लक्ष्मी बंधन मुक्ति के उपाय जानें विशेष उपयोगी सामग्रियों द्वारा धन वृद्धि के उपाय

आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में धन ही जीवन का आधार बन गया है। इस कारण बिना धन के कोई भी कार्य ठीक से सम्पन्न नही क्या जा सकता। पहले के युग मे व्यक्ति की आवश्यकताए कम थी, भौतिक सुखो के प्रति आकर्षण कम था, इसलिये इसलिये कम धन में भी सुखी और चिंता मुक्त जीवन व्यतीत कर सकते थे। जैसे-जैसे समय बढ़ता गया वैसे ही इंसान भौतिक सुखों का प्रति अधिक आकर्षत होता गया।

पहले किसी व्यक्ति को आवश्यकता अनुसार पूर्ति होने पर प्रसन्न रहता था एक सामान्य झौपड़ी में भी प्रसन्न रह लेता था। लेकिन आज एक सामान्य व्यक्ति को भी तीन से चार कमरों की आवश्यता होती है मिलने पर भी वह भव्य मकान की आशा करता है। एक वाहन से भी आवश्यकता पूर्ति हो सकती है फिर भी अधिक लेने का प्रयास करता है। यही कारण है कि आज सभी अपनी आवश्यकता और सामर्थ्य से अधिक धन प्राप्ति का प्रयास कर रहे है।

इनमे से कुछ लोगो की इच्छा पूर्ति परिश्रम से हो जाती है लेकिन कुछ लोग परिश्रम व प्रयास तो बहुत करते है फिर भी मनोकामना पूर्ति नही हो पाती। ऐसे लोग किसी न किसी आर्थिक समस्या से परेशान रहते है लेकिन इन्हें पता नही लग पाता आखिर समस्या का कारण क्या है।

ऐसी स्थित में यह विचारणीय हो जाता है कि कुछ लोगो को प्रयास एवं पर्याप्त परिश्रम के बाद भी धन संबंधित समस्या क्यो बन रही है ? इस विषय मे हमारे विचार के अनुसार दो कारण होते है। एक पूर्वजन्म के कर्म और दूसरा कारण लक्ष्मी बंधन। पहले कारण का ज्ञान इस जन्म में नही हो सकता लेकिन दूसरा कारण अधिकांशतः किसी व्यक्ति द्वारा ईर्ष्या अथवा टोक में कही कोई बात अथवा श्राप बंधन का कारण बन जाती है। जब तक यह बंधन रहता है तब तक आर्थिक समस्या बनी रहती है।

लक्ष्मी बंधन एक ऐसी समस्या हैं कि इसके होने का पता नही चलता यह किसी को पत्थर फैंक कर मारने जैसा काम नही है। जिसके कारण से बंधन होता है उस व्यक्ति को भी इस बात का पता नही चलता कि उसके कहे शब्दो से किसी की इतनी हानि हो सकती है। एक अच्छी बात यह है कि कुछ आसान उपायो से इस बंधन से मुक्ति पाई जा सकती है। आज हम इनमे से कुछ विशेष उपायो को आपके साथ सांझा कर रहे है आशा है कि आप इनसे अवश्य लाभान्वित होंगे।

1. प्रत्येक सोमवर अथवा शुक्रवार को बहते जल में एक मुट्ठी चावल तथा एक नारियल प्रवाहित करते रहने से आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। इस प्रयोग को निरन्तर छह माह तक करना लाभदायक होता है। गरीबी दूर होती है एवं रोजगार के अवसर बढ़ते है।

2. किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन तोते को पिजरे सहित खरीद कर तोते को बंधन मुक्त करने से व्यापारिक समृद्धि बढ़ती है ऐसा तीन बार करे तो अधिक लाभ मिलता है।

3. तंत्र शास्त्रो में शाबर मंत्रों को अधिक सरल व प्रभावशाली बताया गया है। इन मंत्रों की सिद्धि भी अन्य मंत्रो की तुलना में ज्यादा सरल होती है। शाबर मंत्र प्रयोग के अंतर्गत इस बात का ध्यान अवश्य रहे कि इसका उच्चारण कभी भी गलत ना हो अन्यथा लाभ नही मिल पाता।

