सत्यनारायण व्रत कथा द्वितीय अध्याय | पूर्ण कथा, महत्व और पूजन विधि
श्री सत्यनारायण व्रत कथा सुनना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत को करता है, उसके जीवन से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार सत्यनारायण भगवान स्वयं श्री हरि विष्णु का ही स्वरूप हैं।
इस कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति को हजारों यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है।
🌸 श्री सत्यनारायण भगवान व्रत कथा – द्वितीय अध्याय
सूतजी बोले —
हे ऋषियों! जिन्होंने पहले समय में इस व्रत को किया, उनका वृत्तांत कहता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनो।
सुंदर काशीपुरी नगरी में एक अत्यंत निर्धन ब्राह्मण रहता था। वह भूख और प्यास से व्याकुल होकर नित्य ही पृथ्वी पर भिक्षा के लिए घूमता रहता था।
ब्राह्मणों से प्रेम करने वाले भगवान ने उसे दुखी देखकर एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण किया और उसके पास जाकर बोले —
“हे विप्र! तुम इतना दुखी होकर पृथ्वी पर क्यों भटक रहे हो? मुझे कारण बताओ।”
ब्राह्मण ने उत्तर दिया —
“हे भगवन! मैं बहुत निर्धन हूँ, भिक्षा के लिए भटकता हूँ। यदि आप कोई उपाय जानते हैं तो कृपा कर बताइए।”
तब वृद्ध ब्राह्मण बोले —
“हे ब्राह्मण! सत्यनारायण भगवान सब मनोवांछित फल देने वाले हैं। तुम उनका पूजन करो, जिससे मनुष्य सब दुखों से मुक्त हो जाता है।”
यह कहकर सत्यनारायण भगवान अंतर्धान हो गए।
ब्राह्मण ने निश्चय किया —
“मैं यह व्रत अवश्य करूंगा।”
उस रात उसे नींद नहीं आई। सुबह वह भिक्षा के लिए निकला और उस दिन उसे भिक्षा में बहुत धन मिला।
उसने अपने बंधु-बांधवों के साथ सत्यनारायण भगवान का व्रत किया।
व्रत के प्रभाव से वह सभी दुखों से मुक्त होकर सुख और संपत्ति से युक्त हो गया।
उस दिन से वह हर मास यह व्रत करने लगा।
जो भी मनुष्य सत्यनारायण व्रत करता है, वह सब पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
🌿 लकड़हारे की कथा
एक दिन वह ब्राह्मण जब व्रत कर रहा था, तब एक बूढ़ा लकड़हारा वहां आया।
वह प्यास से दुखी था और पूछने लगा —
“हे ब्राह्मण! आप यह क्या कर रहे हैं? कृपा करके मुझे भी बताइए।”
ब्राह्मण ने कहा —
“हे भाई! यह सत्यनारायण भगवान का व्रत है, जो सब मनोकामनाएं पूर्ण करता है। इसी की कृपा से मुझे धन और सुख की प्राप्ति हुई है।”
लकड़हारे ने प्रसाद लिया और संकल्प किया —
“आज लकड़ी बेचने से जो भी धन मिलेगा, उसी से मैं सत्यनारायण व्रत करूंगा।”
उस दिन उसे लकड़ियों का मूल्य पहले दिनों से चार गुना मिला।
प्रसन्न होकर उसने केले, घी, दूध, दही, शक्कर, गेहूं का आटा आदि सामग्री खरीदी और अपने घर जाकर विधि-पूर्वक भगवान का पूजन और व्रत किया।
व्रत के प्रभाव से वह धनवान हुआ और जीवन के समस्त सुख भोगकर बैकुंठ धाम को चला गया।
॥ इति श्री सत्यनारायण व्रत कथा द्वितीय अध्याय सम्पूर्ण ॥
Must Read श्री सत्यनारायण भगवान व्रत कथा तृतीय अध्याय | Satyanarayana Vrat Katha Third Chapter
🌺 व्रत के लाभ
- दरिद्रता और दुखों का नाश होता है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- संतान प्राप्ति, दाम्पत्य सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
व्रत का महत्व
- इस व्रत से दरिद्रता, रोग और संकट नष्ट होते हैं।
- मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है।
- भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है।
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❓ FAQ (सामान्य प्रश्न)
Q. 1: सत्यनारायण व्रत कब करें ?
👉 पूर्णिमा तिथि को या किसी शुभ दिन, विशेषकर गुरुवार को कर सकते हैं।
Q. 2: इस व्रत से क्या लाभ होता है ?
👉 सभी दुखों का नाश होता है, धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Q. 3: व्रत में क्या भोग अर्पित करें ?
👉 पंजीरी, पंचामृत, केला, तुलसी दल, घी, दूध और दही का भोग उत्तम माना गया है।
Q. 4: सत्यनारायण भगवान कौन हैं ?
👉 वे स्वयं श्री हरि विष्णु का स्वरूप हैं, जो भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
🌺 निष्कर्ष
जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक सत्यनारायण व्रत करता है, उसे जीवन में सुख, शांति, धन और मोक्ष – चारों की प्राप्ति होती है।
यह व्रत सचमुच कलयुग में सत्य और भक्ति का प्रतीक है।
