मन अशांत बेचैन क्यो है ?
जैसे घर से बाहर रहने पर ,जब तक घर न पहुंचो बेचैनी अशांति बनी रहती है! और जैसे ही घर पहुंचते हैं शांति हो जाती है!
वैसे ही मन का घर प्रभु के चरण कमल हैं! जब मन को उसका आश्रय स्थल प्रभु के चरण मिल जाएंगे तो मन शांत हो जाएगा!
भगवान के चरण कमल के आश्रय के बिना चाहे कितनी भी उपलब्धि पा लो! मन की चाहतो को पा लो! मान सम्मान सुख वैभव अधिकार पा लो! शांति नही मिलने वाली!
मन की अशांति तो लक्षण है कि अभी प्रभु शरण नही मिली अभी उनका प्रेम हमारे लिए कीमती नही हुआ है!
मन को उसकी अशांति बेचैनी के लक्षण से पहचान कर ! किसी भगवद्भक्त सन्त या भगवान की कथा, भक्तो की कथा उनका आश्रय लेने से मन शांत होता जायगा और अपने आश्रय स्थल भगवद्चरणारविन्द की ओर जा कर परम विश्रांति को पा लेगा!
फिर अशांति का कारण तुलना ,प्रतिस्पर्धा, वैर,इंकार और व्यर्थ की सांसारिक कामनाएं स्वयं ही हट जायगी!
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