मंत्र

जिमी सरिता सागर महुं जाई।

जदपि ताहि कामना नाही।।

सगरे सुख बिनहीँ बोलाए।

आए काली माई की दुहाई।।

उपरोक्त मंत्र को प्रातः स्नान से निवृत होकर लक्ष्मी जी की पंचोपचार से पूजा कर ११ माला प्रतिदिन जप करे। जप में स्फटिक की माला का प्रयोग ही करें। यदि इस मंत्र की संख्या प्रतिदिन बढ़ाते जाए तो मंत्र का प्रभाव भी बढ़ जाता है।

4. आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान करने के लिए चित्र में दिए मंत्र का निर्माण अत्यंत लाभदायक होता है। इस यंत्र को शुभ मुहूर्त दीपावली अथवा शुक्ल पक्ष अष्टमी में बनाना अधिक लाभकारी है। इसके लिए स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पहले घर के मंदिर में लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा स्थापित करे अगर पहले से है तो उनका यथा सामर्थ्य पूजन करें, इसके बाद लाल उनी आसान पर उत्तर दिशा में मुख्य कर

अनार की टहनी की कलम बनाकर आलू के रस में अष्टगंध मिलाकर जो स्याही बने उससे निम्न यंत्र का निर्माण अखंडित भोजपत्र पर करें आलू का रस कच्चे आलू को पीस कर प्राप्त कर सकते है। यंत्र को लिखते समय मुख में इलायची अवश्य रखें। इस यंत्र को घर के पूजा स्थल अथवा घर या दुकान की तिजोरी में रख नित्य धूप दीप दिखाए। लक्ष्मी जी की कृपा होगीं।

5. शनि की राशि से संबंधित अथवा शनि साढ़े साती से ग्रसित व्यक्तियों को निम्न प्रयोग करने से अवश्य लाभ होता है। इसके लिये पहले ही सरसो का तेल, मिट्टी का दीपक, साबुत सुपारी, दही, सिंदूर, दो साबूत उडद के दाने, घी, शक्कर, दूध मिश्रित जल, रूई, अगरबत्ती या धूपबत्ती, आदि सामग्री एकत्रित कर लें फिर प्रत्येक शनिवार सूर्यास्त के तुरंत बाद घर के किसी पास के पीपल की जड़ो में सर्वप्रथम दो साबुत उडद अर्पित करें

इसके बाद दोनों पर थोड़ा सा सिंदूर फिर दही डालें एवं सरसो के तेल का दीप जलाये। दूध मिश्रित जल जड़ो में अर्पित करें इसके बाद सुपारी चढ़ाये एवं भगवान गणेश का प्रथम स्मरण कर वृक्ष के तने में लक्ष्मी नारायण का ध्यान कर मन मे प्रार्थना करें है प्रभु आपकी कृपा से मुझे धन की कमी ना हो शीघ्र लक्ष्मी प्राप्ति हो इसके बाद प्रणाम कर वापस आ जाये पलट कर ना देखे नाही रास्ते मे किसी से बात करें

विशेष उपयोगी सामग्रियों द्वारा धन वृद्धि के उपाय 

धन प्राप्ति के लिये अनेक उपायों में विशेष प्रकार की सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। इन सामग्रियों के प्रभाव से आपकी समस्यायें कम होकर मनोकामनाओं की प्रति होती है। यह ऐसी सामग्रियां हैं जो आपके कार्यों में आने वाली बाधाओं को तुरन्त प्रभाव से दूर करती हैं। इन सामग्रियों के प्रयोग से आप अपनी धन सम्बन्धी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इस अध्याय में हम आपको इन सामग्रियों के बारे में संक्षिप्त रूप में जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं।

1. काले घोड़े की नाल- शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या एवं शनिकृत अनिष्ट की शांति, व्यापारिक बंधन, नजर बाधा, ऊपरी हवा, अभिचार कर्म की निवृत्ति हेतु काले घोड़े की नाल का प्रयोग अति उत्तम है। काले घोड़े के बायें तरफ के पिछले पैर की नाल इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने हेतु विशेष प्रभावी है। शनिवार को यह नाल प्राप्त करके तिल के तेल में भिगो दें तथा 7 दिन तक उसमें ही पड़ा रहने दें।

