आइए जानें कुण्डली में स्थित कुछ महत्वपूर्ण अशुभ योग के प्रभाव एवं उपाय जानें ग्रहों की नाराजगी कैसे करें दूर

जन्म कुंडली में 2 या उससे ज्यादा ग्रहों की युति, दृष्टि, भाव आदि के मेल से योग का निर्माण होता है। ग्रहों के योगों को ज्योतिष फलादेश का आधार माना गया है। अशुभ योग के कारण व्यक्ति को जिंदगीभर दु:ख झेलना पड़ता है। आओ जानते हैं कि कौन-कौन से अशुभ योग होते हैं और क्या है उनका निवारण है

1. चांडाल योग chandala yoga 

कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का होना या दृष्टि आदि होना चांडाल योग बनाता है।

इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। जातक बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं।

इस योग के निवारण हेतु उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें। माथे पर केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।

संभव हो तो एक समय ही भोजन करें और भोजन में बेसन का उपयोग करें। अन्यथश प्रति गुरुवार को कठिन व्रत रखें।

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2. अल्पायु योग short life yoga 

जब जातक की कुंडली में चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है।

अल्पायु योग में जातक के जीवन पर हमेशा हमेशा संकट मंडराता रहता है, ऐसे में खानपान और व्यवहार में सावधानी रखनी चाहिए।

अल्पायु योग के निदान के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र पढ़ना चाहिए और जातक को हर तरह के बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए।

3. ग्रहण योग Eclipse yoga

ग्रहण योग मुख्यत: 2 प्रकार के होते हैं- सूर्य और चन्द्र ग्रहण। यदि चन्द्रमा पाप ग्रह राहु या केतु के साथ बैठे हों तो चन्द्रग्रहण और सूर्य के साथ राहु हो तो सुर्यग्रहण होता है।

चन्द्रग्रहण से मानसिक पीड़ा और माता को हानि पहुंचती है। सूर्यग्रहण से व्यक्ति कभी भी जीवन में स्टेबल नहीं हो पाता है, हड्डियां कमजोर हो जाती है, पिता से सुख भी नहीं मिलता।

ऐसी स्थिति में 6 नारियल अपने सिर पर से वार कर जल में प्रवाहित करें। आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें। सूर्य को जल चढ़ाएं। एकादशी और रविवार का व्रत रखें। दाढ़ी और चोटी न रखें।

4. वैधव्य योग Vaidhya Yoga

वैधव्य योग बनने की कई स्थितियां हैं। वैधव्य योग का अर्थ है विधवा हो जाना। सप्तम भाव का स्वामी मंगल होने व शनि की तृतीय, सप्तम या दशम दृष्टि पड़ने से भी वैधव्य योग बनता है। सप्तमेश का संबंध शनि, मंगल से बनता हो व सप्तमेश निर्बल हो तो वैधव्य का योग बनता है।

जातिका को विवाह के 5 साल तक मंगला गौरी का पूजन करना चाहिए, विवाह पूर्व कुंभ विवाह करना चाहिए और यदि विवाह होने के बाद इस योग का पता चलता है तो दोनों को मंगल और शनि के उपाय करना चाहिए।

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5. दारिद्रय योग poverty yoga 

यदि किसी जन्म कुंडली में 11वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6, 8 अथवा 12वें घर में स्थित हो जाए तो ऐसी कुंडली में दारिद्रय योग बन जाता है।

दारिद्रय योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातकों की आर्थिक स्थिति जीवनभर खराब ही रहती है तथा ऐसे जातकों को अपने जीवन में अनेक बार आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।

6. षड्यंत्र योग Conspiracy Yoga

यदि लग्नेश 8वें घर में बैठा हो और उसके साथ कोई शुभ ग्रह न हो तो षड्यंत्र योग का निर्माण होता है।

जिस स्त्री-पुरुष की कुंडली में यह योग होता है वह अपने किसी करीबी के षड्यंत्र का शिकार होता है। इससे उसे धन-संपत्ति व मान-सम्मान आदि का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस दोष को शांत करने के लिए प्रत्येक सोमवार भगवान शिव और शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करते रहना चाहिए।

7. कुंज योग Kunj Yoga 

यदि किसी कुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो कुज योग बनता है। इसे मांगलिक दोष भी कहते हैं।

जिस स्त्री या पुरुष की कुंडली में कुज दोष हो, उनका वैवाहिक जीवन कष्टप्रद रहता है इसीलिए विवाह से पूर्व भावी वर-वधू की कुंडली मिलाना आवश्यक है। यदि दोनों की कुंडली में मांगलिक दोष है तो ही विवाह किया जाना चाहिए।

विवाह होने के बाद इस योग का पता चला है तो पीपल और वटवृक्ष में नियमित जल अर्पित करें। मंगल के जाप या पूजा करवाएं। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

8. केमद्रुम योग Kemdrum Yoga 

यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा के अगले और पिछले दोनों ही घरों में कोई ग्रह न हो तो या कुंडली में जब चन्द्रमा द्वितीय या द्वादश भाव में हो और चन्द्र के आगे और पीछे के भावों में कोई अपयश ग्रह न हो तो केमद्रुम योग का निर्माण होता है।

