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भाई दूज 2025: महत्व, शुभ मुहूर्त और भैया दूज कथा

भाई दूज (यम द्वितीया) – महत्व, शुभ मुहूर्त और भैया दूज की कथा 

यम द्वितीया दीपावली के बाद मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। यह दिन भाई और बहन के प्रेम को समर्पित होता है। भारत में इसे भैया दूज, यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं और लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं। भाई उनकी रक्षा का वचन देता है।

भाईदूज का शुभ मुहूर्त और तिथि (Bhai Dooj Puja Muhurat 2025)

हिंदी पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया 22 अक्टूबर 2025 को रात के समय 08:16 बजे से शुरू हो रही है और 23 अक्टूबर 2025 को रात के 10:46 बजे तक रहेगी। ऐसे में भाई दूज का त्योहार 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन भाई को तिलक लगाने का सबसे उत्तम मुहूर्त दोपहर 01:37 से लेकर 03:02 बजे तक रहने वाला है। इस तरह भाई दूज पर तिलक लगाने के लिए बहनों को 02 घंटे 05 मिनट का शुभ मुहूर्त मिलेगा।

शुभ मुहूर्त

लाभ 12:11 13:37 शुभ

अमृत 13:37 15:02 शुभ

भैया दूज (यम द्वितीया) पौराणिक महत्व संक्षेप में

भाई दूज (यम द्वितीया) पूजा-विधि 

1. पहले घर की साफ-सफाई करें।

2. बहन हवन या थाल सजाती है।

3. भाई की हथेली पर चावल का लेप या घोल रखा जाता है।

4. उस पर सिन्दूर लगाते हैं।

5. कद्दू का फूल, पान, सुपारी और मुद्रा थाली में रखें।

6. तिलक लगाकर आरती उतारें।

7. भाई को माखन-मिश्री खिलाकर मुंह मीठा कराएं।

8. कलाई पर कलावा बांधें।

9. संध्या में चौमुखी दीपक घर के बाहर जलाएँ।

भाई दूज (यम द्वितीया) बोलने वाले प्रमुख मंत्र (संक्षेप)

“गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को;

सुभद्रा पूजा कृष्ण को; मेरे भाई की आयु बढ़े।”

फिर कहा जाता है:

“सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे;

   जो काटे सो आज काटे।”

इन शब्दों का आशय है आज यमराज की कृपा से किसी भी प्राणी का भय नहीं।

बहनें इन मन्त्रों के साथ हथेली पर जल धीरे-धीरे डालती हैं।

भाई दूज (यम द्वितीया) पारंपरिक मान्यताएँ (संक्षेप)

भैया दूज (यम द्वितीया) की कथा

बहुत समय पहले भगवान सूर्यदेव की पत्नी छाया से यमराज और यमुना का जन्म हुआ।

यमुना अपने भाई यमराज से अत्यधिक स्नेह करती थीं।

वह हमेशा उसे खाने-पीने के लिए आमंत्रित करती थी।

लेकिन यमराज अपने कार्य में व्यस्त रहते और निमंत्रण टालते रहे।

एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने जोर देकर उसे बुलाया।

यमराज ने सोचा, “मैं मृत्यु का देवता हूं।

लोग मुझे अपने घर बुलाना पसंद नहीं करते।

लेकिन बहन ने स्नेह से बुलाया है।

इसलिए मुझे जाना चाहिए।”

यमराज जब यमुना के घर पहुँचे, तो यमुना ने स्नान कराया।

उसने भाई को तिलक लगाया और आदरपूर्वक भोजन कराया।

यमराज उसकी सेवा और प्रेम से प्रसन्न हुए।

यमुना ने वरदान माँगा, “भैया, आप हर साल इसी दिन मेरे घर आएँ।

जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करे, उसे यम का भय न रहे।”

यमराज ने ‘तथास्तु’ कहा।

उसके बाद उन्होंने बहन को आशीर्वाद और उपहार दिए।

तब से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज या भैया दूज के रूप में मनाया जाने लगा।

इस दिन बहनें यमराज और भाई की लंबी आयु के लिए पूजा करती हैं।

भाई बहन का सम्मान और सुरक्षा का वचन देता है।

इस कथा के कारण इस दिन यमराज और यमुना की पूजा भी की जाती है।

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निष्कर्ष

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: भाई दूज कब मनाया जाता है ?

A: कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।

Q2: इसे यम द्वितीया क्यों कहते हैं ?

A: यमराज और यमुना के प्रसंग से यह जुड़ा है।

Q3: इस दिन बहनें क्या-क्या करती हैं ?

A: तिलक, आरती, खाना खिलाना और आशीर्वाद देती हैं।

Q4: चौमुखी दीपक का क्या महत्व है ?

A: यमराज की कृपा पाने के लिए दीपक जलाया जाता है।

Q5: जिनके पास बहन नहीं, वे क्या करें ?

A: वे नदी या किसी स्त्री-प्रतीक के पास भोजन कर सकते हैं।

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