
राधा कुंड स्नान महत्व: कार्तिक अष्टमी पर संतान सुख की आस्था
श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में अनेक तीर्थ स्थान हैं। इन्हीं में एक है राधा कुंड। यह गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। इसे राधारानी और श्रीकृष्ण के दिव्य प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
राधा कुंड का महत्व
श्री राधा कुंड बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। श्रद्धालु यहाँ स्नान करके पुण्य की कामना करते हैं। गोवर्धन परिक्रमा करने वाले भक्त विशेष रूप से इस कुंड पर रुकते हैं। श्याम कुंड के साथ इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।
राधा कुंड की पौराणिक कथा
एक समय अरिष्टासुर नामक राक्षस ने बैल का रूप धारण कर वृंदावन में आतंक मचाया। श्रीकृष्ण ने उसका वध किया। बैल को गौवंश का प्रतीक माना जाता है। इसलिए राधारानी ने श्रीकृष्ण को पापमुक्त होने का उपाय करने को कहा।
गोपियों ने अपने गहनों और हाथों से मिट्टी खोदकर एक कुंड बनाया। उन्होंने पवित्र सरोवरों को स्मरण कर जल आमंत्रित किया। यह कुंड राधा कुंड कहलाया। श्रीकृष्ण ने भी एक अलग कुंड बनाया, जिसे श्याम कुंड कहते हैं। दोनों आज भी साथ स्थित हैं।
यह कथा प्रेम, भक्ति और शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है।
कार्तिक कृष्ण अष्टमी की मान्यता
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यहाँ स्नान शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन दंपत्ति एक साथ स्नान करें तो उन्हें संतान सुख मिलता है। देश के कई हिस्सों से विवाहित जोड़े इस अवसर पर आते हैं।
राधा कुंड व्रत और स्नान की प्रक्रिया
✅ निर्जला व्रत
दंपत्ति इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं। यह व्रत बिना पानी पिए किया जाता है।
✅ स्नान का समय
स्नान सप्तमी की रात को किया जाता है। जब पुष्य नक्षत्र लग जाता है, तब रात 12 बजे से स्नान शुरू होता है।
✅राधा कुंड स्नान विधि
पहले आचमन किया जाता है। फिर राधा कुंड में डुबकी लगाई जाती है। स्नान के बाद दीपदान और पुष्प अर्पण किया जाता है।
संतान प्राप्ति की मान्यता
भक्तों का विश्वास है कि यह स्नान संतान सुख का मार्ग खोलता है। कई दंपत्ति संकल्प लेकर कुंड में डुबकी लगाते हैं और पूजा करते हैं।
निष्कर्ष
राधा कुंड केवल एक तीर्थ नहीं है। यह भक्तों की आस्था और उम्मीदों का केंद्र है। कार्तिक अष्टमी की रात यहाँ स्नान करना शुभ माना जाता है। जोड़े इस दिन संतानों की कामना से आते हैं और आशीर्वाद लेते हैं।
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✅ FAQs
Q1. राधा कुंड कहाँ है ?
यह मथुरा ज़िले में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर स्थित है।
Q2. स्नान कब किया जाता है ?
सप्तमी की रात, पुष्य नक्षत्र लगने पर, रात 12 बजे से।
Q3. क्या संतान सुख की प्राप्ति होती है ?
मान्यता है कि विवाहित जोड़े को संतान का आशीर्वाद मिलता है।
Q4. व्रत कैसे रखा जाता है ?
कार्तिक कृष्ण अष्टमी को निर्जला व्रत किया जाता है।
Q5. क्या अविवाहित भी स्नान कर सकते हैं ?
हाँ, लेकिन संतान सुख का फल दंपत्तियों के लिए माना गया है।
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