
🏵️ श्री सत्यनारायण भगवान व्रत कथा – चतुर्थ अध्याय (पूर्ण कथा एवं आरती सहित) 🏵️
श्री सत्यनारायण व्रत कथा का प्रत्येक अध्याय भक्तों को जीवन का महत्वपूर्ण संदेश देता है।
चतुर्थ अध्याय में साधु वैश्य, उसकी पत्नी लीलावती, पुत्री कलावती और दामाद की कथा है।
यह अध्याय बताता है कि भगवान की पूजा और प्रसाद का आदर न करने से कैसे विपत्ति आती है और श्रद्धा से पश्चाताप करने पर भगवान अपनी कृपा बरसाते हैं।
🌸 श्री सत्यनारायण व्रत कथा – चतुर्थ अध्याय 🌸
श्री सूतजी बोले –
हे मुनिगण! अब सुनिए, भगवान की कृपा और भक्त के विश्वास से जुड़ी एक और अद्भुत कथा।
साधु नामक एक वैश्य था। उसने अपनी पुत्री कलावती का विवाह सम्पन्न करने के बाद व्यापार के लिए यात्रा आरम्भ की।
उसके साथ उसका दामाद भी गया। दोनों अपनी नौका लेकर समुद्र मार्ग से आगे बढ़े।
🌺 भगवान सत्यनारायण का दण्डी रूप में प्रकट होना
उनकी परीक्षा लेने हेतु भगवान सत्यनारायण दण्डी वेश धारण कर उनके सामने आए।
भगवान ने वैश्य से पूछा –
“हे वैश्य! तेरी नाव में क्या है ?”
अभिमान से भरे वैश्य ने हँसते हुए कहा –
“हे दण्डी! आप क्यों पूछते हैं? क्या धन लेने की इच्छा है? मेरी नाव में तो केवल बेल के पत्ते हैं।”
भगवान ने मुस्कुराकर कहा –
“तथास्तु! तुम्हारा वचन सत्य हो।”
इतना कहकर वे वहाँ से चले गए और समुद्र तट पर बैठ गए।
🌿 दण्डी भगवान के वचन का प्रभाव
कुछ समय बाद जब वैश्य नित्य-क्रिया से निवृत्त होकर लौटा, तो उसने देखा कि उसकी नाव सचमुच बेल-पत्तों से भर गई है!
यह देखकर वह अचंभित हो गया और मूर्च्छित होकर भूमि पर गिर पड़ा।
जब होश आया तो वह शोक करने लगा।
तब उसके दामाद ने कहा –
“पिताजी, यह दण्डी महाराज का श्राप है। हमें उन्हीं की शरण में जाना चाहिए, वही हमारे दुःख दूर करेंगे।”
🌼 पश्चाताप और भगवान की कृपा
दोनों भगवान दण्डी के पास गए और अत्यंत भक्ति-भाव से क्षमा माँगने लगे।
वैश्य ने कहा –
“हे प्रभु! मैंने अज्ञानवश असत्य कहा। मेरी रक्षा कीजिए। मेरी नौका को पुनः धन से परिपूर्ण कर दीजिए।”
भगवान सत्यनारायण उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए।
उन्होंने कहा –
“हे वणिक पुत्र! यह सब मेरी इच्छा से हुआ है। तू अब भक्ति-भाव से पूजा कर, सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।”
यह कहकर भगवान अदृश्य हो गए।
वैश्य और दामाद ने जब नाव पर जाकर देखा, तो वह पुनः रत्नों और धन से भर गई थी।
दोनों ने विधिपूर्वक भगवान का पूजन किया और नगर लौटने लगे।
🌸 लीलावती और कलावती की परीक्षा
नगर के समीप पहुँचकर वैश्य ने अपने घर एक दूत भेजा।
दूत ने जाकर कहा –
“आपके पति और जमाता नगर के पास पहुँच गए हैं।”
उस समय लीलावती और कलावती भगवान सत्यनारायण की पूजा कर रही थीं।
यह सुनकर लीलावती ने पूजा पूर्ण की और कहा –
“पुत्री! तू पूजन पूरा कर, मैं अपने पति के दर्शन को जाती हूँ।”
परंतु कलावती ने अधूरी पूजा छोड़ दी और प्रसाद ग्रहण किए बिना ही चली गई।
🌺 भगवान का रुष्ट होना और चमत्कार
भगवान सत्यनारायण प्रसाद की अवहेलना से रुष्ट हो गए।
