भावानुसार ग्रहों का शुभाशुभ प्रभाव Auspicious effects of planets according to House 

अक्सर लोग किसी भी काम को करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं फिर भी कई बार ऐसा होता है कि बहुत अच्छा करने के बाद भी मेहनत सफल नहीं होती। यह सब ग्रह-नक्षत्रों की बुरी दशा और प्रभाव के कारण हो सकता है। ऐसे में ग्रहों को शांत रखना बेहद जरूरी है। वैदिक ज्योतिष में भी ग्रह शुभ अशुभ फल देते है। किसी भाव में ग्रह शुभ होता है तो किसी भाव में वह अशुभ हो जाता है। आज हम आपको ग्रह के उपाय बता रहे है जिन्हे करने से आप अपने अशुभ ग्रह को प्रसन्न कर सकते है।

जन्म कुण्डली के विभिन्न भावों में स्थित शुभाशुभ ग्रहों का सामान्य प्रभाव निम्नानुसार होता हैं

प्रथम भाव में शुभ ग्रह फल 

जातक का शरीरिक कद ऊँचा होता हैं अन्य प्रभाव होते हैं प्रबल मानसिक, शक्ति, शान्त, प्रकृति, सौन्दर्य, आरोग्य रोग विनाश, सुबुद्धि, सदृगुण, सुख प्रतिष्ठा, यश, ऐश्वर्य आदि।

प्रथम भाव में पाप ग्रह फल 

कुरुपता, मानसिक, चिन्ताऐं आलस्य, रोग, शरीरिक कष्ट, दुर्बुद्धि, दुर्गुण, अंहकार, दुःख आदि।

द्वितीय भाव में शुभ ग्रह फल 

शुम ग्रह धनी-कुल में जन्म धन संचय की प्रवृत्ति आप्तवर्ग पर प्रेम सौभाग्य बुहकुटुंब सुवक्ता आदि

द्वितीय भाव में पाप ग्रह फल

दृष्टि विकार द्रव्य नाश निर्धनता कपट व्यवहार आपत्तिजनों और विरोध नेत्र पीड़़ा वाणी दोष विपत्ति मिथ्याभाषी आदि।

तृतीय भाव में शुभ ग्रह फल 

भाई बहिन तथा मित्रों का सुख, साहस तथा पराक्रम में वृद्धि उत्तम लेख, प्रवास में सुख एवं धन का लाभ, धर्म पर श्रद्धा, उघोगी, परिश्रमी, विध्या में रूचि मिष्ठान भोजन प्रियता शुत्र नाश यश प्राप्ति आदि।

तृतीय भाव में पाप ग्रह फल 

भाई बहिन एंव मित्रादि का सामान्य सुख कार्य में बाधा तामसी स्वभाव प्रवास में कष्ट कलह प्रियता सुख एंव धन में कमी।

चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह फल 

भूमि भवन वाहन, सेवक तथा स्थावर सम्पत्ति का लाभ एवं सुख, मातृ सुख स्वकुलीभमानी, कुल, पालक, दयालुता, सन्तोष धन, ऐश्वर्य, यश तथा कीर्ति का लाभ आराम तथा सुख।

चतुर्थ भाव में पाप ग्रह फल 

कुटुम्बियों से विरोध मातृ सुख में कमी भूमि भवन सेवक तथा वाहनदि के सुख एवं लाभ में कमी वाहन से अपघात, स्वभाव में चंचलता मन में संशय सन्तान सम्बन्धी दुःख कार्य सिद्धि में न्यूनता बुद्धि विपर्यय चिन्ता एवं स्वस्भाव में चंचलता आदि।

पंचम भाव में शुम ग्रह फल 

सन्तान-सुख विधा-बुद्धि का लाभ धन सम्मान तथा यश का लाभ गहन समस्याओं को सुलझाने में पटुता चातुय्र कन्तिमत्ता उच्चधिकार प्रप्ति सुख एवं राज दरबार से प्रतिब्ठा का लाभ कुूलदीपक आदि।

पष्चम भाव में पाप ग्रह फल 

बुद्धि विपर्यय विद्या लाभ में विध्न मिथ्र्याभमान चिन्ता अपयश एंव दुःख चंचल वृत्ति सन्तान सुख में कमी आदि।

षष्ठ भाव में शुभ ग्रह फल 

ननसाल में सुख उघमी स्वजन विरोध शत्रुओं द्धारा हानि उदार एवं परोपकारी स्वभाव अशक्त प्रकृति लोगों को अनुकूल बनाने में कुशल आरोग्य आदि।

षष्ठ भाव में पाप ग्रह फल 

तामसी प्रकृति गुप्त शत्रु हानि एवं त्रास परन्तु शत्रु जयी उग्रस्वभाव धन का व्यय रोगी स्वार्थी आदि।

