Radha Krishna Shayari Suvichar In Hindi {Latest 2021} Radha Krishna Quotes 

पहचान सबसे हमारी पर भरोसा सिर्फ तुम पर है सांवरिया

कमाई की परिभाषा सिर्फ धन से ही तय नहीं होती तजुर्बा रिश्ते प्रेम सम्मान और सबक सब कमाई के ही रूप है

आनंद आनंदघन घनश्याम से जुड़कर ही मिलेगा व्यर्थ में कहीं और खोज कर समय का नुकसान नहीं करना चाहिए

मेरी चिंता हरि करें मैं तो करूं हरि चिंतन, हरि को हरि करें, मैं रहूं निश्चिंत

 

श्रद्धा का मतलब है आत्मविश्वास, और आत्मविश्वास का मतलब है, भगवान में विश्वास

किसी को हराना, अहंकार है. लेकिन खुद को उससे बेहतर बनाना, संस्कार है

जीवन में सब कुछ ख़त्म होने जैसा कुछ भी नहीं होता, हमेशा एक नई शुरुआत हमारा इंतजार कर रही होती है

प्रेम में कोई वियोग नहीं होता है, प्रेम ही अंतिम योग है, अंतिम मिलन है

मन भूल मत जइयो श्रीराधारानी के चरण

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प्रत्येक कर्म बीज के समान होता है, जैसा आप बीज बोएंगे वैसा ही फल पाओगे

इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति शुद्ध और परिपूर्ण नहीं है, यदि आप लोगों को उनकी छोटी गलतियों के लिए अनदेखा करते हैं, तो आप हमेशा अकेले रहेंगे । इसलिए आलोचना कम करें और प्यार ज्यादा करें।

वो व्यक्ति सफल होता है, जो खुद के ऊपर फेंके पत्थरों से नीव तैयार कर लेता है

परिवार के साथ धैर्य प्यार कहलाता है, औरों के साथ धैर्य सम्मान कहलाता है, स्वयं के साथ धैर्य आत्मविश्वास कहलाता है, भगवान के साथ धैर्य को आस्था कहा जाता है

जब इंसान को गंदे और मैले कपड़ों में शर्म आती है तो, गंदे और मैले विचारों में भी आनी चाहिए..

कभी कभी हम गलत नहीं होते है, लेकिन हमारे पास वो शब्द ही नही होते जो हमें सही साबित कर सके

मन का भगवान में लगना अच्छा संकेत है, पर यदि मनके साथ ही तन को भी भगवदीय कार्यों में लगा दिया जाय तो मन कहीं भी भटकेगा ही नहीं।

लफ्ज़ कम हैं, मगर कितने प्यारे हैं तुम हमारे हो, हम तुम्हारे हैं

इंसान भगवान से सब माँगता है, कभी किसी को भगवान से भगवान को माँगते देखा है ?

“व्यक्ति” जीवन में गलतियाँ करके उतना दुखी नहीं होता, जितना कि वह उन गलतियों के बारे में बार-बार सोचकर दुखी होता है।

जहाँ श्रीकृष्ण हैं, वहाँ रमणीयता है, मधुरता है, सुन्दरता है, समरसता है इन सब का स्रोत श्रीकृष्ण ही हैं।

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जब तक भगवान से सम्बन्ध नहीं बनता तब तक आँखों को केवल लौकिक ही दिखता है, भगवान से सम्बन्ध स्थापित होते ही भक्त की दृष्टि में आलौकिकता आ जाती है।

अपने आपको किसी भी ‘काम’ में ‘व्यस्त’ रखें. क्योंकि ‘व्यस्त’ आदमी को ‘दुखी’ होने का समय नहीं मिलता है

मुझे बैकुंठ भी मिले तो नहीं जाना, अपने ब्रजराज के इन चरणों की धुली से शोभित श्री वृंदावन धाम में जीना मरना है।

इश्क़ ही इबादत होने लगा है इंतज़ार फ़कत एक जन्म का नहीं लगता…

जीवन में, आपको एहसास होगा कि आप जिस किसी से भी मिलेंगे उसके लिए एक भूमिका है। कुछ आपको परखेंगे, कुछ आपका उपयोग करेंगे, कुछ आपको प्यार करेंगे, और कुछ आपको सबक सिखाएंगे ।

सच्चे लोगों को कभी प्रशंसा की आवश्यकता नहीं होती, इसी तरह असली फूलों को कभी इत्र लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है