शनिवार को इस नाल को तेल से निकाल कर घर या दुकान के द्वार पर 7 बार उसार कर सिन्दूर का लेपन करें। सिन्दूर युक्त नाल को इंगलिश के U आकार में घर या दुकान में इस प्रकार लगायें कि उस पर आगन्तुक की सीधे दृष्टि पड़े। नाल लगाने से पहले नाम, गौत्र का उच्चारण करके ॐ शं शनये नमः का जाप 1008 बार करें। ऐसा करने से शनिकृत कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा व्यापार बंधन खुलता है।

2. रांगे की अंगूठी- रोजगार में स्थिरता न होना, बार-बार काम बदलना. बिना बात शंकालु होना, धोखाधड़ी का शिकार होना, अचानक घाटा होना इत्यादि समस्याओं से अधिकांश व्यक्ति अक्सर ही पीड़ित रहते हैं। इनके समाधान के लिये वे प्रयास भी बहुत करते हैं। अनेक अवसरों पर उन्हें लाभ की प्राप्ति नहीं होती है। इन बातों से परेशान होने पर रांगे की अंगूठी धारण करना लाभप्रद होता है। इस अंगूठी को रविवार के दिन बकरे के मूत्र में धोकर ॐ रां राहवे नमः का जाप 1008 बार करके मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिये। इस सामान्य उपाय से आपको पर्याप्त लाभ की प्राप्ति होगी।

3. बिल्ली की जेर- धन सम्पत्ति प्राप्त करने हेतु, स्थिर लक्ष्मी व्यापार वृद्धि एवं उन्नति हेतु बिल्ली की जेर का प्रयोग अत्यधिक चमत्कारी फल प्रदान करता है। बिल्ली की जेर प्राप्त कर उसका प्रयोग करने से धनाभाव नहीं देखना पड़ता । इस अभिमंत्रित जेर को अपने घर, व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं फैक्ट्री, कारखाने में तिजोरी में रखने से कारोबार बढ़ता है तथा धन-समृद्धि बनी रहती है।

4. दक्षिणावर्ती शंख- धन लाभ हेतु शंखों में दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग अमोघ फल प्रदाता है। यह लक्ष्मी का सहोदर है। घर में सुबह-शाम इस शंख की विधि-विधिान से पूजा-अर्चना करने से ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलती है एवं आर्थिक अभाव दूर होकर सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है दक्षिणावर्ती शंख के बारे में आचार्यों का मत है कि दीपावली पर यदि इस शंख की प्रतिष्ठा करके नियमित रूप से पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजन किया जाये तो ऐसा व्यक्ति धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। इसलिये यह शंख धन-समृद्धि प्राप्ति व्यापार वृद्धि हेतु विशेष तौर से प्रयुक्त होता है। आर्थिक सम्पन्नता प्राप्ति हेतु इसकी स्थापना प्रत्येक घर, कार्यालय में होना आवश्यक है।

5.श्वेतार्क गणपति- विद्या, बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि, धन-समृद्धि प्राप्ति हेतु बुद्धि के देवता गणेशजी का वरदहस्त होना आवश्यक है यदि श्वेतार्क में निर्मित गणेशजी की स्थापना घर में कर ली जाये तो किसी प्रकार का अभाव नहीं होता है आकड़े के वृक्ष में अनेक वर्षों बाद उसकी जड़ में भगवान गणेश की आकृति निर्मित हो जाती है। यह बहुत कम प्राप्त होती है। इस गणेश मूर्ति की शुभ मुहूर्त में घर में स्थापना एवं पूजा की जाये तो यह नव निधि एवं रिद्धि-सिद्धि प्रदाता होते हैं। जिस स्थान पर श्वेतार्क गणपति स्थापित होते हैं, वहां स्वयं गणेश जी विराजमान हो जाते हैं। वहां किसी भी प्रकार की समस्या और संकट कैसे हो सकता है ?

