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अमावस्या तिथि: जानें अमावस्या तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व 

अमावस्या तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व 

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व है। हिंदू पंचांग की तीसवीं तिथि और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। इस तिथि का नाम सिनीवाली भी है। इसे हिंदी में अमावसी भी कहते हैं। अमावस्या तिथि का निर्माण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर शून्य हो जाता है। इस दिन आकाश में चांद नहीं दिखाई देता है। इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विधान है। मान्यता है कि इस तिथि के दिन केतु का जन्म हुआ था।

अमावस्या तिथि का ज्योतिष में महत्त्व Significance of Amavasya Tithi in Astrology 

अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इस तिथि पर चंद्रमा की 16वीं कला जल में प्रविष्ट हो जाती है। इस दिन चंद्रमा आकाश में नहीं दिखाई देता है और इस तिथि पर वह औषधियों में रहते हैं। अमावस्या तिथि के दिन कृष्ण पक्ष समाप्त होता है। इस तिथि के दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों समान अंशों पर होते है।

People born on Amavasya Tithi  अमावस्या तिथि में जन्मे जातक 

अमावस्या तिथि में जन्मे जातकों की दीर्घायु होती है। ये लोग अपनी बुद्धि को कुटिल कार्यों में लगाते हैं। ये बहुत पराक्रमी होते हैं लेकिन इन्हें ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रयत्न बहुत करना पड़ता है। इनकी आदत व्यर्थ में सलाह देने की बहुत होती है। इन जातकों को जीवन में संघर्षों का सामना बहुत करना पड़ता है। ये लोग मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं होते हैं। इनमें असंतुष्टी की भावना बहुत अधिक रहती है।

अमावस्या के दिन क्या करें और क्या ना करें Do’s and Don’ts on Amavasya 

1. अमावस्या तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करना शुभ माना जाता है।

2. इस तिथि पर पितरों का तर्पण करने का विधान है। यह तिथि चंद्रमास की आखिरी तिथि होती है।

3. इस तिथि पर गंगा स्नान और दान का महत्व बहुत है।

4. अमावस्या के दिन खेतों में हल चलाना या खेत जोतने की मनाही है।

5. इस तिथि पर जब कोई बच्चा पैदा होता है तो शांतिपाठ करना पड़ता है।

6. अमावस्या के दिन शुभ कर्म नहीं करना चाहिए।

7. इस दिन क्रय-विक्रय और सभी शुभ कार्यों को करना वर्जित है।

अमावस्या तिथि के प्रमुख हिन्दू त्यौहार एवं व्रत व उपवास 

माघ अमावस्या 

इस तिथि को मौनी अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करके मौन धारण किया जाता है।

फाल्गुन अमावस्या, अश्विन अमावस्या, चैत्र अमावस्या

इस अमावस्या को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। इस दन दान, तर्पण और श्राद्ध किया जाता है।

वैशाख अमावस्या 

इस तिथि के दिन सर्पदोष से मुक्ति पाने के लिए उज्जैन में पूजा करने का विधान है।

ज्येष्ठ अमावस्या 

यह तिथि के दिन आप ज्योतिषाचार्य से शनिदोष निवारण का उपाय करा सकते हैं। इस दिन वट सावित्री की पूजा का भी प्रावधान है।

आषाढ़ अमावस्या

इस अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करते हैं उनकी आत्मा की शांति के लिए। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है।

श्रावण अमावस्या

इस तिथि को हरियाली अमावस्या के नाम से जानते हैं। इस तिथि को पितृकार्येषु अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

भाद्रपद अमावस्या

इस तिथि को कुशाग्रहणी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन कुशा को तोड़कर रख लिया जाता है।

कार्तिक अमावस्या

इस तिथि के दिन दीपों का पर्व दीवाली मनाते हैं। इस दिन 14 वर्ष का वनवास पूरा करके श्री राम अयोध्या वापस लौटे थे।

मार्गशीर्ष अमावस्या 

इस तिथि को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है।

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