मेहनत वो सुनहरी चाबी है, जो बंद भविष्य के दरवाजे खोल देती है

किसी से ईर्ष्या करके मनुष्य उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, पर अपनी नींद और सुख चैन अवश्य खो देता है

कोई नहीं है तुम बिन राधा जो हर ले जन जन की बाधा

श्रीकृष्ण की भक्ति सांसारिक वासनाओं को धो देती है अन्यथा पूरा जीवन वासनाओं के पीछे दौड़ते-दौड़ते ही बीत जाता है ।

तन्मयता प्रेम का ही प्रसाद है।  के प्रति प्रेम, अन्य से राग-द्वेष में उलजने से बचाता है और प्रेमी को अपने प्रियतम में तन्मय कर देता है। यही प्रेम मार्ग का ध्यान है।

जब अजामिल जैसा पापी, प्रभु का नाम जपने से तर गया तो किसी नाम जापक साधक के प्रति दोष दर्शन करने से बचना चाहिए, यह हमें भजन मार्ग में गिरा सकता है इसलिए किसी साधक, भक्त, संत, वैष्णव आदि की निंदा से बचना चाहिए।

मदन मोहन प्रभु के मुख कमल का दर्शन करके दिन का शुरुवात करने से पूरा दिन परम आनंद में निकलता है।

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जो रुई सूखी हो वह जल कर राख बन जाती है; जो जल में भीगी हो वह आग पकड़ नहीं पाती; जो रुई घी का आश्रय लेती है वही प्रज्वलित होती और प्रकाश देती है।

साधक की मति भी सात्त्विक श्रद्धा के घृत से युक्त होने से, सद्गुरू के उपदेश से ज्ञान-प्रकाश से आलोकित होती है।

जो लौकिक सुख है उसे धरामृत कहेंगे…

जो अलौकिक आनन्द है, उसे अधरामृत कहेंगे!

भगवान का अनुभव ही यह दिव्य अमृत है। जो पोली(निष्कपट) वेणु की तरह श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित हैं, उन्हें यह अमृत उपलब्ध होता है।

 

हम सभी को साँसों की संपत्ति मिली हुई है।

उस को कंजूस इन्सान की तरह तिजोरी में बंध कर के नहीं रख सकते…उसको ख़र्च होने से रोक नहीं सकते।

बस साँसों को सार्थक करना हमारे हाथ में है।

श्रीकृष्ण के साथ कोई भी व्यवहार करके हम तर सकते हैं  श्रीकृष्ण के साथ हम किसी भी तरह से जुड़ गए तो हमारा उद्धार निश्चित हो जाता है । राधे राधे जी

मेरे प्रियतम

हे कृष्ण तुमसे प्रेम करना अगर गुनाह है तो ये गुनाह मैं जीवन भर करने को तैयार हुँ, क्यूँ की औरों के लिए बदनाम होने से तो अच्छा है की तुम्हारे लिए ही बदनाम हो जाऊँ…

नसीब में कुछ रिश्ते अधुरें ही लिखें होते हैं…..

लेकिन उन की यादें बहुत ख़ूबसूरत होती हैं…..प्यारे…

यदि विश्वास नहीं हो तो अरदास भी मात्र एक मशीनी प्रक्रिया बनकर रह जायेगी। वहां शब्द तो होंगे लेकिन भाव न होगा। भाव के बिना वे शब्द जीवंत नहीं हो पाएंगे और इस स्थिति प्रभु हमारा पक्ष कैसे करेंगे। जबकि भाव की भाषा नहीं होती, गोविन्द तो हृदय में विश्वास की भाषा समझते हैं। कृपा हे श्री राधेगोविन्द…

नाम जप का भी अहंकार कभी नहीं आना चाहिए कि मैंने प्रभु नाममाला का जीवन में खूब जप किया है । राधे राधे

दुनिया तो दर्पण है। उसमें कुछ ख़राबी दिखाई देती है, तो वह अपना ही प्रतिबिंब है। सुधार अपने में लाना है। दुनिया को सुधारने की क़वायद या दुनिया से शिकायत, दोनों नासमझी का परिणाम है।

यदि आप विनयशील, निःस्वार्थ प्रेमी, और पवित्र हैं,तो विश्वास कीजिए कि आप अनन्त धन के स्वामी हैं,एक विशालह्रदय और उच्च आत्मा वाला मनुष्य झोंपड़ी में भी रत्नों की जगमगाहट पैदा करेगा,जो सदाचारी और परोपकारी में प्रवृत्त है, वह इस लोक में भी धनी और परलोक में भी हरे कृष्ण

