Site icon RadheRadheje

जानें पूजा-पाठ के लिए कौन से बर्तन श्रेष्ठ होते है

पूजा-पाठ के लिए कौन से बर्तन श्रेष्ठ होते है ? 

हमारे धर्म शास्त्रों में सोने को सर्वश्रेष्ठ धातु माना गया है इसीलिए देवी-देवताओं के आभूषण, सिंहासन, मूर्तियां, बर्तन आदि पर सोने का आवरण चढ़ाया जाता है। इसकी कांति व चमक सदा बनी रहती है और इसमें जंग भी नहीं लगती। सोने के बर्तन का इस्तेमाल करने से आयुर्वेद के अनुसार बल, वीर्य की वृद्धि होती है तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसे पवित्र धातु माना गया है, क्योंकि यह विकृत नहीं होता। चांदी के बर्तनों की प्रकृति शीतल होने के कारण आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त प्रकोप को वाली, आंखों की ज्योति बढ़ाने वाली तथा मानसिक शांति और शारीरिक शीतलता प्रदान करने वाली धातु है। इसके बर्तनों को भी पवित्र माना गया है।

तांबे के बर्तन मंदिरों में अभी भी उपयोग किए जाते हैं। तांबा धातु में जल का शुद्धीकरण करने का गुण है। इसमें रखा बासी पानी पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है । कहा जाता है कि कार्तिकेय स्वामी का शुक्र पृथ्वी पर गिरने से तांबा बन गया आयुर्वेद के अनुसार यह अनेक रोगों को नष्ट करता है। इसके बर्तन जो रोजाना साफ किए गए हों, पवित्र माने जाते हैं।

कांसे और पीतल धातु को भी पवित्र माना गया है। कांसे के बर्तन से पित्त की शुद्धि होती है और बुद्धि बढ़ती है। पीतल के बर्तनों की प्रकृति गर्म होने के कारण इसमें पका भोजन कफनाशक होता है। इन बर्तनों में कीटाणुओं को नष्ट करने की भरपूर क्षमता होती है, लेकिन इसमें रखी खट्टी चीजें विष तुल्य हो जाती हैं। लोहा, स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम की धातु को पूजा- पाठ में उपयोग करना वर्जित किया गया है, क्योंकि ये अपवित्र मानी गई हैं। इसीलिए इन धातुओं की न तो देवी-देवताओं की मूर्तियां बनती हैं

और न ही इन्हें पूजा-पाठ आदि धार्मिक कार्यों में प्रयुक्त किया जाता है। लोहे में हवा-पानी लगने पर जंग लगती है और एल्युमीनियम को रगड़ने पर कालिख निकलती है, इसलिए इन्हें विकृत धातुएं कहा गया है । शास्त्रकारों का कहना है कि सभी प्रकार के धातु-पात्र भस्मी से रगड़कर साफ, शुद्ध होते हैं। मनुस्मृति में लिखा है।

निर्लेपकांचनं भांडमद्भिरेव विशुद्धयति। अब्जमश्ममयञ्चैव राजतं चानुपस्कृतम् ॥ –मनुस्मृति 5/112 

अर्थात् स्वर्ण, सीपी, शंख, पत्थर और चांदी के पात्र केवल जल से शुद्ध हो जाते हैं। ये पात्र निर्लेप होने चाहिए अर्थात् उनमें धारियां या खरोंच नहीं हों अथवा सोने और चांदी में मिलावट न हो।

Must Read  पूजा जानें पूजा में प्रयोग होने वाले शब्द और उनका अर्थ ?

Exit mobile version