
🕉️ श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा | Kashi Vishwanath Jyotirlinga Story in Hindi
🌺 परिचय — काशी, शिव की नगरी
वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, तीनों लोकों में पवित्रतम नगरी मानी गई है। यह वही नगर है जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजमान है।
स्कंद पुराण के अनुसार, जब सृष्टि का विनाश होता है, तब भी काशी का नाश नहीं होता, क्योंकि स्वयं महादेव इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं।
इसलिए काशी को अविमुक्त क्षेत्र, आनंदवन और मोक्षपुरी भी कहा गया है।
यहाँ स्थित है — श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, जिसे काशी विश्वनाथ या विश्वेश्वर भी कहा जाता है।
🌸 काशी की उत्पत्ति का रहस्य
एक समय माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रश्न किया
“प्रभो! यह काशी नगरी इतनी पवित्र क्यों है? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ?”
तब भगवान शिव ने कहा —
“प्रिये! जब महाप्रलय के समय सृष्टि का सर्वनाश हो गया था, तब केवल ‘सत्’ स्वरूप ब्रह्म ही विद्यमान थे। सूर्य, चंद्र, तारे, ग्रह कुछ भी नहीं था।
उसी समय मैंने अपने लीला संकल्प से सृष्टि की रचना करने का निश्चय किया।
अपने तेज से मैंने एक दिव्य क्षेत्र की रचना की वह था ‘काशी’।
यह क्षेत्र सदा अविनाशी रहेगा। प्रलय के समय भी इसका लोप नहीं होगा।”
इस प्रकार भगवान शिव ने अपने आनंद के लिए आनंदवन (काशी) का निर्माण किया।
🔱 प्रकृति और पुरुष का उद्भव
भगवान शिव ने अपनी शक्ति माता पार्वती को प्रकट किया, और उनसे कहा —
“हे प्रिये, तुम ही मेरी माया स्वरूपा प्रकृति हो। तुम्हारे बिना सृष्टि नहीं बन सकती।”
तब भगवान शिव और शक्ति ने मिलकर प्रकृति और पुरुष (विष्णु) की उत्पत्ति की।
महादेव की आज्ञा से भगवान विष्णु ने सृष्टि की आरंभिक रचना की।
🌼 भगवान विष्णु की तपस्या और मणिकर्णिका तीर्थ
भगवान विष्णु ने सृष्टि के आरंभ में भगवान शिव का ध्यान किया और कठोर तपस्या प्रारंभ की।
उन्होंने अपने चक्र से एक सरोवर खोदा और उसे अपने शरीर के पसीने से भर दिया यह वही मणिकर्णिका तीर्थ कहलाया।
जब विष्णु ने तपस्या की, तो प्रसन्न होकर भगवान शिव माता पार्वती के साथ प्रकट हुए।
विष्णु ने कहा —
“हे महादेव! मैं चाहता हूँ कि आप सदैव इस स्थान पर दर्शन दें।”
भगवान शिव ने वचन दिया —
“हे विष्णु! मैं इस भूमि में सदैव निवास करूंगा।
जो भी यहाँ मृत्यु को प्राप्त होगा, उसे मैं तारक मंत्र का उपदेश दूंगा और वह मोक्ष को प्राप्त करेगा।”
🛕 पंचतीर्थ और अविमुक्त क्षेत्र
काशी क्षेत्र पाँच प्रमुख तीर्थों से घिरा हुआ है:
1. दशाश्वमेध तीर्थ
2. लोलार्क तीर्थ
3. बिन्दुमाधव तीर्थ
4. केशव तीर्थ
5. मणिकर्णिका तीर्थ
इन पाँचों के कारण काशी को “अविमुक्त क्षेत्र” कहा गया।
यहाँ भगवान विश्वनाथ स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए।
🔔 मंदिर का इतिहास
पुरातन काल में काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्स्थापित किया गया था।
मुग़ल काल में औरंगज़ेब ने मंदिर को ध्वस्त कर उस स्थान पर मस्जिद बनवाई, जिसे आज ज्ञानवापी कहा जाता है।
बाद में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर पर सोने का कलश चढ़वाया।
🌿 स्कंद पुराण में वर्णित महिमा
स्कंद पुराण के काशी खंड में वर्णन है कि —
“काशी में मरने वाला कोई भी प्राणी मोक्ष को प्राप्त करता है, क्योंकि स्वयं भगवान विश्वनाथ उसके कानों में तारक मंत्र का उपदेश देते हैं।”
यह भी कहा गया है कि —
“काशी क्षेत्र में मृत्यु का अर्थ है जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति।”
🔆 विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की दिव्यता
