बरसाने की लट्ठमार होली
बरसाने की लट्ठमार होली न सिर्फ देश में मशहूर है बल्कि पूरी दुनिया में भी काफी प्रसिद्ध है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को बरसाने में लट्ठमार होली मनाई जाती है। नवमी के दिन यहां का नजारा देखने लायक होता है। यहां लोग रंगों, फूलों के अलावा डंडों से होली खेलने की परंपरा निभाते है।
बरसाना में राधा जी का जन्म हुआ था। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को नंदगांव के लोग होली खेलने के लिए बरसाना गांव जाते हैं। जहां पर लड़कियों और महिलाओं के संग लट्ठमार होली खेली जाती है। इसके बाद फाल्गुन शुक्ल की दशमी तिथि पर रंगों की होली खेली होती है।
लट्ठमार होली खेलने की परंपरा भगवान कृष्ण के समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने दोस्तों संग नंदगांव से बरसाना जाते हैं। बरसाना पहुंचकर वे राधा और उनकी सखियों संग होली खेलते हैं। इस दौरान कृष्णजी राधा संग ठिठोली करते है जिसके बाद वहां की सारी गोपियां उन पर डंडे बरसाती है।
गोपियों के डंडे की मार से बचने के लिए नंदगांव के ग्वाले लाठी और ढालों का सहारा लेते हैं। यही परंपरा धीरे-धीरे चली आ रही है जिसका आजतक पालन किया जा रहा है। पुरुषों को हुरियारे और महिलाओं को हुरियारन कहा जाता है। इसके बाद सभी मिलकर रंगों से होली का उत्सव मनाते है।
राधे कृष्णा
Barsana Lathmar Holi
Barsane’s Lathmar Holi is not only famous in the country but is also very famous all over the world. Lathmar Holi is celebrated to mark the Navami of the Shukla Paksha of Falgun month. The view here on Navami is worth seeing. People here carry the tradition of playing Holi with colors, flowers and poles.
Radha ji was born in Barsana. On the Shukla Paksha Navami of Falgun month, the people of Nandgaon go to Barsana village to play Holi. Where Lathmar Holi is played with girls and women. After this, Holi of colors is played on the tenth day of Falgun Shukla.
The tradition of playing Lathmar Holi has been in existence since the time of Lord Krishna. It is believed that Lord Krishna visits Barsana from Nandgaon with his friends. On reaching Barsana, they play Holi with Radha and her friends. During this time, Krishnaji chides with Radha, after which all the gopis there show their poles.
The cowherds of Nandgaon resort to sticks and shields to avoid the attack of the Gopis. This tradition is gradually being followed which is being followed till today. Men are called huriare and women are called huriaran. After this, everyone celebrates Holi with colors.
Radhe Krishna
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