
🌕 सोम प्रदोष व्रत: शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा और लाभ
प्रत्येक चंद्र मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विधान है। यह व्रत कृष्ण और शुक्ल पक्ष दोनों में रखा जाता है। सूर्यास्त के बाद के 2 घंटे 24 मिनट का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर आनंदपूर्वक नृत्य करते हैं।
जो भक्त इस समय में श्रद्धा व नियमपूर्वक व्रत कर शिवपूजन करते हैं, उन्हें धन, धर्म, मोक्ष और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
📅 2025 में अगला सोम प्रदोष व्रत मूहूर्त
इस वर्ष का एक सोम प्रदोष व्रत सोमवार, 17 नवंबर 2025 को है।
मुहूर्त: शाम के समय (प्रदोष काल) में सूर्यास्त के बाद से त्रयोदशी तिथि की अवधि तक। उदाहरण के लिए, दिल्ली-एनसीटी के लिए तिथि आरंभ 04:47 AM 17 नवंबर से और व्रत की पूजा-समय शाम 05:27 PM से 08:07 PM तक बताया गया है।
ध्यान दें: स्थान एवं स्थानीय पंचांग के अनुसार मुहूर्त थोड़ा बदल सकता है क्योंकि सूर्यास्त-समय एवं तिथि आरंभ समय जगह-जगह भिन्न होता है।
📅 अगले 5 वर्षों के सोम प्रदोष व्रत (2025–2030)
वर्ष तिथि दिन पक्ष विशेष
2025
- 17 नवम्बर 2025 सोमवार कृष्ण पक्ष स्वास्थ्य व आरोग्य लाभ हेतु श्रेष्ठ
2026
- 02 मार्च 2026 सोमवार कृष्ण पक्ष मानसिक शांति और कष्ट निवारण
- 16 मार्च 2026 सोमवार शुक्ल पक्ष शिव-पार्वती प्रसन्नता हेतु शुभ
2027
- 08 फरवरी 2027 सोमवार कृष्ण पक्ष दीर्घायु और आरोग्य के लिए श्रेष्ठ
- 22 फरवरी 2027 सोमवार शुक्ल पक्ष शुभ फल, ऋण मुक्ति व समृद्धि
2028
- 24 जनवरी 2028 सोमवार शुक्ल पक्ष शिव कृपा से संतान प्राप्ति योग
- 10 जुलाई 2028 सोमवार शुक्ल पक्ष सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला
2029
- 05 फरवरी 2029 सोमवार कृष्ण पक्ष रोगों से मुक्ति व शक्ति वृद्धि
- 19 फरवरी 2029 सोमवार शुक्ल पक्ष भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति हेतु शुभ
2030
- 23 दिसम्बर 2030 सोमवार कृष्ण पक्ष दरिद्रता नाशक और मोक्ष प्रदायक
🌸सोम प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों के दान के समान पुण्य प्राप्त होता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब धरती पर अधर्म बढ़ेगा और लोग पापों में डूब जाएंगे, तब जो व्यक्ति प्रदोष व्रत कर भगवान शिव की आराधना करेगा, उसे भगवान स्वयं मोक्ष प्रदान करेंगे।
यह व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति और उत्तम लोक की प्राप्ति देता है।
🌷 सोम प्रदोष व्रत के विशेष फल
हर वार के अनुसार प्रदोष व्रत के भिन्न-भिन्न लाभ बताए गए हैं —
वार – लाभ
सोमवार – आरोग्य (स्वास्थ्य) लाभ, मानसिक शांति
मंगलवार – रोगों से मुक्ति और शक्ति वृद्धि
बुधवार – इच्छाओं की पूर्ति
गुरुवार – शत्रु-विनाश
शुक्रवार – सौभाग्य और दाम्पत्य सुख
शनिवार – संतान प्राप्ति का वरदान
यदि व्रतकर्ता अपने उद्देश्य के अनुसार प्रदोष व्रत करता है, तो फल कई गुना बढ़ जाता है।
🪔 सोम प्रदोष व्रत विधि
1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी को पंचामृत स्नान कराएं।
3. गंगाजल से अभिषेक कर बेलपत्र, फूल, चंदन, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें।
4. सायंकाल पुनः स्नान कर शिव-पार्वती की आराधना करें।
5. भगवान को सोलह पूजन सामग्री से पूजन कर घी-शक्कर मिश्रित जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
6. आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं और हर दिशा में दीप रखते समय प्रणाम करें।
7. इसके बाद शिव आरती करें, शिव स्तोत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
8. रात्रि में जागरण करने का विशेष फल बताया गया है।
📜 सोम प्रदोष व्रत कथा
एक नगर में एक ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ भिक्षाटन कर जीवन यापन करती थी। एक दिन उसे एक घायल राजकुमार मिला जिसे उसने अपने घर ले जाकर सेवा की। वह राजकुमार विदर्भ का युवराज था, जिसका राज्य शत्रुओं ने छीन लिया था।
ब्राह्मणी नियमित रूप से प्रदोष व्रत करती थी। उसी व्रत के प्रभाव से एक गंधर्व कन्या अंशुमति राजकुमार से विवाह कर लेती है। बाद में भगवान शिव की कृपा से राजकुमार अपने राज्य को पुनः प्राप्त करता है और ब्राह्मण-पुत्र को मंत्री बनाता है।
इस कथा से स्पष्ट है कि प्रदोष व्रत से जीवन के कष्ट दूर होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
🙏 प्रदोष स्तोत्रम्
।। श्री गणेशाय नमः।।
- जय देव जगन्नाथ जय शङ्कर शाश्वत ।
- जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ॥ १॥
- जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।
- जय नित्य निराधार जय विश्वम्भराव्यय ॥ २॥
- जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
- जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ॥ ३॥
- जय कोट्यर्कसङ्काश जयानन्तगुणाश्रय ।
- जय भद्र विरूपाक्ष जयाचिन्त्य निरञ्जन ॥ ४॥
- जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभञ्जन ।
- जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ॥ ५॥
- प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यतः ।
- सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ॥ ६॥
- महादारिद्र्यमग्नस्य महापापहतस्य च ।
- महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ॥ ७॥
- ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभिः ।
- ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शङ्कर ॥ ८॥
- दरिद्रः प्रार्थयेद्देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।
- अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद्देवमीश्वरम् ॥ ९॥
- दीर्घमायुः सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नतिः ।
- ममास्तु नित्यमानन्दः प्रसादात्तव शङ्कर ॥ १०॥
- शत्रवः संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजाः ।
- नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जनाः सन्तु निरापदः ॥ ११॥
- दुर्भिक्षमरिसन्तापाः शमं यान्तु महीतले ।
- सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात्सुखमया दिशः ॥ १२॥
- एवमाराधयेद्देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।
- ब्राह्मणान्भोजयेत् पश्चाद्दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ॥ १३॥
- सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारणी ।
- शिवपूजा मयाऽऽख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ॥ १४॥
- ॥ इति प्रदोषस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
कथा एवं स्तोत्र पाठ के बाद महादेव जी की आरती करें
भगवान शिव जी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥
ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।
आरती पूजा के अंत में धूप, दीप, कपूर से की जाती है।
विषम संख्या की बत्तियों वाला दीपक (1, 3, 5 या 7) उपयोग करें।
इसके बाद “कर्पूर आरती” और “मंत्र पुष्पांजलि” का पाठ करें।
🔱 प्रदक्षिणा एवं क्षमा प्रार्थना
आरती के बाद भगवान शिव की घड़ी की दिशा में परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें और यह श्लोक पढ़ें —
> यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे॥
इससे पूर्वजन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
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🌙 निष्कर्ष
सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ साधन है।
इस व्रत को श्रद्धा, भक्ति और नियमपूर्वक करने से आरोग्य, समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
❓ FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या सोम प्रदोष व्रत सिर्फ सोमवार को ही होता है ?
A: नहीं। व्रत उस त्रयोदशी तिथि (कृष्ण-पक्ष या शुक्ल-पक्ष) में रखा जाता है, और यदि वह तिथि सोमवार को आती है तो उसे “सोम प्रदोष” कहा जाता है।
Q2. अगर मैं पूरे दिन उपवास नहीं कर पाऊँ तो क्या करूँ ?
A: व्रत का महत्व श्रद्धा एवं नियम में है। यदि पूरे दिन उपवास संभव न हो, तो कम से कम प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) में पूजा-अर्चना करना लाभदायी माना गया है।
Q3. क्या सिर्फ पूजा करना पर्याप्त है या उपवास करना अनिवार्य है ?
A: शास्त्रों में उपवास और पूजा दोनों का विधान है। उपवास संभव हो तो व्रत अधिक फलदायी माना जाता है। पूजा-अर्चना बिना उपवास के भी लाभदायक है पर यह पूर्ण फल देने वाला स्रोत तभी बनेगा जब भक्तभाव हो।
Q4. अगर मैं व्रत में कोई छोटी गलती कर लूँ, तो क्या नुकसान होगा ?
A: भगवान शिव की दृष्टि में श्रद्धा प्रमुख है। यदि गलती हो गई हो, तो उसी दिन क्षमाप्रार्थना करें, आगे नियम से करें — शिव कृपा से व्रत का पुण्य कम नहीं होता।
Q5. क्या प्रदोष व्रत केवल एक बार रखा जाता है या हर त्रयोदशी को ?
A: प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का विधान है — यानी हर मास में यह दो बार (कृष्ण-पक्ष और शुक्ल-पक्ष) हो सकता है।
Q6. इस व्रत में पिता-पुत्र या माता-पुत्र को भी कोई विशेष करना चाहिए क्या ?
A: हां, व्रत के दिन परिवार में एक साथ पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ माना गया है। ब्राह्मणों को भोजन कराना, दक्षिणा देना, व्रत का समापन (उद्धापन) करना आदि प्रमुख हैं।
Q7. क्या इस व्रत में आर्थिक दान-पुण्य करने से फल बढ़ता है ?
A: बिल्कुल। व्रत के अंत में ब्राह्मणों को भोजन देना, दान-दक्षिणा करना व सहयोग करना शुभ फल का स्रोत माना गया है।
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