जब भी हम राधा कृष्ण के बारे में बात करते हैं (हम कभी भी राधा को कृष्ण के बिना नहीं कहते हैं), जो एक-दूसरे के प्यार में इतने गूढ प्यार हैं कि उनके दोनों नाम एक में मिल गए हैं, हमारे दिमाग में बस एक चीज है उनकी प्रेम कहानी।
उनके सच्चे प्यार और समर्पण ने उन्हें हमारे दिलों में जिंदा रखा है, उनकी प्रेम कहानी युगों-युगों से प्रशंसा से सराबोर है। लेकिन क्या हम वास्तव में राधा-कृष्ण के साझा बंधन को समझ पाए हैं ? उनका प्यार कैसा था ? क्या हम कभी ऐसा प्यार बरसा सकते हैं जो उन्होंने एक-दूसरे के लिए किया ? इस लेख में, हम नीचे उल्लिखित राधा कृष्ण उद्धरणों के माध्यम से समझेंगे कि राधा-कृष्ण के लिए वास्तविक प्रेम का क्या अर्थ है।
तुम्हारा न होते हुए भी सिर्फ़ तुम्हारा होना, इश्क़ है..
तुमसे दूर रह कर भी तुम्हारे ही क़रीब रहना, इश्क़ है..
उम्मीदें टूट जाने पर भी सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद करना, इश्क़ है
तुम पर मरते हुए भी तुम्हारे लिए ही जिये जाना, इश्क़ है..
मेरे गोविंद
कोई रस्म बाकी ना रही मोहब्बत निभाने के लिए
बताओं कितना और चाहूँ तुम्हें पाने के लिए…
प्रेम का मतलब कोई रिश्ता या संबंध बन जाना नही, प्रेम का तो मतलब है कण-कण में बिखरकर आंनदित हो जाना।
हे गोविन्द साथ जरूरी नहीं है एहसास जरूरी है लाख दूरियां चाहे क्यों ना हो एक दूजे पर विश्वास जरूरी है
कान्हा, अपना बना लो हमें, अपनी बाँहों में छुपा लो हमें..
बिन तुम्हारे दिन कटते नहीं, आकर हमसे चुरा लो हमें
चाहने वाले तो बहुत मिल जाते है मगर परवाह करने वाला हर कोई नही..
लाखों लोग मिलकर दुनिया बनाते हैं पर मेरे लिए तो सिर्फ़ तुम ही दुनिया हो।
मेरे दिल की हर धड़कन पर तेरी ही हुकूमत हो,
मेरे इश्क की सारी राहें तुम से तुम तक हो…साँवरे
बेशुमार सा कुछ लिखना था,
मैंने तुझ पर “एतबार” लिख दिया..
ओ साँवरे..
पढ़ने वालों को कैसे बताया जाए,
कि लिखने वालों पर क्या गुज़री है..
उस ख़्याल पर ही
मुझे प्यार आ जाता है..
ज़िक्र जिसमें तेरा
इक बार आ जाता है..माधो
मै फकीर हुँ तेरी महोब्बत की, तेरे नाम का अलख जगाती हुँ जो भी मिले दुखिया श्यामा, उसे तेरी कथा सुनाती हुँ दर दर की ठोंकर बहुत हुई श्यामा, अब मैं तेरी चौखट चाहती हुँ सुन ले पुकार मेरी प्यारी,मै बस तुझे अरज लगती हूं
ओ सांवरे
एक ताबीज तेरी-मेरी मोहब्बत का भी चाहिए
थोड़ी सी दिखी नही कि नजरें लगने लगी..
जिसकी आत्मा हरि नाम मे रम जाती है
यकीन मानो उसको एक दिन हरि प्राप्ति हो जाती है
प्रेम पहला दूसरा नहीं होता
पूर्ण प्रेम वही है
जिसके बाद किसी की अभिलाषा न रहे..
मेरे मोहना…
बिछड़ जाऊं तुझसे तो तेरी यादों से रिश्ता जोड़ूंगी
मुझे जिद है जीने का कोई मौका नही छोडूंगी
कोई शर्त नहीं कोई, शिकायत नहीं तुमसे कान्हा
“सीधी-सादी सी मोहब्बत है, और तेरे दीदार की चाहत में
कान्हा, एक तुम हो के कभी आते नहीं, और एक तुम्हारी यादे जो कभी जाती नहीं.
मैं ना जानु ठाकुर सेवा, ना जानू सेवा की रीत, बस तुम संग लगाई गिरधारी मैंने प्रीत..
इजाज़त भी नहीं देते हो तुम नज़रें मिलाने की..
और दिल तुमको निगाहों में बसाने पे तुला है..
