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राधा रानी जी की आरती | आरती भानु दुलारी की | Radha Rani Aarti in Hindi 

राधा रानी जी की आरती | आरती भानु दुलारी की | Radha Rani Aarti in Hindi

श्री राधा रानी श्रीकृष्ण की परम प्रिया हैं। वे प्रेम, भक्ति और करुणा की मूर्ति मानी जाती हैं। जो भक्त सच्चे मन से राधा रानी की आरती करते हैं, उनके जीवन में प्रेम, सौभाग्य और शांति का वास होता है। प्रस्तुत है “आरती भानु दुलारी की” जो राधा रानी जी को समर्पित अत्यंत मधुर आरती है।

राधा रानी जी की आरती (आरती भानु दुलारी की)

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥ टेक ॥

विराजै सिंहासन श्यामा,

दिव्य श्री वृन्दावन धामा,

ढुरावै चंवर सुघर बामा,

पलोटै पग पूरण कामा ॥

लली पग अंक,

चापी निःशंक,

श्याम जनु रंक,

पाई निधि पारस प्यारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

गौर सिर कनक मुकुट राजै,

चन्द्रिका चारु सुछवि छाजै,

कुटिल कुन्तल अली भल भ्राजै,

लखत जेहि शिखि कलाप लाजै ॥

मांग सिंदूर,

मोतियन पूर,

सजीवन मूर,

ब्रह्मा गोवर्धनधारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

श्रवण बिच करणफूल झलकै,

नासिका बिच बेसर हलकै,

गयन बिच प्रेम-सुधा छलकै,

बंधु बल के लखि लखि ललकै ॥

चपलनथ चमक,

दसन दुति दमक,

सुमुखि मुख रमक,

मधुर मुसुकनी सुकुमारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

मोतियन लरु उर मणिमाला,

चिबुक झलकत इक तिल काला,

शम्भू शुक दे संग करताला,

लली गुन गावती ब्रजबाला ॥

कबहुँ मुख मुरली, कबहुँ दृग दुरली, कबहुँ दृग जुरली,

कबहुँ सुधि भुरनी बिहारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

कीनारिन जरिन नील सारी,

कंचुकी कुमकुम रंग वारि,

चुरी कर कंकन मनहारी,

छीन कटि किंकिनि छवि न्यारी ॥

पायलनि पगनि,

मिहावरी लगनि,

बिछुवनी नगनि,

कृपालु सुकृति कुमारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥

आरती भानु दुलारी की,

कि श्री बरसाने वाली की ॥ टेक ॥

🌸 राधा रानी आरती का महत्व

राधा रानी की आरती करने से हृदय में प्रेम और भक्ति का भाव जाग्रत होता है। यह आरती मन की चंचलता को शांत कर आत्मिक शांति प्रदान करती है। राधा जी के नाम का स्मरण करने मात्र से ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आरती का शुभ समय और विधि

राधाष्टमी, शुक्रवार, पूर्णिमा या किसी भी शुभ दिन आरती करें।

आरती से पहले राधा-कृष्ण का स्नान, वस्त्र, फूल, धूप और दीप से पूजन करें।

घी का दीपक जलाकर आरती करें और अंत में प्रसाद अर्पित करें।

💫 राधा रानी आरती करने के लाभ

प्रेम, भक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।

मन में शुद्धता और भक्ति का भाव प्रबल होता है।

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🙏 FAQ – राधा रानी जी की आरती से जुड़े प्रश्न

प्रश्न 1. राधा रानी की आरती कब करनी चाहिए ?

उत्तर: शुक्रवार, राधाष्टमी, पूर्णिमा या प्रतिदिन प्रातः और सायंकाल आरती करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 2. राधा रानी की आरती करते समय क्या चढ़ाएं ?

उत्तर: फूल, माखन-मिश्री, तुलसी पत्र, और सफेद पुष्प अर्पित करना उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 3. क्या राधा रानी की आरती करने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं ?

उत्तर: हां, सच्चे मन से की गई आरती से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।

प्रश्न 4. राधा रानी की आरती कहाँ करें ?

उत्तर: राधा-कृष्ण मंदिर, घर के पूजन स्थल या वृंदावन जैसी पवित्र स्थली पर आरती करना अत्यंत शुभ होता है।

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