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कर्ज मुक्ति के उपाय | कर्ज के ज्योतिषीय कारण, उपाय और धनहीनता के योग | Astrology on Loans & Debts

🌼 कर्ज मुक्ति के उपाय | कर्ज के विभिन्न दृष्टिकोण | कर्ज के ज्योतिषीय कारण और उपाय 🌼

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कर्ज (ऋण) का गहरा संबंध ग्रहों की स्थिति और जन्म कुंडली के भावों से माना गया है।

मंगल ग्रह को ऋण का प्रमुख कारक ग्रह कहा गया है। यदि कुंडली में मंगल या अन्य पाप ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव से प्रभावित हों, तो व्यक्ति के जीवन में कर्ज का बोझ बढ़ जाता है।

कुछ वार भी ऐसे बताए गए हैं जिन पर कर्ज लेना या देना अशुभ होता है।

आइए जानते हैं कर्ज के ज्योतिषीय दृष्टिकोण, कर्ज और वार का संबंध, तथा धनहीनता के प्रमुख योग।

🔹 कर्ज के ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह कर्ज का कारक ग्रह है।

शास्त्रों में मंगलवार को कर्ज लेना निषेध माना गया है, जबकि बुधवार को कर्ज देना अशुभ बताया गया है।

मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवनभर कर्ज नहीं चुका पाता और उसकी संतानों को भी कष्ट होता है।

👉 कुंडली में कर्ज से जुड़े प्रमुख भाव

इन भावों के बीच संतुलन न होने पर व्यक्ति ऋणग्रस्त हो जाता है।

कुंडली में सर्प दोष, वास्तु दोष, शनि-मंगल का प्रभाव या पापग्रहों की दृष्टि भी कर्ज के प्रमुख कारण होते हैं।

🔸 ऋण योग बनने के संकेत

🌼 कर्ज और वार का संबंध

वार | अधिष्ठाता देवता | कर्ज लेने-देने का फल

सोमवार माता पार्वती कर्ज लेना-देना शुभ

मंगलवार भगवान कार्तिकेय कर्ज लेना निषेध, पुराना कर्ज चुकाना शुभ

बुधवार भगवान विष्णु (गणेशजी का वार) कर्ज देना अशुभ

गुरुवार भगवान ब्रह्मा कर्ज देना निषेध, लेना शीघ्र उतरता है

शुक्रवार भगवान इन्द्र कर्ज लेना-देना दोनों दृष्टि से शुभ

शनिवार भगवान शनिदेव कर्ज लेन-देन से बचें, विलंब से चुकता होता है

रविवार भगवान शिव कर्ज लेना-देना दोनों ही अशुभ

विशेष उपाय:

यदि कर्ज से मुक्ति नहीं मिल रही हो तो हर बुधवार गणेशजी के सामने ‘ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र’ का तीन बार पाठ करें और यथाशक्ति पूजन करें।

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🌼 धनहीनता के ज्योतिषीय योग

ज्योतिष शास्त्र में योगों का विशेष महत्व है।

जब दो या अधिक ग्रह युति, दृष्टि या स्थिति के माध्यम से संबंध बनाते हैं, तब योग निर्मित होता है।

नीचे कुछ ऐसे योग दिए गए हैं जो धन की कमी या कर्ज की वृद्धि का संकेत देते हैं

🔹 प्रमुख धनहानि योग

निष्कर्ष:

धनेश, लाभेश, दशमेश, लग्नेश और भाग्येश के निर्बल होने से धनहीनता का योग बनता है।

ऐसे योगों का प्रभाव योगकारक ग्रहों की दशा-अन्तर्दशा में विशेष रूप से दिखाई देता है।

🌼 कर्ज से मुक्ति के ज्योतिषीय उपाय

यदि कोई व्यक्ति निरंतर कर्ज के बोझ से दबा हो तो ये उपाय लाभदायक सिद्ध होते हैं —

🔸 1. ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ

हर बुधवार गणेशजी के सामने तीन बार पाठ करें।

> मंत्र: “ॐ गणाधिपाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥”

🔸 2. मंगलवार को कर्ज न लें

मंगल ग्रह ऋण का कारक है। इस दिन केवल पुराना कर्ज चुकाएं।

🔸 3. शनिदेव की शांति

शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाकर “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप करें।

🔸 4. वास्तु सुधार

उत्तर-पूर्व को हल्का और दक्षिण दिशा को मजबूत रखें। इससे व्यय कम होते हैं।

🔸 5. दान-पुण्य

मंगल या शनिवार को लाल वस्त्र, मसूर दाल, तांबा आदि का दान करें।

🌸 निष्कर्ष

कर्ज केवल आर्थिक स्थिति का परिणाम नहीं है, बल्कि यह ग्रहों, दोषों और कर्मों का भी प्रभाव है।

ज्योतिषीय उपायों, पूजा-पाठ और वास्तु संतुलन से न केवल ऋण से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में स्थिरता और समृद्धि भी प्राप्त होती है।

🌼 कर्ज और ज्योतिष से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

❓1. ज्योतिष शास्त्र में कर्ज का कारक ग्रह कौन-सा है ?

उत्तर: ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह कर्ज का प्रमुख कारक ग्रह है।

यदि कुंडली में मंगल कमजोर हो या पापग्रहों से प्रभावित हो, तो व्यक्ति जीवनभर ऋणग्रस्त रहता है।

❓2. किस वार को कर्ज लेना या देना अशुभ माना गया है ?

उत्तर: मंगलवार को कर्ज लेना और बुधवार को कर्ज देना अशुभ माना गया है।

मंगलवार को कर्ज लेने से व्यक्ति उसे जल्दी चुका नहीं पाता, जबकि बुधवार को दिया गया कर्ज वापस नहीं मिलता।

❓3. कर्ज से मुक्ति के लिए कौन-सा मंत्र सबसे प्रभावी है ?

उत्तर: कर्ज से मुक्ति के लिए “ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र” का पाठ अत्यंत प्रभावी माना गया है।

हर बुधवार गणेशजी के सामने इसका तीन बार पाठ करें और दीपक जलाएं।

❓4. क्या वास्तु दोष भी कर्ज बढ़ा सकता है ?

उत्तर: हाँ, यदि घर के उत्तर-पूर्व कोण में भारी निर्माण या दक्षिण दिशा हल्की हो, तो व्यक्ति के व्यय बढ़ जाते हैं और कर्ज लेने की नौबत आती है।

इसलिए घर के निर्माण में दिशा संतुलन का विशेष ध्यान रखें।

❓5. कुंडली में धनहीनता के योग कब बनते हैं ?

उत्तर: जब धनेश, लग्नेश, लाभेश या दशमेश निर्बल हों, या छठे, आठवें या बारहवें भाव में पापग्रह बैठे हों, तब धनहीनता के योग बनते हैं।

ऐसे व्यक्ति को जीवन में बार-बार आर्थिक संकट झेलना पड़ता है।

⚠️ डिसक्लेमर 

इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है।

विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं।

हमारा उद्देश्य केवल सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दी जा सकती।

कृपया किसी भी प्रकार के उपयोग से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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