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दीपक जलाने के नियम: विशिष्ट मनोकामना हेतु देव पूजन में दीपक कैसे जलाएं 

विशिष्ट मनोकामना हेतु देव पूजन में दीपक विधान 

1. आर्थिक लाभ के लिए नियम पूर्वक घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

2. शत्रु पीड़ा से राहत के लिए भैरवजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिये।

3. भगवान सूर्य की पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए।

4. शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

5. पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

6. राहु तथा केतु के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

7. किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी तथा एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।

8. भगवती जगदंबा व दुर्गा देवी की आराधना के समय एवं माता सरस्वती की आराधना के समय तथा शिक्षा-प्राप्ति के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए।

9. भगवान गणेश की कृपा-प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।

10. भैरव साधना के लिए सरसों के तेल का चैमुखी दीपक जलाना चाहिए।

11. मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

12. भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

13. भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ तथा बारह मुखी दीपक पीली सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।14. भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।

14. लक्ष्मी जी की प्रसन्नता केलिए घी का सात मुखी दीपक जलाना चाहिए।

15. भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाना चाहिए।

16. इष्ट-सिद्धि तथा ज्ञान-प्राप्ति के लिए गहरा तथा गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

17. शत्रुनाश तथा आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

18. लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।

19. हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें चमेली के तेल का प्रयोग करना चाहिए।

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पूजा घर में नियमित रूप से पूजा-पाठ करके दीपक जरूर जलाएं. ऐसा करने से घर में देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है. घर में अगर तुलसी का पौधा है तो हर दिन शाम के समय इसके पास घी रका दिया जरूर जलाएं. 

Note रविवार को तुलसी में दीपक नही जलाना चाहिए तथा रविवार के दिन तुलसी माता को जल भी नहीं चढ़ाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार रविवार एकादशी के दिन तुलसी माता को तो न जल चड़ाया जाता है और न दीपक लगाया जाता है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु के लिए तुलसी माता इस दिन निर्जला व्रत करती है और जल चढ़ाने की वजह से यह व्यरत खंडित हूँ जाता है। इसलिए रविवार के दिन तुलसी माता को न जल चढ़ाया जाता है और न ही उनके नीचे दीपक लगाया जाता है अन्य दिनों मैं जल्दी उठकर तुलसी माता की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। हमें घर के मुख्य द्वार पर तुलसी का पौधा जरूर रखना चाहिए। गुरुवार को तुलसी की पूजा करने से बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।

दीपक की लौ पूर्व दिशा की और रखने से आयु में वृद्धि होती है, दीपक की लौ को यदि पश्चिम दिशा की और रखा जाए तो दुःख बढ़ता है। दीपक को उत्तर दिशा की और रखने से धन लाभ होता है। दीपक की लौ दक्षिण दिशा में रखने से जन और धन हानि होती है। 

क्यों जलाते हैं पीपल के पेड़ के नीचे दीपक ? 

पीपल का संस्कृत नाम अश्वत्थ है। यह हिंदुओं का सबसे पूज्य पेड़ माना जाता है। इसे विश्व वृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहते है। मान्यता है इस पेड़ के पत्ते-पत्ते में देवताओं का वास होता है। विशेषकर भगवान विष्णु का । यही कारण है कि श्रीमदभागवत गीता में जब भगवान कृष्ण अपने रूपों के बारे में बताते हैं तो पेड़ों में खुद को पीपल कहते हैं। वेदों तथा प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख किया गया है कि पीपल के वृक्ष के नीचे देवता निवास करते हैं। जो मनुष्य वहां पवित्र दीपक जलाता है, उसके जीवन का अंधकार समाप्त हो जाता है। माना जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि महाराज प्रसन्न होते हैं और जिन लोगों को शनि दोष होता है उन्हें इसके कुप्रभाव से मुक्ति मिल जाती है

दीपक जलाने के नियम 

जलते हुए दीपक से कभी अगरबत्ती या धूपबत्ती नहीं जलानी चाहिए। खंडित मूर्तियों की ही तरह खंडित दीपक आपकी पूजा को पूर्ण नहीं करता है। अक्सर लोग इस बात का ध्यान नहीं देते हैं कि वो जिस दीपक का प्रयोग कर रहे हैं वो टूटा तो नहीं है। पूजा से पहले दीपक जरा भी टूट जाए या फिर खंडित हो जाए तो उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसका उपयोग करने से पूजा का फल आपको नहीं मिल पाता है

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