उन्होंने नौका सहित कलावती के पति को जल में डुबो दिया।
कलावती जब वहाँ पहुँची और अपने पति को न पाया, तो वह रोने लगी और भूमि पर गिर पड़ी।
यह देखकर साधु वैश्य ने भी दुःखी होकर प्रार्थना की –
“हे प्रभु! हमसे अज्ञानवश अपराध हुआ, कृपया हमें क्षमा करें।”
🌼 आकाशवाणी और पुनर्मिलन
तब आकाशवाणी हुई –
“हे वैश्य! तेरी पुत्री ने मेरा प्रसाद छोड़ा था, इसलिए उसका पति अदृश्य हुआ है। यदि वह घर जाकर प्रसाद ग्रहण करेगी, तो उसका पति पुनः प्रकट होगा।”
यह सुनकर कलावती घर गई, श्रद्धा से प्रसाद ग्रहण किया और फिर वापस लौटी।
जैसे ही वह पहुँची, उसका पति पूर्ववत जीवित हो गया।
दोनों प्रसन्न होकर भगवान को प्रणाम करने लगे।
🌸 साधु वैश्य को मोक्ष प्राप्ति
साधु वैश्य ने अपने परिवार सहित वहाँ भगवान सत्यनारायण की पूजा की।
उसने इस लोक में समस्त सुख भोगे और अंत में मोक्ष प्राप्त किया।
🕉️ इति श्री सत्यनारायण व्रत कथा चतुर्थ अध्याय सम्पूर्ण 🕉️
Must Read श्री सत्यनारायण भगवान व्रत कथा पंचम अध्याय और आरती | Satyanarayan Katha in Hindi
🕉️ श्री सत्यनारायण भगवान की आरती 🕉️
जय श्री लक्ष्मी रमणा स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा ।।
रत्न जड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजै ।
नाद करद निरन्तर घण्टा ध्वनि बाजै ।।
प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ा ब्राह्मण बन के कंचन महल कियो ।।
दुर्बल भील कराल जिन पर कृपा करी ।
चन्द्रचूढ़ इक राजा तिनकी विपत हरी ।।
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीनी ।
सो फल भोग्यो प्रभु जी फेर स्तुति कीन्ही ।।
भाव भक्ति के कारण छिन – छिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण कीनी जन को काज सरयो ।।
ग्वाल बाल संग राजा बन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीना दीनदयाल हरी ।।
चढ़त प्रसाद सवाया कदली फल मेवा ।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ।।
श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ।।
🌸 श्री सत्यनारायण भगवान की जय! 🌸
Must Read जानें श्री सत्यनारायण व्रत कथा पूजन विधि आरती जानें पूर्णिमा पर क्यों सुनी जाती है सत्यनारायण व्रत कथा ?
🙏 सत्यनारायण व्रत से जुड़े प्रश्न (FAQ)
Q1. सत्यनारायण व्रत की यह कथा क्या सिखाती है ?
👉 यह कथा बताती है कि भगवान की पूजा और प्रसाद का अपमान करने से विपत्ति आती है, परंतु भक्ति और पश्चाताप से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं।
Q2. इस व्रत में प्रसाद का क्या महत्त्व है ?
👉 प्रसाद भगवान की कृपा का प्रतीक है। इसे श्रद्धा से ग्रहण करना चाहिए, अन्यथा पूजा अधूरी मानी जाती है।
Q3. सत्यनारायण व्रत कौन कर सकता है ?
👉 यह व्रत कोई भी व्यक्ति – स्त्री या पुरुष – शुभ तिथि जैसे पूर्णिमा या एकादशी को कर सकता है।
Q4. सत्यनारायण भगवान कौन हैं ?
👉 भगवान विष्णु का यह रूप सत्य और धर्म की रक्षा हेतु पूजनीय है। इनकी पूजा करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
