प्राचीन भारतीय अध्यात्म में किसी भी देवी देवता के अष्टोत्तर शतनाम या शतनाम स्तोत्र का अनन्य महत्व है। ये नाम देवी देवता के विषेश ज्ञान, गुण, कार्य शक्ति अदि से संबंधित है। अष्टोत्तर शतनाम साधना कम समय मे ज्यादा लाभदायक हो सकती है। कही जगह अष्टोत्तर शतनाम पाठ किसी अनुष्ठान के आदि और अंत मे बहुत लाभदायी होता है

अष्टोत्तर शतनामावली का शाब्दिक अर्थ क्रमबद्ध सूची में 108 नामों से है। अष्टोत्तर शतनामावली सभी प्रमुख देवी-देवताओं के लिए हैं। जैसे राधा अष्टोत्तर शतनामावली का अर्थ है राधा रानी से संबंधित 108 नाम अष्टोत्तर शतनामावली या देवताओं के 108 की नामों की पवित्रता हिंदू धर्म और अंकशास्त्र के अनुसार, 5 नंबर एक पवित्र और रहस्यमय संख्या है, ज्योतिष में, 9 ग्रह या नवग्रह मानव शरीर में 9 छेद या 9 दरबाजे है, मानव भ्रूण माता के गर्भ में 9 महीने रहता है। आदि। श्री मंत्र 9 त्रिकोणों के अंतःक्षेपण से बना है। राम नवमी और नव दुर्गा त्योहार दिनों तक मनाए जाते हैं तो 9 के गुणक पवित्र है, भगवत गीता में 18 अध्याय है। 18 पुराण और 108 उपनिषद है।

यही कारण है कि 108 एक पवित्र संख्या है, 108 संख्या 9 का विभाज्य है। इसलिए, प्रत्येक देवी-देवताओं के लिए 108 नाम है और 108 नामों के साथ प्रार्थना करने से उनके आशीर्वाद के लिए उस विशिष्ट देवता तक पहुंचने के लिए 108 मार्ग हैं। आम तौर पर देवताओं के 108 नाम उनके भौतिक स्वरूप, उनके रूपों, विशेष शक्तियों, विशेषताओं और उस विशेष देवता या देवी से जुड़े हैं जो ज्ञान, शक्ति, धन आदि से जुड़े है, उनका बाहना या वाहन क्या है, कुछ पौराणिक घटना जो घटित हुई है, उनकी भूमिका विशेष शक्तियां, देवे हथियार जो वे ले जाते हैं, उनका पहनावा, उनके द्वारा पहने जाने वाले आभूषण, जो उनके बेटे या बेटी या पति या पत्नी है और उनके अवतार के अनुसार

भगवान या अपने इष्ट की सेवा कम समय में उपलब्ध करने का ये छोटा सा प्रयास मेरे के चरणो मे समर्पित