इस योग के चलते जातक जीवनभर धन की कमी, रोग, संकट, वैवाहिक जीवन में भीषण कठिनाई आदि समस्याओं से जूझता रहता है।

इस योग के निदान हेतु प्रति शुक्रवार को लाल गुलाब के पुष्प से गणेश और महालक्ष्मी का पूजन करें। मिश्री का भोग लगाएं। चन्द्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

9. अंगारक योग Angarak yoga

यदि किसी कुंडली में मंगल का राहु या केतु में से किसी के साथ स्थान अथवा दृष्टि से संबंध स्थापित हो जाए तो अंगारक योग का निर्माण हो जाता है।

इस योग के कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा ऐसा जातक अपने भाई, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ कभी भी अच्छे संबंध नहीं रखता। उसका कोई कार्य शांतिपूर्वक नहीं निपटता।

इसके निदान हेतु प्रतिदिन हनुमानजी की उपासना करें। मंगलवार के दिन लाल गाय को गुड़ और प्रतिदिन पक्षियों को गेहूं या दाना आदि डालें। अंगारक दोष निवारण यंत्री भी स्थापित कर सकते हैं।

10. विष योग venom yoga

शनि और चंद्र की युति या शनि की चंद्र पर दृष्टि से विष योग बनता है। कर्क राशि में शनि पुष्य नक्षत्र में हो और चंद्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र में हो अथवा चन्द्र और शनि विपरीत स्थिति में हों और दोनों अपने-अपने स्थान से एक दूसरे को देख रहे हों तो तब भी विष योग बनता है। यदि 8वें स्थान पर राहु मौजूद हो और शनि मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक लग्न में हो तो भी यह योग बनता है।

इस योग से जातक को जिंदगीभर कई प्रकार की विष के समान कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पूर्ण विष योग माता को भी पीड़ित करता है।

इस योग के निदान हेतु संकटमोचक हनुमानजी की उपासना करें और प्रति शनिवार को छाया दान करते रहें। सोमवार को शिव की आराधना करें या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

विशेष कोई भी उपाय अपने आप से न करें पहले किसी योग्य आचार्य से परामर्श अवश्य ले धन्यवाद 

जन्मकुंडली में सातवे स्थान में शनि हो तो विवाह में विलंब एवम बड़ी उम्र का जीवनसाथी मिलता है 

जन्मकुंडली में सातवें स्थान में बैठे शनि पति पत्नी में कलह व अशांति देते है। 30 वर्ष की उम्र में विवाह होता हैविवाह असफल होने की संभावना रहती है।

उपाय :- शुद्ध व सिद्ध की की हुई धतूरे की जड़ गले मे धारण करे

दशम स्थान का स्वामी जिस भाव में होगा उस भाव से संबंधित कर्म आपको तरक्की देंगे जैसे सप्तम भाव में है तो जीवन साथी के माध्यम से या व्यापार के माध्यम से सफलता मिलेगी, तृतीय भाव में हो तो पार्टनरशिप मित्र या भाई द्वारा जीवन में तरक्की नवम भाव में होना यानी विदेश से लाभ,

जन्मकुंडली में बारहवे स्थान में सूर्य जिद्दी एवम अहंकारी बनाता है। व्यक्ति जन्मस्थान पर असफल ही रहता है 

जन्मकुंडली में बारहवे स्थान में सूर्य हो तो व्यक्ति जन्मस्थान से बाहर या विदेश जाकर ही सफलता प्राप्त करता है। अपने अतिस्वभिमान के कारण नुकसान भी उठाना पड़ता है।

उपाय :- पुष्य नक्षत्र में श्वेतार्क जड़ लाकर शुद्ध करके पीले कपड़े में बांधकर अपने पास रखे।

जानें ग्रहों की नाराजगी कैसे करें दूर How to remove the displeasure of planets in Hindi 

1- सूर्य (The Sun) भूल कर भी झूठ न बोलें, सूर्य का गुस्सा कम हो जाएगा। झूठ क्या है ? झूठ वो है

जो अस्तित्व में नहीं है और यदि हम झूठ बोलेंगे तो सूर्य को उसका अस्तित्व (Existence) पैदा करना पडेगा (आश्चर्य की कोई बात नहीं है ये नौ ग्रह हमारे जीवन के लिए ही अस्तित्व (existence) में आये हैं ) सूर्य का काम बढ़ जाएगा और मुश्किल भी हो जाता है।

जानें पारिजात योग क्या होता है ? What is Parijat Yoga in Hindi 

पारिजात योग: Parijat Yoga 

पारिजात योग तब बनता है जब कुंडली में लग्नेश जिस राशि में होता है उस राशि का स्वामी कुंडली में उच्च स्थान पर हो या अपने घर में हो। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार ये योग बहुत ही उत्तम योग माना जाता है। इसके प्रभाव से जातक अपने जीवन में व्यक्ति सफलता आदि प्राप्त करता है।

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