जानिए क्या है मासिक शिवरात्री का महत्व || Masik Shivratri ||

पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. मासिक शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का व्रत है.

शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का पर्व है, यह पर्व न केवल उपासक को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि उन्हें क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच जैसी भावनाओं को रोकने में भी मदद करता है। जहाँ शिव-भक्त साल में एक बार बड़ी ही धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाते हैं वहीं भोलेनाथ की आराधना में प्रत्येक महीने मासिक शिवरात्रि मनाने की भी परंपरा हैं। जो भी भक्त मासिक शिवरात्रि करने की इच्छा रखते हैं उन्हें मासिक शिवरात्रि का प्रारम्भ महाशिवरात्रि के दिन से ही करना चाहिए।

चैत्र मासिक शिवरात्रि 2021 तिथि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 10 अप्रैल दिन शनिवार को प्रात: 04 बजकर 27 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन 11 अप्रैल दिन रविवार को प्रात: 06 बजकर 03 मिनट तक है। शिवरात्रि की पूजा रात्रि प्रहर में ही की जाती है, ऐसे में 10 अप्रैल को ही रात्रि पूजा का समय प्राप्त हो रहा है, इसलिए चैत्र मास की मासिक शिवरात्रि 10 अप्रैल को ही है। इस दिन ही व्रत रखा जाएगा और पूजा की जाएगी

चैत्र मासिक शिवरात्रि 2021 पूजा मुहूर्त चैत्र मासिक शिवरात्रि की पूजा के लिए आपको 45 मिनट का समय प्राप्त होगा। आप रात्रि प्रहर में 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 45 मिनट के मध्य पूजा कर सकते हैं। यह शिवरात्रि की पूजा के लिए उत्तम समय है। इस दौरान भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार, चंदन, फूल, शहद आदि जरूर अर्पित करें। 

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा : Masik Shivratri Katha

जिस तरह हर व्रत आदि के पीछे कोई न कोई कथा होती है वैसे ही मासिक शिवरात्रि करने के पीछे भी एक कथा है। आइये जानते हैं मासिक शिवरात्रि व्रत कथा-

पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय शिव-लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिसके बाद सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की थी। उस दिन से लेकर आज तक इस दिन को भगवान शिव जन्म दिवस के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन शिव पूजन का खास महत्व है। बहुत से पुराणों में भी शिवरात्रि व्रत का ज़िक्र किया गया है। शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार के लिए माता लक्ष्मीं, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी बहुत-सी देवियों और रानियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।

मासिक शिवरात्रि जीवन में सुख और शांति प्रदान करता है और भगवान शिव की कृपा दृष्टि से उपासक के सारे बिगड़े काम बन जाते है। यह व्रत संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी किया जाता है।

मासिक शिवरात्रि का महत्व : Importance Of Masik Shivratri

शिवरात्रि के व्रत की महिमा से तो सभी भली-भांति परिचित हैं, लेकिन हर महीने आने वाली मासिक शिवरात्रि का व्रत भी बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि में व्रत, उपवास रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करने से सभी मनोमनाएं पूरी होती हैं। इस दिन व्रत करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है और जातक की सारी समस्याएं दूर होती

मासिक शिवरात्रि के दिन की महिमा के बारे में यह भी कहा जाता है कि वो कन्याएं जो मनोवांछित वर पाना चाहती हैं इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है और उनके विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। शिव पुराण के अनुसार जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

शिवरात्रि की पूजन विधि

महाशिवरात्रि के दिन सुबह-२ – सवेरे उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.

जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें. अगर ज्यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं.

अब लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और “ऊं नमः शिवाय” बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.

जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्प, धतूरा, भांग, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्ठान एक-एक कर चढ़ाएं.

साथ में माता पार्वतीजी का श्रृंगार सहित पूजन करें,। शिव को गेहूं से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए.

ऐसी मान्यता है कि ऐश्वर्य पाने के लिए मूंग अर्पितकरनी चाहिए। मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए शिव को चने की दाल का भोग लगाया जाना चाहिए. शिव को तिल चढ़ाने की भी मान्यता है. कहा जाता है कि शिव को तिल चढ़ाने से पापों का नाश होता है.