॥ अथ श्रीराधाष्टोत्तरशतनामावलिः ॥ 

1. श्री राधायै नमः ।

2. श्री राधिकायै नमः ।

3. श्री कृष्णवल्लभायै नमः ।

4. श्री कृष्णसम्युक्तायै नमः ।

5. श्री वृन्दावनेश्वर्यै नमः ।

6. श्री कृष्णप्रियायै नमः ।

7. श्री मदनमोहिन्यै नमः ।

8. श्री श्रीमत्यै नमः ।

9. श्री कृष्णकान्तायै नमः ।

10. श्री कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नमः ।

11. श्री यशस्विन्यै नमः ।

12. श्री यशोदानन्दनवल्लभायै नमः ।

13. श्री त्रैलोक्यसुन्दर्यै नमः ।

14. श्री वृन्दावनविहारिण्यै नमः ।

15. श्री वृषभानुसुतायै नमः ।

16. श्री हेमाङ्गायै नमः ।

17. श्री उज्ज्वलगात्रिकायै नमः ।

18. श्री शुभाङ्गायै नमः ।

19. श्री विमलाङ्गायै नमः ।

20. श्री विमलायै नमः ।

21. श्री कृष्णचन्द्रप्रियायै नमः ।

22. श्री रासप्रियायै नमः ।

23. श्री रासाधिष्टातृदेवतायै नमः ।

24. श्री रसिकायै नमः ।

25. श्री रसिकानन्दायै नमः ।

26. श्री रासेश्वर्ये नमः ।

27. श्री रासमण्डलमध्यस्थायै नमः ।

28. श्री रासमण्डलशोभितायै नमः ।

29. श्री रासमण्डलसेव्यायै नमः ।

30. श्री रासक्रिडामनोहर्यै नमः ।

31. श्री कृष्णप्रेमपरायणायै नमः ।

32. श्री वृन्दारण्यप्रियायै नमः ।

33. श्री वृन्दावनविलासिन्यै नमः ।

34. श्री तुलस्यधिष्टातृदेव्यै नमः ।

35. श्री करुणार्णवसम्पूर्णायै नमः ।

36. श्री मङ्गलप्रदायै नमः ।

37. श्री कृष्णभजनाश्रितायै नमः ।

38. श्री गोविन्दार्पितचित्तायै नमः ।

39. श्री गोविन्दप्रियकारिण्यै नमः ।

40. श्री रासक्रीडाकर्यै नमः ।

41. श्री रासवासिन्यै नमः ।

42. श्री राससुन्दर्यै नमः ।

43. श्री गोकुलत्वप्रदायिन्यै नमः ।

44. श्री किशोरवल्लभायै नमः ।

45. श्री कालिन्दीकुलदीपिकायै नमः ।

46. श्री प्रेमप्रियायै नमः ।

47. श्री प्रेमरूपायै नमः ।

48. श्री प्रेमानन्दतरङ्गिण्यै नमः ।

49. श्री प्रेमधात्र्यै नमः ।

50. श्री प्रेमशक्तिमय्यै नमः ।

51. श्री कृष्णप्रेमवत्यै नमः ।

52. श्री कृष्णप्रेमतरङ्गिण्यै नमः ।

53. श्री गौरचन्द्राननायै नमः ।

54. श्री चन्द्रगात्र्यै नमः ।

55. श्री सुकोमलायै नमः ।

56. श्री रतिवेषायै नमः ।

57. श्री रतिप्रियायै नमः ।

58. श्री कृष्णरतायै नमः ।

59. श्री कृष्णतोषणतत्परायै नमः ।

60. श्री कृष्णप्रेमवत्यै नमः ।

61. श्री कृष्णभक्तायै नमः ।

62. श्री कृष्णप्रियभक्तायै नमः ।

63. श्री कृष्णक्रोडायै नमः ।

64. श्री प्रेमरताम्बिकायै नमः ।

65. श्री कृष्णप्राणायै नमः ।

66. श्री कृष्णप्राणसर्वस्वदायिन्यै नमः ।

67. श्री कोटिकन्दर्पलावण्यायै नमः ।

68. श्री कन्दर्पकोटिसुन्दर्यै नमः ।

69. श्री लीलालावण्यमङ्गलायै नमः ।

70. श्री करुणार्णवरूपिण्यै नमः ।

71. श्री यमुनापारकौतुकायै नमः ।

72. श्री कृष्णहास्यभाषणतत्परायै नमः ।

73. श्री गोपाङ्गनावेष्टितायै नमः ।

74. श्री कृष्णसङ्कीर्तिन्यै नमः ।

75. श्री राससक्तायै नमः ।

76. श्री कृष्णभाषातिवेगिन्यै नमः ।

77. श्री कृष्णरागिण्यै नमः ।

78. श्री भाविन्यै नमः ।

79. श्री कृष्णभावनामोदायै नमः ।

80. श्री कृष्णोन्मादविदायिन्यै नमः ।

81. श्री कृष्णार्तकुशलायै नमः ।

82. श्री पतिव्रतायै नमः ।

83. श्री महाभावस्वरूपिण्यै नमः ।

84. श्री कृष्णप्रेमकल्पलतायै नमः ।

85. श्री गोविन्दनन्दिन्यै नमः ।

86. श्री गोविन्दमोहिन्यै नमः ।

87. श्री गोविन्दसर्वस्वायै नमः ।

88. श्री सर्वकान्ताशिरोमण्यै नमः ।

89. श्री कृष्णकान्ताशिरोमण्यै नमः ।

90. श्री कृष्णप्राणधनायै नमः ।

91. श्री कृष्णप्रेमानन्दामृतसिन्धवे नमः ।

92. श्री प्रेमचिन्तामण्यै नमः ।

93. श्री प्रेमसाध्यशिरोमण्यै नमः ।

94. श्री सर्वैश्वर्यसर्वशक्तिसर्वरसपूर्णायै नमः ।

95. श्री महाभावचिन्तामण्यै नमः ।

96. श्री कारुण्यामृतायै नमः ।

97. श्री तारुण्यामृतायै नमः ।

98. श्री लावण्यामृतायै नमः ।

99. श्री निजलज्जापरीधानश्यामपटुशार्यै नमः ।

100. श्री सौन्दर्यकुङ्कुमायै नमः ।

101. श्री सखीप्रणयचन्दनायै नमः ।

102. श्री गन्धोन्मादितमाधवायै नमः ।

103. श्री महाभावपरमोत्कर्षतर्षिण्यै नमः ।

104. श्री सखीप्रणयितावशायै नमः ।

105. श्री कृष्णप्रियावलीमुख्यायै नमः ।

106. श्री आनन्दस्वरूपायै नमः ।

107. श्री रूपगुणसौभाग्यप्रेमसर्वाधिकाराधिकायै नमः ।

108. श्री एकमात्रकृष्णपरायणायै नमः ।

॥ इति श्रीराधाष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ॥