीं, कैसे कह दूं कि मुझे प्यार नहीं ये शरारत तो तेरी आँखो की है, मैं अकेली ही गुनहगार नहीं
तेरी दिवानी हूं मुझे इंकार नहीं, कैसे कह दूं
तेरी दिवानी हूं मुझे इंकार नहीं, कैसे कह दूं
"जीवन" सिक्के के दो पहलुओं की तरह होता है।
समस्याएं इतनी ताकतवर नहीं होती जितना उन्हें हम मान
निदा से घबराकर अपने लक्ष्य को ना छोड़ें क्योंकि
किसी का दर्द देखकर अगर आपको भी दर्द होता
यदि प्रेम को समझना है तो तन की नहीं मन
जिस नाम से कटती है सब बांधा वही नाम