
जया एकादशी 2026: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, कथा और आरती
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे अजा एकादशी भी कहा गया है। शास्त्रों में जया एकादशी को दुख, दरिद्रता और पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी बताया गया है।
मान्यता है कि इस व्रत से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। भक्तों के घर-परिवार में सुख-शांति बढ़ती है और कष्ट दूर होते हैं।
जया एकादशी 2026
➡️ इस वर्ष जया एकादशी 29 जनवरी 2026 (गुरुवार) को मनाई जाएगी।
जया एकादशी 2026: शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
एकादशी तिथि प्रारंभ: 28 जनवरी 2026, बुधवार शाम 04:35 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 29 जनवरी 2026, गुरुवार दोपहर 01:55 बजे
अभिजीत मुहूर्त: 11:54 AM – 12:37 PM (अत्यंत शुभ)
जया एकादशी व्रत पूजा विधि (Jaya Ekadashi vrat Puja Vidhi)
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य फल मिलता है। व्रत विधि इस प्रकार है—
1️⃣ दशमी का नियम
- दशमी तिथि पर एक समय सात्त्विक भोजन लें। ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
2️⃣ स्नान व संकल्प
- प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु का धूप, दीप, पुष्प, फल और पंचामृत से अभिषेक करें।
- श्री कृष्ण रूप में विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
3️⃣ रात्रि जागरण
- रात में श्री हरि के भजन-कीर्तन करें। जागरण शुभ फल देता है।
4️⃣ द्वादशी पारण
- द्वादशी तिथि में ब्राह्मण या ज़रूरतमंद को भोजन कराएँ।
- दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
जया एकादशी का महत्व (Mahatyam)
धर्म शास्त्रों में इसे भीष्म एकादशी भी कहा गया है।
इस व्रत से
- पापों का नाश होता है
- भूत-प्रेत और पिशाच जैसी नीच योनियों से मुक्ति मिलती है
- दुख और कष्ट दूर होते हैं
- घर में शांति और समृद्धि बढ़ती है
- भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है
श्री कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर को इसकी महिमा बताकर इसके पुण्य का वर्णन किया है।
जया एकादशी की कथा (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
नंदन वन में देवताओं का उत्सव चल रहा था। गंधर्वों का गायन और अप्सराओं का नृत्य हो रहा था।
माल्यवान नामक गंधर्व और पुष्पवती नामक गंधर्वी भी प्रस्तुति दे रहे थे। उसी समय पुष्पवती माल्यवान को देखकर मोहित हो गई और नृत्य की मर्यादा भूल बैठी। माल्यवान भी उसकी भंगिमा देखकर अपना गायन बिगाड़ बैठा।
देवेंद्र इंद्र ने दोनों के इस अमर्यादित व्यवहार पर क्रोधित होकर कहा—
“तुम दोनों स्वर्ग से गिरकर पिशाच योनि को प्राप्त होगे।”
इंद्र के श्राप से दोनों तुरंत पिशाच बन गए और हिमालय के एक वृक्ष पर रहने लगे।
दोनों अत्यंत कष्ट झेल रहे थे।
एक बार माघ शुक्ल एकादशी के दिन वे अत्यंत दुःखी होकर केवल फलाहार पर रहे।
रात को ठंड के कारण दोनों जागते रहे और उसी रात उनकी मृत्यु हो गई।
उनका यह उपवास और रात्रि जागरण जया एकादशी व्रत के समान हो गया।
इससे वे पिशाच योनि से मुक्त हो गए और पहले से भी अधिक दिव्य शरीर प्राप्त कर स्वर्ग लौट आए।
इंद्र ने जब उन्हें देखा तो आश्चर्य किया।
माल्यवान ने कहा—
“हे देवेंद्र! यह सब जया एकादशी के प्रभाव से हुआ है।”
इस कथा को सुनाकर श्री कृष्ण ने कहा—
“जो भक्त जया एकादशी का व्रत करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और दिव्य लोक को प्राप्त करता है।”
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भगवान जगदीश्वर की आरती (Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे॥
जया एकादशी 2026: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. जया एकादशी 2026 कब है ?
जया एकादशी 2026 29 जनवरी, गुरुवार को मनाई जाएगी।
Q2. जया एकादशी की तिथि कब से कब तक रहेगी ?
एकादशी तिथि 28 जनवरी शाम 04:35 बजे से शुरू होकर
29 जनवरी दोपहर 01:55 बजे तक रहेगी।
Q3. जया एकादशी किसे कहते हैं ?
माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। इसे अजा एकादशी और भीष्म एकादशी भी कहते हैं।
Q4. जया एकादशी का क्या महत्व है ?
यह व्रत पापों का नाश करता है, दुख-दारिद्र्य दूर करता है और भूत-पिशाच जैसी नीच योनियों से मुक्ति दिलाता है। इस व्रत से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल मिलता है।
Q5. जया एकादशी पर कौन-सी पूजा की जाती है ?
इस दिन भगवान विष्णु और श्री कृष्ण के रूप की पूजा की जाती है। धूप, दीप, फूल, फल, पंचामृत एवं तुलसी अर्पित की जाती है।
Q6. जया एकादशी की व्रत विधि क्या है ?
दशमी को एक समय सात्त्विक भोजन लें, एकादशी को व्रत-संकल्प करें, विष्णु पूजा करें, रात्रि जागरण करें और द्वादशी को भोजन कराकर पारण करें।
Q7. क्या जया एकादशी पर फलाहार किया जाता है ?
हाँ, भक्त इस दिन फलाहार, निर्जल या जल-फलाहार व्रत रखते हैं। व्रत की विधि अपनी क्षमता अनुसार की जा सकती है।
Q8. जया एकादशी का पारण कब किया जाता है ?
द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद ब्राह्मण या जरुरतमंद को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देने के बाद पारण किया जाता है।
Q9. जया एकादशी की कथा क्या है ?
इंद्र द्वारा श्रापित गंधर्व माल्यवान और पुष्पवती ने अनजाने में जया एकादशी का व्रत किया। इससे उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिली और वे पुनः स्वर्ग लौट गए।
Q10. क्या जया एकादशी सभी पापों से मुक्ति देती है ?
हाँ, शास्त्रों के अनुसार यह व्रत सभी प्रकार के पापों, कष्टों और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति दिलाता है।