 

जप करते समय माया हमारा ध्यान भटकाने का निरंतर प्रयत्न करेगी ।किंतु हमें इसकी तनिक भी परवाह नहीं करनी चाहिए। हमारा कार्य सरल है ,कृष्ण के नामों का श्रवण करना। एक पवित्र नाम (हरे, कृष्ण, राम) अन्यथा एक मंत्र को ध्यान पूर्वक सुने और भगवान श्री कृष्ण को पुकारे। स्वयं को बचाने के लिए कृष्ण को पुकारे, वे तुरंत आप की रक्षा करने आएंगे।वे पहले से ही अपने नामों में विद्यमान है ( अभिन्नत्वं नाम नामिनो:)। मन ने कामवासना को कसकर पकड़ रखा है ,किंतु प्रकाश के समक्ष अंधकार नहीं टिक सकता ठीक उसी प्रकार जैसे ही हम कृष्ण के नामों की शरण लेंगे वैसे ही मन आसक्तिओ हो त्याग देगा।

 

पैदा हुआ इन्सान, तब जितना वजन था..मृत्यु के उपरांत राख की ढेरी बन जाता है, तब भी उतना ही वजन रह जाता है।

भजन का ही महत्व है और उसीका वजन विभु को भी तौलने में समर्थ है। एक पत्ता समर्पण स्वरूप तुलसी का।

।।श्री हरि:।।

हर क्षण हरि: की दी हुई है वो क्षण उनके साथ बीते सत्संग और स्वाध्याय द्वारा तो जीवन सार्थक बने।हम भाग्यशाली है जो आपकी अमृतमय वाणी द्वारा सत्संग में अपने जीवन की क्षणों को मूल्यवान कर सकते है।हमें आपके सान्निध्य में भक्ति प्राप्त हो यही श्री हरिगुरु कृपा बने।

प्रभु की भक्ति में रोना ही सच्चा रोना है । प्रभु मिल जाते हैं तो भक्त आनंद में रोते हैं और प्रभु से वियोग होता है तो भक्त व्याकुलता में रोते हैं

Must Read Jai Shri krishna Good morning जैसे सुबह का उजाला अपने साथ नयी किरण लेकर आता है, ठीक वैसे ही सुबह का सुविचार अपने साथ नयी प्रेरणा और नयी ऊर्जा लेकर आता है

रामायण में दो व्यक्ति थे एक विभीषण और एक कैकेयी, विभीषण रावण के राज में रहता था, फिर भी नहीं बिगड़ा, कैकेयी राम के राज में रहती थी, फिर भी नहीं सुधरी, तात्पर्य सुधरना और बिगड़ना केवल मनुष्य की सोच और स्वभाव पर निर्भर करता है ।

मेरे कृष्णा कहते हैं

“हे अर्जुन! जिस प्रकार साध्वी स्त्री अपने प्रेम से पति को वश में कर लेती है, उसी प्रकार मेरे परायण हुए मेरे भक्त मुझे वशीभूत कर लेते हैं और मुझे उनकी इच्छानुसार चलना पड़ता है।” जय जय श्रीराधे

अनेक जन्मों के अर्जित पुण्यों से ही हम श्रीकृष्ण की तरफ जा पाते हैं, नहीं तो लोग पूरे जीवन संसार में ही उलझे रहते हैं और अपना मानव जन्म व्यर्थ कर लेते हैं हरे कृष्ण….

कमलनयन प्रभु ❣️

जरा ध्यान से दर्शन करना… प्रभु कमलनयन के नज़रों से अपना नजर मिला कर देखना…. कितने सुंदर प्रभु के कमल से नयन हैं।

दुनिया में कोई बात सबसे जरूरी है, तो वो “मुरली धर” का दास बन जाना नहीं, तो कुछ फायदा नहीं, मेहनत करके कितना कुछ अर्जित कर लो, सब इस धरा पर ही धरा रह जायेगा… मृत्यु एक दिन जबरन उठा ले जाएगा

मेहनत भी करिए तो मुरली धर प्रभु के सेवा के लिए… अपना इन्द्रिय तृप्ति के लिए नहीं यहां सबकुछ कृष्ण का है… वो मालिक हम उनके सेवक हैं।

“मोहन ! नैना आपके नौका के आकार..जो जन इनमें बस गये हो गये भव से पार “