रक्षा बंधन और भैया दूज में अंतर
भाई दूज का त्योहार आज देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं। उसका स्वागत सत्कार करती हैं और उनके लम्बी उम्र की कामना करतीं हैं। भाई दूज के दिन भाई के माथे पर तिलक लगाने की प्रथा के बारे में तो सब जानते हैं, इस त्योहार में कई अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। भाई दूज का पवित्र त्योहार स्नेह और सम्मान का पर्व है. इसलिए घर के जिस भी सदस्य के प्रति आपका स्नेह ज्यादा है उनके माथे पर भी आप चंदन का टीका लगा सकती हैं।
जैसे कि कई परिवारों में भाई के साथ-साथ भतीजे के माथे पर भी टीका करने का रिवाज होता है। भाई और भतीजे के अतिरिक्त महिलाएं घर के सबसे छोटे सदस्यों को भी टीका लगा सकती हैं। आप चाहें तो भाई के किसी प्रिय मित्र को भी भाई दूज पर तिलक लगा सकती हैं। इस दिन कई जगहों पर तो भगवान गणेश के माथे पर भी तिलक लगाया जाता है। ऐसा करके महिलाएं उनसे सुख-समृद्धि का वरदान पाती हैं। गणेश को तिलक लगाने के बाद भाई की तरह ही नारियल और मिष्ठान अर्पित किए जाते हैं।
यह पर्व नहीं बल्कि एक ऐसी भावना है जो रेशम की कच्ची डोरी के द्वारा भाई-बहन के प्यार को हमेशा हमेशा के लिए संजोकर रखती है. रक्षा बंधन का त्योंहार हिन्दू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे देश भर में धूमधाम और पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते, प्यार, त्याग और समर्पण को दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी या रक्षा सूत्र बांधकर उसकी लंबी आयु और मंगल कामना करती हैं। वहीं, भाई अपनी प्यारी बहन को बदले में भेंट या उपहार देकर हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं। यह इस बहन को बदले में भेंट या उपहार देकर हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं. यह इस त्योहार की विशेषता है कि न सिर्फ हिन्दू बल्कि अन्य धर्म के लोग भी पूरे जोश के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
भाई दूज और रक्षा बंधन का त्योहार दोनों ही भाई बहन के रिश्तों से जुड़ा हुआ त्योहार है। रक्षा बंधन जहां हिन्दू माह श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है वहीं भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज दीपावली के पांच दिनों महोत्सव का अंतिम दिन होता है।
रक्षा बंधन और भाई दूज में प्रमुख अंतर
1. भाई दूज का त्योंहार यमराज के कारण हुआ था, इसीलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं, जबकि रक्षा बंधन का प्रारंभ जहां राजा बली, इंद्र और भगवान श्रीकृष्ण के कारण हुआ था वहीं ।
2. रक्षा बंधन के दिन बहनों का विशेष महत्व होता है। रक्षा बंधन में भाई के घर जा कर बहने राखी बांधतीं हैं और भाई उन्हें उपहार देता है जबकि भाई दूज के दिन भाई बहनों के घर जा कर टिका कराता है और बहनें, उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारकर उसे भोजन खिलाती है।
3. रक्षा बंधन को संस्कृत में रक्षिका या रक्षा सूत्र बंधन कहते हैं जबकि भाई दूज को संस्कृत में भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं।
4. रक्षा बंधन रक्षा सूत्र मौली या कलावा बांधने की परंपरा का ही एक रूप है आधुनिक युग में विभिन्न तरह की राखियाँ आ गयी है जिनसे इस पर्व की परम्परा को निभाया जाता है, जबकि भाई दूज में ऐसा नहीं है। भाई दूज किसी अन्य परंपरा से निकला त्योंहार नहीं है, बल्कि यम द्वारा यमुना को दिए गए आशीर्वाद और वचन के फलस्वरूप इस पर्व को मनाया जाता है।
5. रक्षा बंधन को राखी का त्योंहार भी कहते हैं और प्राय: इसे दक्षिण भारत में नारियल पूर्णिमा के नाम से अलग रूप में मनाया जाता है जबकि भाई दूज के अन्य प्रांत में नाम अलग अलग है लेकिन यह त्योहार भाई और बहन से ही जुड़ा हुआ है। इसे सौदरा बिदिगे (कर्नाटक), भाई फोटा (बंगाल) में भाई दूज को इस अन्य नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में भाऊ बीज, गुजरात में भौ या भै-बीज कहते हैं तो अधिकतर प्रांतों में भाई दूज। भारत के बाहर नेपाल में इसे भाई टीका कहते हैं। मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही मनाया जाता है।
6. रक्षा बंधन पर महाराजा बली की कथा सुनने का प्रचलन है जबकि भाईदूज पर यम और यमुना की कथा सुनने का प्रचलन है। रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं जबकि भाई दूज पर सिर्फ तिलक लगाया जाता है।
7. रक्षा बंधन पर मिष्ठान खिलाने का प्रथा है जबकि भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद पान खिलाने का प्रथा है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहने अखण्ड सौभाग्यवती रहती है।
8. भाई दूज पर जो भाई-बहन यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की प्रताड़ना नहीं देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है जबकि रक्षा बंधन पर ऐसा नहीं होता है।
9. भाई दूज सर्व प्रचलित त्योहार है जो संपूर्ण भारत में मनाया जाता है जबकि रक्षा बंधन कुछ प्रांतों में ही प्रचलित है क्योंकि कुछ प्रांतों श्रावण पूर्णिमा को भाई-बहन से जोड़कर नहीं मनाया जाता।
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