भगवान विश्वनाथ न केवल काशी के, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं।
वे ही निर्गुण ब्रह्म हैं, जो सगुण शिव के रूप में इस धरा पर विराजमान हैं।
माँ अन्नपूर्णा देवी उनकी अर्धांगिनी हैं, जो भक्तों को भोजन और ज्ञान दोनों का प्रसाद देती हैं।
🕉️ शिव महापुराण में कहा गया है
“काशी पुरी सदा रहस्यात्मक और मोक्षदायिनी है।
यहाँ रहने वाले बालक, वृद्ध, स्त्री या पुरुष चाहे किसी भी वर्ण या आश्रम के हों यदि इस भूमि पर मृत्यु हो जाए, तो वह आत्मा अवश्य मोक्ष को प्राप्त करती है।”
भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा —
“मुझे काशी पुरी में रहना सबसे प्रिय है।
मैं इसे कभी नहीं छोड़ता, क्योंकि यहाँ मेरा निवास ही जीवों के उद्धार का कारण है।”
🌸 निष्कर्ष मोक्ष की नगरी काशी
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि सच्चिदानंद परमात्मा का साक्षात् स्वरूप है।
यहाँ स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती निवास करते हैं।
जो भक्त श्रद्धा से काशी विश्वनाथ का नाम भी लेता है, वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
> “हर हर महादेव! काशी विश्वनाथ शरणं मम।”
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Frequently Asked Questions (FAQ)
❓1. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कहाँ स्थित है ?
उत्तर: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में स्थित है। यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
❓2. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा क्या है ?
उत्तर: यह स्थान मोक्ष का द्वार है। यहाँ मृत्यु को प्राप्त होने वाला जीव भगवान विश्वनाथ के तारक मंत्र से मुक्त होता है और जन्म-मरण के चक्र से बाहर निकल जाता है।
❓3. काशी को “अविमुक्त क्षेत्र” क्यों कहा जाता है ?
उत्तर: क्योंकि यह भूमि भगवान शिव का प्रिय स्थान है। वे इसे कभी नहीं छोड़ते और यहाँ मृत्यु होने वाले सभी जीवों को मोक्ष प्रदान करते हैं।
❓4. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण किसने कराया था ?
उत्तर: वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।
बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने इसके शिखर पर सोने का कलश चढ़वाया।
❓5. काशी विश्वनाथ मंदिर को पहले किसने नष्ट किया था ?
उत्तर: मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनवाई। वर्तमान मंदिर ज्ञानवापी से कुछ दूरी पर स्थित है।
❓6. दर्शन का महत्व क्या है ?
उत्तर: विश्वनाथ जी के दर्शन से भक्त के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है। यहाँ गंगा स्नान और मणिकर्णिका तीर्थ का स्नान भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।
❓7. क्या काशी में मृत्यु होने से मोक्ष मिलता है ?
उत्तर: हाँ, स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार, काशी में मृत्यु प्राप्त करने वाला जीव तारक मंत्र से मोक्ष प्राप्त करता है।
❓8. काशी विश्वनाथ मंदिर के पास कौन-कौन से प्रमुख तीर्थ हैं ?
उत्तर: पाँच प्रमुख तीर्थ हैं
1. श्री दशाश्वमेध
2. श्री लोलार्क कुंड
3. श्री बिन्दुमाधव मंदिर
4. श्री केशव मंदिर
5. श्री मणिकर्णिका तीर्थ
❓9. काशी का नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर: काशी शब्द संस्कृत के “कश” धातु से बना है, जिसका अर्थ है प्रकाश। यह भूमि ज्ञान और मोक्ष के प्रकाश से जगमगाती है।
❓10. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का आध्यात्मिक संदेश क्या है ?
उत्तर: यह ज्योतिर्लिंग शिवत्व, मोक्ष और सच्चिदानंद ब्रह्म की शिक्षा देता है। उनकी शरण में भक्त आत्मा को शांति और मुक्तिदायक अनुभव प्राप्त करता है।