रात्रि ही क्यों ?:-

अन्य देवताओं का पूजन, व्रत आदि जबकि प्रायः दिन में ही होता है तब भगवान् शंकर को रात्रि ही क्यों प्रिय हुई और वह भी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशीतिथि ही क्यों? इस जिज्ञासा का समाधान विद्वानों ने बताया है कि ‘भगवान शंकर संहार शक्ति और तमोगुण के अधिष्ठाता हैं, अतः तमोमयी रात्रि से उनका स्नेह (लगाव) होना स्वाभाविक ही है। रात्रि संहार काल की प्रतिनिधि है, उसका आगमन होते ही सर्वप्रथम प्रकाश का संहार, जीवों की दैनिक कर्मचेष्टाओं का संहार और अन्त में निद्रा द्वारा चेतनताका ही संहार होकर सम्पूर्ण विश्व संहारिणी रात्रि की गोद में अचेतन होकर गिर जाता है। ऐसी दशा में प्राकृतिक दृष्टि से शिव का रात्रिप्रिय होना सहज ही हृदयगंम हो जाता है। यही कारण है कि भगवान् शंकर की आराधना न केवल इस रात्रि में ही वरन् सदैव प्रदोष (रात्रि के प्रारम्भ होने) के समय में की जाती है।

शिव रात्रि का कृष्ण पक्ष में होना भी साभिप्राय ही है। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा पूर्ण (सबल) होता है और कृष्ण पक्ष में क्षीण। उसकी वृद्धि के साथ-साथ संसार के सम्पूर्ण रसवान् पदार्थों में वृद्धि और क्षय के साथ-साथ उनमें क्षीणता होना स्वाभाविक एवं प्रत्यक्ष है। क्रमशः घटते-घटते वह चंद्रमा अमावास्या को बिलकुल क्षीण हो जाता है। चराचर जगत् के यावन्मात्र मन के अधिष्ठाता उस चंद्र के क्षीण हो जाने से उसका प्रभाव अण्ड पिण्डवाद के अनुसार सम्पूर्ण भूमण्डल के प्राणियों पर भी पड़ता है और उन्मना जीवों के अन्तःकरण में तामसी शक्तियाँ प्रबुद्ध होकर अनेक प्रकार के नैतिक एवं सामाजिक अपराधों का कारण बनती हैं।

इन्हीं शक्तियों का अपर नाम आध्यात्मिक भाषा में भूत-प्रेतादि है और शिव को इनका नियामक (नियन्त्रक) माना जाता है। दिन में यद्यपि जगदात्मा सूर्य की स्थिति से आत्म तत्व की जागरूकता के कारण ये तामसी शक्तियाँ अपना विशेष प्रभाव नहीं दिखा पाती हैं, किंतु चंद्र विहीन अन्धकारमयी रात्रि के आगमन के साथ ही वे अपने प्रभाव दिखाने लगती हैं। इसलिये जैसे पानी आने से पहले ही पुल बाँधा जाता है, उसी प्रकार इस चंद्रक्षय (अमावास्या) तिथि के आने से सद्यःपूर्व ही उन सम्पूर्ण तामसी वृत्तियों के उपशमनार्थ इन वृत्तियों के एकमात्र अधिष्ठाता भगवान् आशुतोष की आराधना करने का विधान शास्त्रकारों ने किया है। विशेषतया:- कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में शिवाराधना का रहस्य है।

मासिक शिवरात्रि

प्रति वर्ष में एक महाशिवरात्रि आति है और हर महीने में एक मासिक शिवरात्रि आती है। उस दिन श्याम को बराबर सूर्यास्त हो रहा हो उस समय एक दिया पर पाँच लंबी बत्तियाँ अलग-अलग उस एक में हो शिवलिंग के आगे जला के रखना बैठ कर भगवान शिवजी के नाम का जप करना प्रार्थना कर ना इससे व्यक्ति के सिर पे कर्जा हो तो जल्दी उतरता है आर्थिक परेशानियाँ दूर होती है।

आर्थिक परेशानी से बचने हेतु हर महीने में शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि-कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को आती है । तो उस दिन जिसके घर में आर्थिक कष्ट रहते है वो श्याम के समय या संध्या के मसय जप-प्रार्थना करें एवं शिवमंदिर में दीप-दान करे । और रात को जब 12 बजे जायें तो थोड़ी देर जाग कर जप और एक श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें । तो आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी।

हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें, जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो, वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोले । इससे कर्जा से मुक्ति मिलेगी…

1. ॐ नमः शिवाय नमः

2. ॐ सर्वात्मने नमः

3. ॐ त्रिनेत्राय नमः

4. ॐ हराय नमः

5. ॐ इन्द्ाखाय नमः

6. ॐ श्रीकंठाय नमः

7. ॐ सद्योजाताय नमः

8. ॐ वामदेवाय नमः

9. ॐ अघोराय नमः

10. ॐ तत्पुरुषाय नमः

11. ॐ ईशानाय नमः

12. ॐ अनंतधर्माय नमः

13. ॐ ज्ञानभूताय नमः

14. ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः

15. ॐ प्रधानाय नमः

16. ॐ व्योमात्मने नमः

17. ॐ युक्तकेशात्मरुपाय नमः

 

नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. ( RadheRadheje इनकी पुष्टि नहीं करता है.)