6. चांदी में अर्द्ध चन्द्र मोती लॉकेट- चन्द्रमा मन का कारक है चन्द्रमा पीड़ित होने पर मन में अशांति गुस्सा आना, उच्चाटन, मानसिक रोग, पागलपन, दौरे पड़ना, रक्त विकार इयादि कष्ट होते हैं। बालों में चन्द्रमा पाप ग्रहों से पीड़ित होने पर आकल मृत्यु भी दे सकता है। ऋषि-मुनियों के अनुसार यदि बच्चे की कुण्डली में दुर्योग हो परन्तु चन्द्रमा मजबूत, बली हो तो वह माँ दुर्गा की भांति बालक की समस्त अरिष्टों से रक्षा करता है। कमजोर चन्द्रमा को बली करने एवं उक्त कष्टों से छुटकारा पाने हेतु व्यक्ति एवं बालक को चांदी में अभिमंत्रित मोती युक्त अर्द्ध चन्द्र अवश्य धारण करना चाहिये।

7 अभिमंत्रित गोमती चक्र- गोमती नदी में प्राप्त इन चक्रों का ज्योतिष में बड़ा महत्व है। रोग मुक्ति हेतु इन चक्रों को अभिमंत्रित करके तांबे के पात्र में रखें तथा पानी भरकर रात्रि ढककर रख दें। प्रातःकाल चक्र निकाल कर इस पानी को खाली पेट पी जायें। कुछ ही दिनों में उदर विकार एवं अन्य रोग दूर हो जायेंगे धन वृद्धि हेतु इन चक्रों पर केसर अथवा सिन्दूर का टीका लगाकर लक्ष्मी के मंत्र जाप करें तथा तिजोरी या आलमारी में रख दें। नजर बाधा मुक्ति हेतु मंत्र जाप करके एक चक्र को काले कपड़े में लपेट कर दाहिनी बाजू में बांध लें, शेष को जल में विसर्जित कर दें। गोमती चक्र के अन्य अनेक प्रयोग भी हैं जिनके प्रभाव से व्यक्ति की कामनाओं की पूति होकर दुःख संकट दूर होते हैं। धन सम्बन्धी उपायों में गोमती चक्र का विशेष महत्त्व माना गया है।

8 अभिमंत्रित कौड़ी- अभिचार कर्म, ऊपरी बाधा, किसी के द्वारा कराये गये ब्रिक प्रयोग से मुक्ति हेतु घर के मुख्य द्वार पर कौड़ियों की बांदरवाल लगाना विशेष बदायी है। इसके साथ ही नजर बाधा मुक्ति, बालकों पर ऊपरी टोने-टोटके का साव निष्फल करने हेतु लड़कियों का प्रयोग अवश्य करना चाहिये धन सम्बन्धी विविध उपायों में कौड़ियो का प्रयोग प्राचीन काल से होता आया है। आज भी इन्हें धनकारक कौड़ियों के रूप में जाना जाता है।

9 अभिमंत्रित यंत्र- दशान्तर्दशा में ग्रह जनित शुभाशुभ फलों को प्राप्त करने अथवा अशुभ फलों की निवृत्ति हेतु ग्रहों की आराधना, रत्न धारण इत्यादि प्रयोग किये जाते हैं। सभी जातक रत्न धारण में सक्षम नहीं होते और न ही जन्मपत्रिका के अनुसार सभी रत्न धारण कर सकते हैं। ग्रह कृपा प्राप्त करने हेतु ग्रह यंत्र की स्थापना करके पूजा-स्तुति करने पर अत्युत्तम फल प्राप्त होता है। वास्तुदोष निवारण यंत्र, दुर्घटना नाशक यंत्र, कर्ज मुक्ति यंत्र, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, मंगल यंत्र, नवग्रह इत्यादि ऐसे अनेक यंत्र हैं जिनको अभिमंत्रित करके स्थापित कर पूजा-स्तुति करें तो अनेक प्रकार के कष्टों से बचा जा सकता है और कार्य सिद्धि होती है ये सभी सभी यंत्र जातक के नाम, गौत्र के साथ संकल्प एवं अभिमंत्रित करके प्रयोग किये जाते हैं।

10 पारद शिवलिंग- शिव पुराण में पारा धातु को भगवान शिव का ओज कहा गया है। सैंकड़ों गऊओं अथवा हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा चारों तीर्थों का जो पुण्य मिलता है वह फल पारद शिवलिंग के दर्शन करने से प्राप्त हो जाता है। शास्त्रकारों ने इसे साक्षात शिव कहा है। पारद शिवलिंग के बारे में कहा जाता ह कि जो मनुष्य पारद शिवलिंग का नित्य पूजन करता है उनके घर में कभी दरिद्रता नहीं आती न ही जीवन में मृत्यु का भय रहता है। वह जीवन में यश, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, पुत्र, पौत्र, विद्या आदि में पूर्णता प्राप्त करते हुये अंत में त्रिलोक को प्राप्त करता है।

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