यह सबकी रक्षा करने वाला परम दिव्य ‘श्रीकृष्ण-कवच’ है।श्री कृष्ण कवच भगवान् श्री कृष्ण को समर्पित एक बहुत ही चमत्कारी स्तोत्र है। इस स्तोत्र के द्वारा आप अपने जीवन में आने वाले अनेक प्रकार के कष्टों का नाश कर सकते हैं। कृष्ण जी को हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व दिया गया है श्री कृष्ण हिन्दू धर्म में अत्यधिक पूजे जाने वाले देवों में से एक हैं। भगवान् श्री कृष्ण की कृपा होने पर व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के शुभकर्मो का आगमन होता है तथा जीवन प्रसन्नता से भर जाता है। श्री कृष्ण कवच का विधिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
श्री कृष्ण कवचम Shri Krishna Kavacham
श्रीकृष्णकवचम्
प्रणम्य देवं विप्रेशं प्रणम्य च सरस्वतीम् ।
प्रणम्य च मुनीन् सर्वान् सर्वशास्त्रविशारदान् ॥ १॥
श्रीकृष्णकवचं वक्ष्ये श्रीकीर्तिविजयप्रदम् ।
कान्तारे पथि दुर्गे च सदा रक्षाकरं नृणाम् ॥ २॥
स्मृत्वा नीलाम्बुदश्यामं नीलकुञ्चितकुन्तलम् ।
बर्हिपिञ्छलसन्मौलिं शरच्चन्द्रनिभाननम् ॥ ३॥
राजीवलोचनं राजद्वेणुना भूषिताधरम् ।
दीर्घपीनमहाबाहुं श्रीवत्साङ्कितवक्षसम् ॥ ४॥
भूभारहरणोद्युक्तं कृष्णं गीर्वाणवन्दितम् ।
निष्कलं देवदेवेशं नारदादिभिरर्चितम् ॥ ५॥
नारायणं जगन्नाथं मन्दस्मितविराजितम् ।
जपेदेवमिमं भक्त्या मन्त्रं सर्वार्थसिद्धये ॥ ६॥
सरर्वदोषहरं पुण्यं सकलव्याधिनाशनम् ।
वसुदेवसुतः पातु मूर्धानं मम सरर्वदा ॥ ७॥
ललाटं देवकीसूनुः भ्रूयुग्मं नन्दनन्दनः ।
नयनौ पूतनाहन्ता नासां शकटमर्द्दनः ॥ ८॥
यमलार्जुनहृत्कर्णौकि कपोलौ नगमर्द्दनः ।
दन्तान् गोपालकः पोतु जिह्वां हय्यङ्गवीनभुक् ॥ ९॥
ओष्ठं धेनुकजित्पायादधरं केशिनाशनः ।
चिबुकं पातु गोविन्दो बलदेवानुजो मुखम् ॥ १०॥
अक्रूरसहितः कण्ठं कक्षौ दन्तिवरान्तकः ।
भुजौ चाणूरहारिर्मे करौ कंसनिषूदनः ॥ ११॥
वक्षो लक्ष्मीपतिः पातु हृदयं जगदीश्वरः ।
उदरं मधुरानाथो नाभिं द्वारवतीपतिः ॥ १२॥
रुग्मिणीवल्लभः पृष्ठं जघनं शिशुपालहा ।
ऊरू पाण्डवदूतो मे जानुनी पार्थसारथिः ॥ १३॥
विश्वरूपधरो जङ्घे प्रपदे भूमिभारहृत् ।
चरणौ यादवः पातु पातु विघ्नोऽखिलं वपुः ॥ १४॥
दिवा पायाज्जगन्नाथो रात्रौ नारायणः स्वयम् ।
सरर्वकालमुपासीरिस्सर्वकामार्थसिद्धये ॥ १५॥
इदं कृष्णबलोपेतं यः पठेत् कवचं नरः ।
सर्वदाऽऽर्तिभयान्मुक्तः कृष्णभक्तिं समाप्नुयात् ॥ १६॥
इति श्रीकृष्णकवचं
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