Best Radhe Krishna Quotes in Hindi Best Radhe Krishna Suvichar in Hindi RadheRadheje
Lord Krishna Quotes Motivational Quotes in Hindi |
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प्रार्थना ऐसी करनी चाहिए जैसे कि सब कुछ भगवान पर ही निर्भर है और काम ऐसे करने चाहिए जैसे कि सब कुछ हम पर ही निर्भर है
प्रेम एक ही आत्मा का रूप है जो दो शरीरों में निवास करता है
Love is the form of one soul which resides in two bodies.
जीवन के प्रति जिस व्यक्ति के पास सबसे कम शिकायतें हैं, वह सबसे अधिक सुखी है
कृष्णा कहे से तृष्णा मिटे, राधा कहे से बाधा हटे कृष्णा कृष्णा बोल मनरे राधा राधा बोल
बात संस्कार और आदर की होती है,वरना जो इंसान सुन सकता है, वो सुना भी सकता है
सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं, लेकिन झूठ हमेशा दावा करता है कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं
प्रेम का धागा सांवरे, तुम संग ही अब बाँध लिया हमने तो अपना सब कुछ, तुमको ही अब मान लिया
यदि आप वास्तव में कुछ करना चाहते हैं, तो आ रास्तों की तलाश करेंगे, यदि आप कुछ नहीं करना चाहते हैं, तो आप बहाने ढूंढेंगे
आधा रास्ता चलकर वापिस लौटने की कभी ना सोचो, क्योंकि आपको लौटने के लिए भी उतनी ही राह तय करनी है जितनी मंज़िल तक जाने ले लिए
मूर्ख को जवाब मत दो, ज्ञानी को ठुकराओ मत, अच्छे को जाने मत दो, बुरे को अपनाओ मत
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निस्संदेह चंचल मन को वश में करना अत्यन्त कठिन है; किन्तु उपयुक्त अभ्यास तथा विरक्ति द्वारा ही ऐसा कर पाना सम्भव है।
जैसे तेल समाप्त हो जाने पर दीपक बुझ जाता है, उसी प्रकार कर्म के क्षीण हो जाने पर भाग्य भी नष्ट हो जाता है।
हमेशा याद रखना अच्छे दिनों के लिए, बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है
हर सूर्यास्त एक नई सुबह का वादा लाता है।
केवल जीतने वाला ही नही बल्कि कहां पर हारना है। ये जानने वाला भी श्रेष्ठ होता है
हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मों में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है
जो अपने कर्म को नही पहचानता, वह अंधा है,
मन से ज्यादा उपजाऊ जगह कोई नहीं है। क्योंकि वहाँ जो भी कुछ बोया जाए, बढता जरूर है चाहे वह “विचार” हो, “नफरत” हो या फिर “प्यार” हो
जो कर्मेन्द्रियों को वश में तो करता है, किन्तु जिसका मन इन्द्रियविषयों का चिन्तन करता रहता है, वह निश्चित रूप से स्वयं को धोखा देता है और मिथ्याचारी कहलाता है
मनुष्य को अपने कर्मों के संभावित परिणामों से प्राप्त होने वाली विजय या पराजय, लाभ या हानि, प्रसन्नता या दुःख इत्यादि के बारे में सोच कर चिंता से ग्रसित नहीं होना चाहिए
कोई भी कारण हो कोई भी बात हो, चिढ़ो मत- गुस्सा मत करो! जोर से मत बोलो ! मन शान्त रखो विचार करो! फिर निर्णय लो, आवाज से आवाज नहीं मिटती बल्कि चुप्पी से मिटती है। तकलीफ सिर्फ आपको होगी, दुःख भी आपको ही होगा मन शान्त रखोगे तो, सुख भी आपको ही मिलेगा
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जिस डर से आत्मविश्वास की हानि होने लगे, उस डर का अंत करना अवश्य हो जाता है श्रीमद्भगवद्गीता
अहंकार, घमण्ड, क्रोध और निष्ठुरता- ये अज्ञान से उत्पन्न हुए आसुरी प्रकृति के लोगों के भुण हैं इनका त्याग ही हमें अच्छा इंसान बनाता है
अहंकार के वृक्ष पर विनाश का ही फल लगता है
जिसने मन को जीत लिया है, उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है, किन्तु जो ऐसा नहीं कर पाया उसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा
आपको स्वयं प्रयास करना चाहिए, प्रभु केवल मार्ग बताते हैं।
अनुमान मन की कल्पना है, और अनुभव जिंदगी का सबक है। सच्ची खुशी तभी होती है, जब आपकी सोच, कथन और कर्म में समानता हो
आप वापस नहीं जा सकते है और को नहीं बदल सकते है । लेकिन आप जहाँ है, वही से शुरू कर सकते है और अंत को बदल सकते है।
जैसे तेल समाप्त हो जाने पर दीपक बुझ जाता है, उसी प्रकार कर्म के क्षीण हो जाने पर भाग्य भी नष्ट हो जाता है।
सभी धर्मो को छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ. में तुम्हे सभी पापो से मुक्त कर दूंगा, इसमें कोई संदेह नहीं हैं
समय जब पलटता है तो सबकुछ पलट देता है इसलिए अच्छे समय में घमंड ना रखे और बुरे वक़्त में सब्र रखना ना छोड़े.
विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है, आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है
कर्म योग वास्तव में एक परम रहस्य है
आज मुश्किल कल थोड़ा बेहतर होगा, बस उम्मीद मत छोड़ना भविष्य जरुर बेहतरीन होगा
नकारात्मक विचारों का आना तय है परंतु यह आप पर निर्भर करता है, कि आप उन्हें कितना महत्व देते हैं
सम्पूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते हैं अहंकार से मोहित हुआ पुरुष मैं कर्ता हूँ ऐसा मान लेता है
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जो रास्ता ईश्वर ने आपके लिए खोला है उसे कोई भी बंद नहीं कर सकता
प्रत्येक व्यक्ति इस भौतिक शरीर रूपी रथ पर आरूढ है और बुद्धि इसका सारथी है। मन लगाम है तथा इन्द्रियाँ घोड़े हैं। इस प्रकार मन तथा इन्द्रियों की संगति से यह आत्मा सुख या दुःख का भोक्ता है।
निस्संदेह किसी भी देहधारी प्राणी के लिए समस्त कर्मों का परित्याग कर पाना असम्भव है। लेकिन जो कर्मफल का परित्याग करता है, वह वास्तव में त्यागी कहलाता है
परमात्मा ने आपको सबसे अलग बनाया है इसलिए, दूसरो के जैसा बन कर अपनी वास्तविकता को नष्ट मत करो
इस भौतिक संसार का यह नियम है जो वस्तु उत्पन्न होती है, कुछ काल तक रहती है अंत में लुप्त जाती है चाहे वे शरीर हो, फल हो
वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि ने कितने पुष्प खो दिए, वह सदैव नए फूलों के सृजन करता रहता है
अपनी पीड़ा के लिए संसार को दोष मत दो अपने मन को समझाओ तुम्हारे मन का परिवर्तन ही तुम्हारे दुःखो का अंत है..
जो होने वाला है वो होकर ही रहता है। और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है उन्हें चिंता कभी नहीं सताती
आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है
जन्म-मृत्यु के चक्कर से केवल वही बच पाता है जो परमात्म-ज्ञान के रास्ते जाता है
हर दुःख के समय के बाद सुख का समय अवश्य आता है
मनुष्य गलत कार्य करते समय दाएं, बाएं, आगे, पीछे, चारों तरफ देखता है। बस ऊपर देखना भूल जाता है
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