सप्तम भाव में शुभ ग्रह फल 

उच्च कुल में विवाह रूपवती गुणवती एंव शीलवती पत्नी अथवा पति स्त्री पति का सुख प्रवास में सुख दीवानी मामलों में विजय वाद विवाद में प्रवीणता दैनिक आजीविका का लाभ साझेदारी के व्यवसाय में लाभ क्रय विक्रय में लाभ लघु यात्राए सुखुद।

सप्तम भाव में पाप ग्रह फल 

स्त्री या पति को अरिष्ट स्त्री या पति के सुख में कमी पत्नी या पति के कलह अदालती मामलों में हानि बहु पत्नी योग परस़्त्री रत व्र्याभचारी व्यवसाय में हानि प्रवास में कष्ट दुःख पश्चाताप सांसरिक सुख की चिन्ता साझेदारी में हानि छोटी यात्राऐ सुखद नहीं आदि।

अष्टम भाव में शुम ग्रह फल 

विवाहोपरान्त स्थावर सम्पति का लाभ उत्तराधिकार में धन लाभ स्त्री की जायदाद आधिकार प्रप्ति स़्त्री धन का लाभ आकस्मिक लाभ गढे धन का लाभ श्वसुर की आर्थित स्थिति श्रेष्ठ दीर्धायु आदि।

अष्टम भाव में पाप ग्रह फल 

ग्रह कलेश धन हानि व्यवसाय में हानि अपकीर्ति ऋण ग्रसतता लोगों में वैमनस्य परिवरिक तथा राजकीय संकट पुरातत्व की हानि व्यसन पर पर द्रव्य-अपहरण, दारूण प्रंसग आदि।

नवम भाव में शुभ ग्रह फल 

तीर्थ यात्रा धर्मिक रूचि यश, कीर्तन पुण्य तथा सौभग्य की वृद्धि यश-लाभ कुटुंबियो से सुख स्वदेश में भाग्योदय दूर देशों की यात्रा भाई बहनों की अनुकूलता धन ऐश्वय्र सुख तथा सम्मान की प्रप्ति कार्य -सिद्धि आदि।

नवम भाव में पाप ग्रह फल 

आर्थिक स्थिति में निरन्तर परिवर्तन कार्य में अपयश परदेश में भाग्योदय भाई-बहिन के सुख में कमी दुर्भाग्य विपत्ति विरोध मनस्पात धर्मिक कार्ये में अरूचि आदि।

दशम भाव में शुभ ग्रह फल 

राज्यश्रम एवं राज्य द्धारा प्रतिष्ठा तथा धन का लाभ स्वयपराक्रम द्वारा धन सामाजिक नेतृव्य एवं यश का लाभ उघोग व्यवसाय एवं नौकरी द्वारा लाभ सेवक वाहन आदि का सुख पिता द्धारा लाभ एवं पितृ सुख पदोन्नति स्वपराक्रम द्धारा धन एवं कीर्ति का लाभ सब प्रकार में सुख साधनों की उपलब्धि आदि।

दशम भाव में पाप ग्रह 

पिृत सुख की हानि राजा एंव राज्याधिकारियों से विरोध तथा हानि आजीविका के विषय में चिन्ता व्यवसाय में परिवर्तन निम्न स्थिति चिन्ता सुख नाश हनि अपयश कष्ट आदि।

एकादश भाव में शुभ ग्रह फल 

नियमित आय व्ययसाय अथवा नौकरी में लाभ उच्चाधिकार प्राप्ति मित्र वाहन सेवक स्त्री पुत्र कुटुम्ब आदि का सुख दृढ़ निश्चयी राजा तथा बड़े लोगों से सुख धन यश कीर्ति उत्साह तथा पराक्रम में वृद्धि आदि।

एकादश भाव में पाप ग्रह फल 

कुटुम्ब, सन्तान तथा मित्र सुख में कमी बड़े भाई को आनिष्ट, असत-कार्यो द्धारा धन का उत्तम लाभ सामान्य भाग्योदय नौकारों से त्रास कलह धन लाभ हेतु पाप पुण्य का विचार न करना आदि।

द्वादश भाव में शुभ ग्रह फल 

रोग एवं शत्रु का नाश, संकट नाश सत्कार्मो में घन का व्यय अधिकार प्राप्ति में विघ्न मानसिक तथा अर्थिक चिन्ताऐं नानिहाल पक्ष में सुख लाभ दुःखों से संघर्ष करके पुनः पूर्व स्थिति का लाभ लम्बी यात्राऐं तथा उनमें लाभ आदि।

द्वादश भाव में पाप ग्रह फल 

शारीरक रोग एव पीड़ा धन सम्बन्धी एव अन्य अनेक प्रकार की चिन्ताऐं बुरे कामों में धन का व्यय आयु की हानि अधिकारी की प्रतिकुलता कारावास दण्ड ऋण ग्रस्तता अनके प्रकार के सकंट आयु क्षीणता, अविचारी पत्नी आदि।

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