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Ganesha Chaturthi: गणेश उत्सव, जानें पूजा मुहूर्त पूजन विधि और गणेश विसर्जन की डेट

श्री गणेश उत्सव Ganesha Chaturthi गणेश उत्सव, जानें पूजा मुहूर्त पूजन विधि और गणेश विसर्जन की डेट 

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी के 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। विघ्नहर्ता की दिल से पूजा करने से इंसान को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है और मुसीबतों से छुटकारा मिलता है। (आइये जाने इस से जोड़े कुछ रोचक तथ्य और गणेश स्थापना का महूर्त)

हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है, इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ है। इस दिन से दस दिवसीय गणेशोत्सव शुरू हो जायेंगे। गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना गया है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय श्रीगणेश जी का जन्म हुआ है। गणेश पूजा को महोत्सव के रूप में दस दिनों तक मनाने के बाद अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश को विदाई देने की परंपरा है।

गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं

गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त

ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है।

हिन्दु समय गणना के आधार पर, सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पाँच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इन पाँच भागों को क्रमशः प्रातःकाल, सङ्गव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्याह्न के दौरान की जानी चाहिये। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। मध्याह्न मुहूर्त में, भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।

गणेश चतुर्थी पर निषिद्ध चन्द्र-दर्शन 

गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्ज्य होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है जिसकी वजह से दर्शनार्थी को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है।

पौराणिक गाथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की स्थिति देख के, नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है।

नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गये।

ये चीजें हैं गणेश भगवान को प्रिय 

गणेश जी का पूजन करते समय दूब घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें, कि उनकी सूड़ दायें तरफ मुड़ी हुई होनी चाहिए. इससे धन और वैभव प्राप्त होता है. गणेश जी के पूजन में तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, जिससे नाराज होकर गणेश भगवान ने उन्हें श्राप दे दिया था.

पूजन के लिए नई मूर्ति का करें इस्तेमाल 

इसके अलावा गणेश जी की पूजा में नई मूर्ति का इस्तेमाल करें और पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर दें. घर में गणेश भगवान की दो मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए. यदि भगवान गणेश की मूर्ति के पास अगर अंधेरा हो तो ऐसे में उनके दर्शन नहीं करने चाहिए. अंधेरे में भगवान की मूर्ति के दर्शन करना अशुभ माना जाता है.

मिथ्या दोष निवारण मन्त्र 

चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं। अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये-

सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।

सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥ 

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लाल और पीले रंग के पहनें कपड़े 

भगवान की कृपा से रिद्धि-सिद्धि और सुख एवं शांति प्राप्त होती है. गणेश जी का पूजन करने के समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. ऐसे में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है. गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए. यदि आप भूलवश चंद्रमा का दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की तरफ फेंक दें.

ॐ गं गणपतये नमः 

डिसक्लेमर इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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