मेरे कान्हा
कान्हा…
तुम्हें देखु रोज़ क़रीब से
मेरे शौक भी बड़े अजीब से..
हर पल में तुम, हर क्षण में तुम,
मेरे लिए रास्ता भी तुम मंज़िल भी तुम…
कितना तुम्हें सोचू मैं या तेरी कल्पना करू, तू हर रूप में मुझे प्रिय है प्यारे किस तरह से तेरा सजदा करू.
मेरे प्राण प्यारे..
याके के प्रेम में आनंद
याके की विरह में आनंद
दूजो कहाँ ऐसो परमानंद…
जहाँ सुकून है, वहाँ प्रेम है
जहाँ कृष्ण है, वही प्रेम है
हे गोविंद
कैसे कह दूं कि इश्क़ नही है तुमसे
मेरे लिए तो इश्क़ का मतलब ही तुम हो..
तेरा दर्श पाने को जी चाहता है,
खुदी को मिटाने का जी चाहता है..
गोविंद बिखर गए हम एक तेरी झलक पाने को
मेरे गोविंद..
अधूरी सी मै अधूरी मेरी हर बात जो तुम्हारा साथ नहीं अधूरा मेरा दिन रात..
मोहब्बत का रूतबा तुम क्या जानो
कान्हा….
अगर तुम्हारी बंशी में दर्द है,
तो मेरी आंखों में भी इश्क हैं
मेरे प्राणों से प्यारे मेरे गोविंद..
एक तेरा साथ हमकों दो जहाँ से प्यारा हैं ना मिले संसार
तेरा प्यार तो हमारा हैं..
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साँवरिया..
तुम्हारी याद आना भी कमाल होता हैं
कभी आकर देखना क्या हाल होता हैं
मेरे गोविंद….
तू ही मेरी राहत है और तू ही मेरी चाहत है..
हे माधव, मुझे क़बूल है हर दर्द हर तकलीफ़ तेरी चाहत में सिर्फ़ इतना बता दे क्या तुझे मेरी महोब्बत क़बूल है
हे माधव हम तो अब भी खडे है तेरे इन्तज़ार में उसी राह में बेसबब बेइंतहा मोहब्बत लिए..
तन भी तेरा, मन भी तेरा, तेरा पिंड और प्राण।
प्रभु सब कुछ तेरा है बस एक तू ही मेरा है…
प्यारे तेरे आशिक जाने कैसे गुजारा करते हैं
जब सारी दुनिया सोती है वो तुझे पुकारा करते हैं
श्रीराधे
सांवरिया
नज़रें मेरी थक न जायें कहीं तेरा इंतज़ार करते-करते;
यह जान मेरी यूँ ही निकल ना जाये तुम से इश्क़ का इज़हार करते करते..
हे माधव, मुझे क़बूल है हर दर्द हर तकलीफ़ तेरी चाहत में सिर्फ़ इतना बतादे क्या तुझे मेरी मोहब्बत क़बूल है
कुछ चीजें समीप जाने पर बगैर माॅंगे मिल जाती हैं
1. जैसे जल के पास शीतलता
2. वृक्ष के पास छाॅंव
3. अग्नि के पास गर्माहट
4. पुष्प के पास कोमलता
5. चंदन के पास सुगंध
फिर भगवान या गुरु से मांगने की बजाय आप निकटता बनाएंगे तो सब कुछ अपने आप मिलेगा ।।
जिसको चढ़ जाये तेरी मोहब्बत का नशा कान्हा
फिर कौन सी दुनिया, कैसी दुनिया, कहाँ की दुनिया..
यूँ तो कहने को बहुत सी बातें हैं इस दिल में,
चंद लफ़्जों में कह दूँ मेरी आखिरी ख्वाहिश हो तुम…
मेरे गोविंद
सबने तो इबादत की मैंने सोचा इश्क़ करूँ
सलीका न आया मुझे अब तलक कोई भी
फिर से छोड़ा है बेकरारी में तुमने
आरजू ए दिल कब पूरी हुई हमारी..
मेरे प्यारे सांवरिया..
कलम का साथ हो और तेरे जज्बात हो..
फिर ना जाने कब सुबह हो, और कब रात हो..
हे गोविंद
कतरे भर की मोहब्बत क्यों ढूंढे हम ज़माने में
जबकि मोहब्बत का दरियाँ खुद है हमारे आशियाने में..
मेरे प्राण प्यारे
देखा इश्क़ की किताब के पन्नो को खोल कर..
पहले पर भी तेरा नाम आखरी पर भी तेरा…
मेरे गोविंद जी..
अधरों से लगकर बांसुरी भी शोर मचाती है,
इश्क की बात है प्यारे तेरी चुप्पी भी शोर मचाती है..
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