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शिवसूत्र – बीज मंत्र जानें चौदह सूत्र शिव सूत्र रूप मंत्र

शिवसूत्र – बीज मंत्र 

” नृत्यावसाने नटराज राजः ननाद ढक्वाम नवपंच वारम। 

  उद्धर्तु कामाद सनकादि सिद्धै एतत्विमर्शे शिव सूत्र जालम।”

अर्थात नृत्य की समाप्ति पर भगवान शिव ने अपने डमरू को विशेष दिशा-नाद में चौदह (नौ+पञ्च वारम) बार चौदह प्रकार की आवाज में बजाया। उससे जो चौदह सूत्र बजते हुए निकले उन्हें ही “शिव सूत्र” के नाम से जाना जाता है।

सूत्र का मतलब है बीज । तंत्र मार्ग में सभी मंत्रो मे बीज मंत्र होते है । जैसे ऐं , गलौं, क्लीं , भं , ठं…. इस बीज का अर्थ तब ही समज आता है जब मंत्र साध्य होता है । जैसे कोई एक वृक्ष का बियां ( बीज ) दिखाए तो पता नही चलता ये कौनसा वृक्ष है । जब जमीन मे बोया जाता है और वृक्ष बाहर आता है तब वो दिखता है । ऐसे ही मंत्र जाप करते करते जब शरीरस्थ चक्रो मे मंत्र की ऊर्जा जाग्रत होने लगती है , तब उनका पूर्ण अर्थ समझ आता है ।

शिवजी के अनेक स्वरूपो की अलग अलग पोस्ट यहां दी है । सभी सोलह कला के सर्जक शिव है । संगीत , नृत्य , शास्त्र , शस्त्र , वनस्पति , खगोल , यज्ञ , पूजा , गृहस्थ , यंत्र , तंत्र , मंत्र ये सभी के सर्जक शिवजी के स्वरूपो की अलग अलग पोस्ट यहां प्रस्तुत की गई है । विश्व की कोई भी भाषा हो पर मुलाक्षर स्वर व्यंजन वो शिवजी के डमरू का नाद से प्रकट होकर विस्तृत हुवा है । डमरू के नाद को सूत्र कहते है

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ये सूत्र निम्न प्रकार है-

(1)-अ ई उ ण (2)-ऋ ऌ क (3)-ए ओ ङ् (4)-ऐ औ च (5)-ह य व् र ट (6)- ल ण (7)- ञ् म ङ् ण न म (8)- झ भ य (9 )-घ ढ ध ष (10)- ज ब ग ड द स (11)- ख फ छ ठ थ च ट त व् (12)- क प य (13)- श ष स र (14)- ह ल

यदि इन्हें डमरू के बजने की कला में बजाया जाय तो बिलकुल स्पष्ट हो जाता है। यही से भाषा विज्ञान का मूर्त रूप प्रारम्भ होता है। पाणिनि के अष्टाध्यायी का अध्ययन करने या सिद्धांत कौमुदी का अध्ययन करने से सारे सूत्र स्पष्ट हो जायेगें। अस्तु यह एक अति दुरूह विषय है। तथा विशेष लगन, परिश्रम, मनन एवं रूचि से ही जाना जा सकता है। मैं सरल प्रसंग पर आता हूँ।

उपर्युक्त पाणिनीय सूत्रों की संख्या चौदह है। प्रत्येक सूत्र के अंत में जो वर्ण आया है। वह हलन्त है। अतः वह लुप्त हो गया है। वह केवल पढ़ने या छंद की पूर्ति के लिए लगाया गया है। वास्तव में वह लुप्त है। इन चौदहों सूत्रों के अंतिम चौदह अक्षर या वर्ण मिलकर पन्द्रहवां सूत्र स्वयं बन जाते है।

महा मृत्युंजय मंत्र इस सूत्र के साथ जाप करना हो तो मंत्र ;-

” ॐ ह्रौं जूँ सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यमबकम यजामहे सुगन्धिम्पुष्टि वर्द्धनम। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। ॐ स्वः भुवः भू: ॐ सः जूं ह्रौं ॐ।”

चौदह सूत्र ;- 

शिव सूत्र रूप मंत्र इस प्रकार है- ‘अइउण्‌, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्‌, ञमड.णनम्‌, भ्रझभञ, घढधश्‌, जबगडदश्‌, खफछठथ, चटतव, कपय्‌, शषसर, हल्‌। 

1. कहा जाता है बिच्छू के काटने पर इन सूत्रों से झाड़ने पर विष उतर खत्म हो जाता है.

2. कहते हैं सांप के काटने पर जिस व्यक्ति को सांप ने काटा है अगर उसके कान में उच्च स्वर से इन सूत्रों का पाठ करें तो वह सही हो जाता है.

3. आप सभी को बता दें कि ऊपरी बाधा का आवेश जिस व्यक्ति पर आया हो उस पर इन सूत्रों से अभिमन्त्रित जल डालने से आवेश खत्म हो जाता है.

4. इसी के साथ इन सूत्रों को भोज पत्र पर लिखकर गले मे या हाथ पर बांधने से प्रैत बाधा खत्म हो जाती है.

5. कहते हैं ज्वर, सन्निपात, तिजारी, चौथिया आदि इन सूत्रों द्वारा झाड़ने फूंकने से खत्म हो जाता है और उन्माद या मृगी आदि रोग से पीड़ित होने पर इन सूत्रों को झाड़ने से आराम हो जाता है.

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‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ‘

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