
नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, कथा, मंत्र और आरती | Navratri Second day: Maa Brahmacharini Puja vidhi, story, mantra and aarti
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरूप – ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है। यह स्वरूप तपस्या, त्याग, संयम और साधना का प्रतीक है। माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना साधकों को आध्यात्मिक बल, धैर्य, और विजय प्रदान करती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का परिचय | Maa Brahmacharini Introduction
स्वरूप: गौर वर्ण, शांत रूप, हाथों में अक्षमाला और कमंडल।
नाम: ब्रह्मचारिणी, अपर्णा, तपश्चारिणी, उमा।
संदेश: आत्म संयम, वैराग्य और तप से ही शक्ति प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर उन्हें शिवजी की अर्धांगिनी होने का वर मिला।
माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि (माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना कैसे करें)
1. कलश पूजन: देवी-देवताओं, योगिनियों, नवग्रह आदि का पूजन करें।
2. प्रार्थना मंत्र:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
3. अर्पण करें:
पंचामृत स्नान
फूल, रोली, चंदन, अक्षत, अरुहूल व कमल के फूल
दीपक और कपूर से आरती
4. अंत में क्षमा प्रार्थना करें:
आवाहनं न जानामि, न जानामि वसर्जनं।
पूजां चैव न जानामि, क्षमस्व परमेश्वरी॥
माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र | Maa Brahmacharini Mantra
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
माँ ब्रह्मचारिणी ध्यान | Maa Brahmacharini Meditation
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा | Maa Brahmacharini Story
1.माँ ब्रह्मचारिणी, राजा हिमालय और रानी मैना की पुत्री थीं। नारद जी के उपदेश पर उन्होंने शिवजी को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया।
2. हजारों वर्षों तक फल-फूल, शाक, फिर सूखे बिल्वपत्र पर जीवन निर्वाह।
3. अंत में निर्जल और निराहार तपस्या।
4. तप के प्रभाव से उनका नाम पड़ा – “अपर्णा”।
5. तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने वरदान दिया और माँ को शिवजी की पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
माँ ब्रह्मचारिणी की साधना का महत्व | Importance of worship of Mother Brahmacharini
1. साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है।
2. साधना से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
3. धैर्य, एकाग्रता, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
4. रोग, भय, और मानसिक संकटों का नाश होता है।
📚 विद्यार्थियों के लिए विशेष उपाय
यदि पढ़ाई में मन नहीं लगता, याददाश्त कमजोर है तो ये उपाय करें:
1. ✅ गुरुवार को 5 पीले पेड़े अपने ऊपर से 7 बार उतारें,
2. ✅ 7 बार “ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं” मंत्र का जाप करें,
3. ✅ गाय को खिला दें।
📦 अध्ययन कक्ष उपाय:
9 हल्दी की गांठें पीले कपड़े में बांधकर पढ़ाई के कमरे में रखें और प्रतिदिन “ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं” मंत्र का जाप करें।
माँ ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र | Maa Brahmacharini Stotra
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
मां ब्रह्मचारिणी कवच | Mother Brahmacharini kavach
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
नवरात्री में दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाता हैं
माँ ब्रह्मचारिणी जी की आरती | Mother Brahmacharini Aarti
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रख ना लाज मेरी महतारी।
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