दुर्गा पूजा पर निबंध | Durga Puja Essay in Hindi
प्रस्तावना
भारत त्योहारों का देश है। यहाँ हर पर्व का अपना विशेष महत्व है। इनमें से एक प्रमुख पर्व है दुर्गा पूजा। यह त्योहार मुख्यतः उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। साथ ही यह पर्व सामाजिक एकता, सांस्कृतिक उत्सव और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक भी है।
दुर्गा पूजा हमें सत्य की विजय और बुराई का नाश सिखाती है। यह पर्व माता दुर्गा की भक्ति और शक्ति का जश्न है।
दुर्गा पूजा का धार्मिक महत्व
Durga Puja की पौराणिक कथा बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि महिषासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था। उसने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया।
इस संकट के समय सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों का संयोग किया। इससे उत्पन्न हुई दिव्य शक्ति को माँ दुर्गा कहा गया। माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध किया। दसवें दिन उन्होंने महिषासुर का वध किया।
इस विजय को याद करते हुए ही दशहरा और दुर्गा पूजा मनाई जाती है। यह हमें सिखाती है कि सत्य की हमेशा जीत होती है और बुराई का अंत निश्चित है।
दुर्गा माता का स्वरूप
माँ दुर्गा को अक्सर सिंह या शेर पर सवार दिखाया जाता है। उनके आठ या दस हाथ होते हैं। हर हाथ में अलग-अलग अस्त्र और शस्त्र होते हैं। ये देवताओं ने उन्हें महिषासुर के वध के लिए दिए थे।
माँ दुर्गा का रूप हमें धैर्य, साहस और शक्ति की प्रेरणा देता है। उनका तेज और तेजस्विता हर भक्त के मन में उत्साह भरता है।
उत्तर भारत में दुर्गा पूजा का आयोजन
उत्तर भारत में नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। यहाँ लोग व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
घटस्थापना: घर में माता के लिए मिट्टी का पात्र रखा जाता है। इसमें जौ बोया जाता है। इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
भजन-कीर्तन: दिन और शाम को माता की आरती की जाती है। लोग भजन गाकर देवी की स्तुति करते हैं।
कन्या पूजन: अष्टमी और नवमी को छोटी कन्याओं को देवी मानकर उनका पूजन किया जाता है। उनके पैर धोए जाते हैं और भोजन कराया जाता है।
प्रसाद वितरण: मंदिरों और मोहल्लों में प्रसाद वितरित किया जाता है। इसे देवी की कृपा माना जाता है।
इन सभी आयोजन से धार्मिक भक्ति और सामाजिक समरसता दोनों बढ़ती हैं।
नवरात्रि के नौ रूप
माँ दुर्गा के नौ रूपों का पूजन नवरात्रि में किया जाता है। प्रत्येक दिन का महत्व अलग है:
दिन रूप महत्व
प्रथम शैलपुत्री धैर्य और साहस
द्वितीय ब्रह्मचारिणी तप और संयम
तृतीय चंद्रघंटा शांति और करुणा
चतुर्थ कूष्माण्डा सृजन शक्ति
पंचमी स्कंदमाता मातृत्व और प्रेम
षष्ठी कात्यायनी पराक्रम और शक्ति
सप्तमी कालरात्रि निडरता और साहस
अष्टमी महागौरी सौंदर्य और शुद्धता
नवमी सिद्धिदात्री सफलता और समृद्धि
इन रूपों के माध्यम से माता हमें जीवन में सद्गुण और साहस अपनाने की प्रेरणा देती हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
दुर्गा पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं है। यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है।
- लोग मिल-जुलकर पूजा करते हैं।
- बच्चों को नैतिक शिक्षा मिलती है।
- स्त्री शक्ति का सम्मान बढ़ता है
- कलाकारों, कारीगरों और व्यापारियों को रोजगार मिलता है।
इस तरह दुर्गा पूजा धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण और आधुनिक समय में दुर्गा पूजा
आजकल लोग मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग कर रहे हैं। प्लास्टिक कम किया जा रहा है। यह पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देता है।
साथ ही डिजिटल माध्यमों का उपयोग बढ़ा है। लोग ऑनलाइन आरती, लाइव भजन और वर्चुअल दर्शन का आनंद ले सकते हैं।
दुर्गा पूजा से मिलने वाली शिक्षा
दुर्गा पूजा हमें कई महत्वपूर्ण बातें सिखाती है:
1. हर स्त्री में शक्ति होती है।
2. धैर्य और साहस से हर संकट पर विजय पाई जा सकती है।
3. असत्य चाहे कितना भी शक्तिशाली हो, अंत में सत्य की ही जीत होती है।
4. समाज में एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती है।
माँ दुर्गा का जीवन में स्मरण करना हमें आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति देता है।
हमारी प्रार्थना हो कि माँ दुर्गा हमें शक्ति, साहस और सही मार्गदर्शन दें। जय माता दी!
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FAQ Section
Q1. दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है ?
A: दुर्गा पूजा महिषासुर पर माता दुर्गा की विजय के रूप में मनाई जाती है। यह सत्य की जीत का प्रतीक है।
Q2. दुर्गा पूजा कब मनाई जाती है ?
A: नवरात्रि के दौरान, आश्विन माह में मनाई जाती है। दशमी को विजयादशमी या दशहरा कहा जाता है।
Q3. दुर्गा पूजा में क्या किया जाता है ?
A: व्रत, भजन-कीर्तन, आरती, कथा, कन्या पूजन और प्रसाद वितरण शामिल हैं।
Q4. कन्या पूजन क्यों किया जाता है ?
A: छोटी कन्याओं को देवी मानकर पूजा जाता है। यह नारी शक्ति और सम्मान का प्रतीक है।
Q5. दुर्गा पूजा का सामाजिक महत्व क्या है ?
A: यह समाज में एकता, भाईचारा और सांस्कृतिक चेतना बढ़ाता है।

