हे अर्जुन…ऐसा कुछ भी नहीं, चेतना या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो।

  हे अर्जुन... ऐसा कुछ भी नहीं, चेतना या अचेतन,