Site icon RadheRadheje

हवन में स्वाहा क्यों कहते हैं ? | देवी स्वाहा की उत्पत्ति और महत्व

हवन में स्वाहा बोलने का रहस्य | स्वाहा देवी कौन हैं ?

क्या आपने कभी किसी हवन या यज्ञ में बैठे हुए सोचा है कि जब भी आहुति डाली जाती है तो लोग जोर से स्वाहा क्यों बोलते हैं ?

क्या यह केवल एक परंपरा है या इसके पीछे कोई गहरा रहस्य छुपा है ?

हममें से अधिकतर लोग हवन में स्वाहा तो बोलते हैं, लेकिन स्वाहा शब्द का अर्थ और इसका आध्यात्मिक महत्व नहीं जानते।

पुराणों में बताया गया है कि “स्वाहा” कोई सामान्य शब्द नहीं, बल्कि एक देवी का नाम है देवी स्वाहा, जिनके बिना देवताओं तक आहुति पहुँच ही नहीं सकती।

तो आइए जानें

स्वाहा देवी कौन हैं ? और हवन में स्वाहा बोलना क्यों आवश्यक माना गया है ?

इस लेख में हम जानेंगे 

स्वाहा शब्द का अर्थ क्या है ?

“स्वाहा” संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “अर्पण किया गया”, “पूर्ण समर्पण” या “हे देवता! यह आहुति स्वीकार करें।”

यह कोई साधारण शब्द नहीं, बल्कि एक देवी का नाम है देवी स्वाहा।

स्वाहा देवी कौन हैं ?

देवी स्वाहा अग्निदेव की पत्नी मानी जाती हैं।

पुराणों के अनुसार:

“अग्निदेव की जलाने और भस्म करने की शक्ति ही देवी स्वाहा का रूप है।”

जब हम हवन में सामग्री अर्पित करते हैं, तो देवी स्वाहा ही उस सामग्री को भस्म करके देवताओं तक पहुँचाती हैं। इसलिए उन्हें “परिपाककरी” कहा गया है यानी जो आहुति को पचाकर देवताओं तक पहुँचाए।

हवन में स्वाहा क्यों बोलते हैं ?

प्राचीन कथा के अनुसार:

सृष्टि के प्रारंभ में जब ब्राह्मण लोग यज्ञ करते थे, तो आहुति देवताओं तक नहीं पहुँचती थी।

देवताओं ने ब्रह्माजी से प्रार्थना की, तब भगवान श्रीकृष्ण के आदेश से देवी स्वाहा प्रकट हुईं।

ब्रह्माजी ने कहा —

“आप अग्निदेव की दाहिका शक्ति बनें, ताकि आहुति देवताओं तक पहुँच सके।”

देवी स्वाहा ने तपस्या की और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया

“जो भी मंत्र के अंत में ‘स्वाहा’ बोलेगा, उसकी आहुति देवताओं तक अवश्य पहुँचेगी।”

तभी से हर मंत्र के अंत में “स्वाहा” बोला जाता है।

देवी स्वाहा के 16 सिद्धिदायक नाम

पुराणों में देवी स्वाहा के ये 16 नाम बताए गए हैं। इनका स्मरण करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं

क्रम नाम 

1. स्वाहा

2. वह्निप्रिया

3. वह्निजाया

4. संतोषकारिणी

5. शक्ति

6. क्रिया

7. कालदात्री

8. परिपाककरी

9. ध्रुवा

10. गति

11. नरदाहिका

12. दहनक्षमा

13. संसारसाररूपा

14. घोरसंसारतारिणी

15. देवजीवनरूपा

16. देवपोषणकारिणी

निष्कर्ष

हवन में “स्वाहा” बोलना कोई परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है।

यह देवी स्वाहा को आह्वान करने का तरीका है, ताकि हमारी आहुति देवताओं तक पहुँच सके।

इसलिए जब भी हवन करें, “स्वाहा” शब्द को भावपूर्ण श्रद्धा से बोलें।

Must Read कुशा: जानें कुशा का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्त्व 

FAQ – स्वाहा से जुड़े प्रश्न 

Ans 1. स्वाहा कब बोलना चाहिए ?

👉 जब भी हवन सामग्री अग्नि में अर्पित करें, मंत्र के अंत में “स्वाहा” अवश्य कहें।

Ans 2. अगर स्वाहा न बोला जाए तो क्या होता है ?

👉 पुराणों के अनुसार, स्वाहा के बिना आहुति देवताओं तक नहीं पहुँचती।

Ans 3. क्या “स्वधा” भी ऐसा ही शब्द है ?

👉 नहीं। “स्वाहा” देवताओं के लिए, जबकि “स्वधा” पितरों के लिए कहा जाता है।

डिसक्लेमर इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Exit mobile version