Site icon RadheRadheje

Durga Gayatri Mantra | दुर्गा गायत्री मंत्र: अर्थ, लाभ, जप विधि एवं महत्व

दुर्गा गायत्री मंत्र: अर्थ, लाभ, जप विधि एवं महत्व

हिंदू धर्म में माँ दुर्गा को शक्ति, साहस और विजय की देवी माना गया है। उनकी आराधना से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनुष्य को अद्भुत शक्ति प्राप्त होती है। दुर्गा गायत्री मंत्र साधक को आत्मबल, मानसिक शांति और हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है। इस लेख में हम आपको दुर्गा गायत्री मंत्र का संपूर्ण विवरण, उसका अर्थ, जप विधि, लाभ और महत्व बताएंगे।

दुर्गा गायत्री मंत्र (Durga Gayatri Mantra)

ॐ कात्यायन्यै च विद्महे कन्याकुमार्यै धीमहि ।

तन्नो दुर्गिः प्रचोदयात् ॥

दुर्गा गायत्री मंत्र का अर्थ

ॐ कात्यायन्यै च विद्महे – हम देवी कात्यायनी का ध्यान करते हैं।

कन्याकुमार्यै धीमहि – हम कन्या स्वरूपा देवी पर ध्यान करते हैं।

तन्नो दुर्गिः प्रचोदयात् – वे माँ दुर्गा हमें प्रेरणा और शक्ति प्रदान करें।

👉 इस मंत्र का जाप साधक को आध्यात्मिक शक्ति, साहस और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाता है।

दुर्गा गायत्री मंत्र जप विधि

1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

2. माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।

3. लाल या पीले आसन पर बैठकर शुद्ध मन से जप करें।

4. रुद्राक्ष या स्फटिक की माला से 108 बार मंत्र का जाप करें।

5. अंत में देवी को फूल और प्रसाद अर्पित करें।

दुर्गा गायत्री मंत्र के लाभ

मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

भय, रोग और शत्रु बाधाओं से रक्षा होती है।

कार्यों में सफलता और विजय प्राप्त होती है।

घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

साधक का आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ता है।

दुर्गा गायत्री मंत्र का महत्व

दुर्गा गायत्री मंत्र केवल साधारण मंत्र नहीं बल्कि यह अद्भुत शक्तिशाली स्त्रोत है। इसे नवरात्रि, शुक्रवार या विशेष पूजा के अवसर पर जपने से माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद मिलता है।

गायत्री उपासना और मंत्र जप से चमत्कारी लाभ

गायत्री मंत्र वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र माना गया है। इसके नियमित जप से मानसिक शांति, आत्मबल और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शास्त्रों में इसे मां गायत्री का स्वरूप बताया गया है। गायत्री मंत्र का जाप साधारण जप नहीं बल्कि दिव्य साधना है, जो हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्रदान करती है।

✨ गायत्री मंत्र जप से सामान्य लाभ

मन में उत्साह एवं सकारात्मकता का संचार होता है।

त्वचा में तेज और नेत्रों में दिव्य चमक आती है।

तामसिक प्रवृत्तियों से दूरी बनती है।

साधक को पूर्वाभास होने लगता है।

आशीर्वाद देने की शक्ति में वृद्धि होती है।

क्रोध शांत होकर धैर्य की वृद्धि होती है।

विद्या, ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।

विद्यार्थियों के लिए गायत्री मंत्र जप

विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी है।

रोज़ाना 108 बार जप करने से स्मरण शक्ति तेज़ होती है।

पढ़ाई में मन लगता है और भूलने की समस्या समाप्त होती है।

कठिन विषय भी सरलता से समझ में आते हैं।

दरिद्रता और आर्थिक संकट दूर करने के लिए

शुक्रवार को पीले वस्त्र धारण करें।

हाथी पर विराजमान गायत्री माता का ध्यान करें।

गायत्री मंत्र के आगे-पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर 108 बार जप करें।

रविवार को व्रत रखने से दरिद्रता का नाश होता है।

संतान संबंधी परेशानियों के निवारण हेतु

पति-पत्नी प्रातःकाल सफेद वस्त्र पहनकर जप करें।

गायत्री मंत्र के साथ यौं बीज मंत्र का सम्पुट लगाएं।

संतान सुख की प्राप्ति होती है और रोगग्रस्त संतान स्वस्थ होती है।

शत्रुओं पर विजय पाने के लिए

मंगलवार, अमावस्या या रविवार को लाल वस्त्र पहनें।

माँ दुर्गा का ध्यान करके गायत्री मंत्र के आगे-पीछे क्लीं बीज मंत्र जोड़कर 108 बार जप करें।

इससे शत्रु पर विजय, न्यायालय संबंधी मामलों में सफलता और परिवार में एकता प्राप्त होती है।

विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए

सोमवार की सुबह पीले वस्त्र धारण करें।

माता पार्वती का ध्यान करके गायत्री मंत्र में ह्रीं सम्पुट लगाकर 108 बार जप करें।

विवाह में हो रही देरी समाप्त होकर शीघ्र शुभ समाचार मिलता है।

रोग निवारण के लिए गायत्री जप

कांसे के पात्र में शुद्ध जल भरकर सामने रखें।

लाल आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का सम्पुट लगाकर जप करें।

जप के बाद उस जल को पीने से गंभीर रोग दूर होते हैं।

यही जल किसी रोगी को पिलाने से उसका रोग भी समाप्त हो जाता है।

विविध समस्याओं से मुक्ति के लिए विशेष उपाय

पीपल, शमी, वट, गूलर और पाकर की समिधाएं लेकर एक पात्र में कच्चा दूध रखें।

एक हजार गायत्री मंत्रों का जप करें और फिर समिधा को दूध से छुआकर अग्नि में होम करें।

इस उपाय से दरिद्रता और जीवन की समस्याएं समाप्त होती हैं।

दही, घी और शहद के साथ गायत्री मंत्र से हवन करने से रोगों का नाश होता है।

नारियल के बुरे और घी से हवन करने से शत्रुओं का नाश और शहद मिलाने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।

Must Read सर्व गायत्री मंत्र: जानें 145 देवो के गायत्री मंत्र 

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. दुर्गा गायत्री मंत्र कब जपना चाहिए ?

➡️ सुबह या संध्या के समय जप करना श्रेष्ठ माना जाता है।

Q2. क्या नवरात्रि में दुर्गा गायत्री मंत्र जप सकते हैं ?

➡️ हाँ, नवरात्रि के दौरान इसका जाप विशेष फलदायी होता है।

Q3. कितनी बार दुर्गा गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए ?

➡️ 108 बार जप करना सबसे उत्तम है।

Q4. विद्यार्थियों को कितनी बार गायत्री मंत्र जप करना चाहिए ?

➡️ 108 बार नियमित जप करने से स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है।

Q5. क्या गायत्री मंत्र से रोगों का नाश संभव है ?

➡️ हाँ, विशेष विधि से जप करने और जल के सेवन से रोग दूर होते हैं।

Q6. विवाह में देरी के लिए कौन-सा उपाय करना चाहिए ?

➡️ सोमवार को माता पार्वती का ध्यान कर ह्रीं सम्पुट के साथ 108 बार जप करना चाहिए।

डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Exit mobile version