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करवा चौथ उद्यापन विधि | Karwa Chauth Udyapan Vidhi in Hindi | चौथ माता पूजा विधि

🌸 करवा चौथ उद्यापन विधि | Karwa Chauth Udyapan Vidhi in Hindi

करवा चौथ व्रत हर विवाहित स्त्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत माना जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना से यह व्रत रखती हैं। जब महिला एक वर्ष तक नियमित रूप से चौथ का व्रत करती है, तब उसके पूर्ण होने पर “करवा चौथ उद्यापन” किया जाता है। उद्यापन करने से व्रत पूर्ण माना जाता है और देवी माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है

🌼 करवा चौथ उद्यापन का महत्व

करवा चौथ का उद्यापन विशेष धार्मिक नियमों से किया जाता है। मान्यता है कि जब तक उद्यापन न हो, तब तक व्रत अधूरा रहता है। इस दिन सुहागिनें चौथ माता की पूजा के साथ तेरह सुहागिनों को भोजन कराती हैं और सास-ससुर का आशीर्वाद लेती हैं।

🌿 करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि

1. उद्यापन का दिन:

करवा चौथ का उद्यापन उसी दिन किया जाता है जिस दिन व्रत रखा जाता है।

2. तेरह सुहागिनों को निमंत्रण:

तेरह ऐसी महिलाओं को आमंत्रित करें जो करवा चौथ का व्रत करती हों। उन्हें सुपारी देकर भोजन के लिए आमंत्रित करें।

3. भोजन की तैयारी:

घर पर हलवा-पूरी और परिवार की परंपरा के अनुसार व्यंजन तैयार करें।

छोले या गोभी की सब्जी

पनीर की सब्जी

मिर्ची के टपोरे

(भोजन में लहसुन-प्याज का प्रयोग न करें।)

4. पूजन थाली की तैयारी:

एक थाली में तेरह स्थान पर चार-चार पूरी रखें और उन पर हलवा डालें।

थाली पर रोली से टीका करें, चावल लगाएँ और पल्लू से सात बार थाली के चारों ओर घुमाएँ।

5. सासु माँ का आशीर्वाद:

दूसरी थाली में भोजन के साथ सुहाग का सामान रखें —

बेस, सोने की लोंग, लच्छा, बिंदी, बिछिया, मेहंदी, चूड़ा, काजल और कुछ रूपये।

यह थाली सासु माँ को अर्पित करें और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।

6. तेरह महिलाओं को भोजन कराना:

पहले हलवा-पूरी की थाली से सबको परोसें।

भोजन के बाद रोली से टीका करें और सुहाग सामग्री उपहार स्वरूप दें।

7. सांख्या-साखी (साक्षी):

देवर या जेठ के बेटे को भोजन कराएँ। उसे नारियल और रूपये दें।

8. यदि तेरह महिलाएं घर नहीं आ सकें:

तो उनके हिस्से का भोजन और सुहाग सामग्री उनके घर भिजवाएँ।

🌺 उद्यापन के बाद व्रत करने का नियम

उद्यापन के बाद भी करवा चौथ व्रत रखा जा सकता है। इस स्थिति में महिलाएं व्रत के दौरान जल या फल ग्रहण कर सकती हैं, जिसे “फलाहार व्रत” कहा जाता है।

🌸 निष्कर्ष

करवा चौथ का उद्यापन श्रद्धा, भक्ति और प्रेम से किया जाए तो इसका फल अनंत होता है। यह व्रत न केवल दांपत्य जीवन को सुखमय बनाता है बल्कि परिवार में सौभाग्य, शांति और समृद्धि भी लाता है।

।। चौथ माता की जय ।।

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❓ करवा चौथ उद्यापन विधि से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

1. करवा चौथ उद्यापन कब किया जाता है ?

करवा चौथ उद्यापन उसी दिन किया जाता है जिस दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। पूजा और चंद्र दर्शन के बाद उद्यापन किया जाता है।

2. उद्यापन के लिए कितनी महिलाओं को बुलाना चाहिए ?

उद्यापन में परंपरागत रूप से तेरह सुहागिन महिलाओं को आमंत्रित किया जाता है और उन्हें भोजन कराकर सुहाग का सामान भेंट किया जाता है।

3. अगर तेरह महिलाएं घर नहीं आ सकें तो क्या करें ?

यदि सभी महिलाएं उपस्थित नहीं हो पाएं, तो उनके हिस्से का भोजन और सुहाग सामग्री उनके घर भिजवाया जा सकता है।

4. करवा चौथ उद्यापन में क्या भोजन बनाया जाता है ?

उद्यापन में हलवा, पूरी, छोले या गोभी की सब्जी, पनीर की सब्जी और बिना लहसुन-प्याज वाले शुद्ध सात्विक भोजन बनाए जाते हैं।

5. क्या उद्यापन के बाद भी करवा चौथ का व्रत किया जा सकता है ?

हाँ, उद्यापन के बाद भी करवा चौथ का व्रत रखा जा सकता है। चाहें तो जल या फल ग्रहण करके फलाहार रूप में व्रत जारी रखा जा सकता है।

6. सासु माँ को क्या भेंट करना चाहिए ?

सासु माँ को भोजन के साथ सुहाग के सामान जैसे बिंदी, लच्छा, चूड़ा, लोंग, काजल, मेहंदी, बिछिया और कुछ रूपये भेंट करें और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।

7. करवा चौथ उद्यापन का धार्मिक महत्व क्या है ?

उद्यापन व्रत की पूर्णता का प्रतीक है। इसे करने से देवी चौथ माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में सौभाग्य व समृद्धि बनी रहती है।

⚠️ डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है।

विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं।

हमारा उद्देश्य केवल सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दी जा सकती।

कृपया किसी भी प्रकार के उपयोग से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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