Raksha Panchami: रक्षा पंचमी व्रत का महत्व, विधि और उपाय 

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रक्षा पंचमी के नाम से जाना जाता है. रक्षा पंचमी राखी के 5 दिन बाद और जन्माष्टमी से तीन दिन पहले मनाई जाती है. रक्षा पंचमी पर नाथ संप्रदाय के लोग भैरव के सर्पनाथ स्वरूप के विग्रह का पूजन करते हैं. रक्षाबंधन के दिन जो भाई राखी नहीं बंधवा पाएं हो वह इस दिन बहनों से राखी बंधा सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी पर वक्रतुण्ड रुपी हरिद्रा गणेश पर दूर्वा और सरसों चढ़ाने का विधान है, इससे भाई को आरोग्य का वरदान और परिवार में खुशहाली आती है. इस दिन भगवान शिव के अवतार भैरवाथ की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है.

रक्षा पंचमी का महत्व (Importance of Raksha Panchami in Hindi) 

रक्षा पंचमी पर नाथ संप्रदाय के लोग भैरव के सर्पनाथ स्वरूप के विग्रह का पूजन करते हैं. रक्षाबंधन के दिन जो भाई राखी नहीं बंधवा पाएं हो वह इस दिन बहनों से राखी बंधा सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी पर वक्रतुण्ड रुपी हरिद्रा गणेश पर दूर्वा और सरसों चढ़ाने का विधान है, इससे भाई को आरोग्य का वरदान और परिवार में खुशहाली आती है. इस दिन भगवान शिव के अवतार भैरवाथ की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है

भगवान गणेश और भगवान शिव की पूजा का विधान

रक्षा पंचमी पर श्री गणपति जी का विधिवत पूजन किया जाता है शास्त्रों में रक्षा पंचमी पर वक्रतुण्ड रुपी हरिद्रा गणेश के पूजन का दूर्वा और सरसों से करने का विधान है. शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी के दिन भगवान शंकर के पंचम रुद्रावतार भैरवनाथ की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है नाथ सम्प्रदाय के लोग इस दिन भैरव के सर्पनाथ स्वरुप के विग्रह का पूजन करते हैं

रक्षा पंचमी पूजा विधि (Raksha Panchami Puja Method in Hindi) 

शास्त्र पद्धति गदाधर के अनुसार इस दिन घर की दक्षिण पश्चिमी दिशा में कोयले अथवा काले चूर्णों से काले रंगों से सर्पों का चित्र बनाकर उनकी पूजा करने का विधान है. सर्प पूजन करने से सर्प प्रसन्न होते हैं और वंशजों को कोई डर नहीं सताता.

भगवान कृष्ण ने भागवत में कहा है कि ‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव’ अर्थात ‘सूत्र’ अविच्छिन्नता का प्रतीक है क्योंकि सूत्र (धागा) बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है. माला के सूत्र की तरह रक्षासूत्र भी लोगों को जोड़ता है.

आज रक्षा पंचमी के दिन प्रात: स्नान आदि के बाद बहनें अपने भाइयों को शुभ समय में रक्षा सूत्र बांध सकती हैं. रक्षा पंचमी के अवसर पर भगवान शिव के भैरवनाथ स्वरूप और गणेश जी के हरिद्रा स्वरूप की पूजा करते हैं.

अक्षत, चंदन, नैवेद्य, फल, फूल, मिठाई आदि से गणेश जी, भैरवनाथ और नाग देवता की पूजा करें. गणेश जी को दूर्वा, मोदक और सिंदूर अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद नाग देवता को दूध, धान का लावा आदि अर्पित करें. महिलाएं इस दिन नाग देवता की पूजा करती हैं। नाग मंदिरों में नागदेवता के लिए दूध, पानी आदि चीजें रखकर संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं नाग देवता की कृपा से आपको और आपके परिवार को सर्प भय से मुक्ति मिलती है.

पूजा के समय रक्षा सूत्र परिवार के सदस्यों को बांधनी चाहिए. देवों की कृपा से उनकी रक्षा होती है

रक्षा पंचमी के उपाय (Raksha Panchami Remedy) 

1. रक्षापंचमी पर पचंदेवताओं की पूजा करें। पंचदेवताओं में सूर्यदेव, भगवान विष्णु, महादेव, श्रीगणेश और देवी पार्वती का पूजन किया जाता है।

2. इस बार रक्षा पंचमी का पर्व मंगलवार को मनाया जाएगा। मंगलवार हनुमानजी का दिन है। इसलिए रक्षापंचमी पर हनुमानजी की पूजा विधि-विधान से करें और उन्हें रक्षासूत्र अर्पित करें।

3. इस दिन गोगा पंचमी का पर्व भी मनाया जाता है। जहां भी गोगादेव का मंदिर हो वहां दीपक लगाएं और घर की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें।

4. समीप स्थिति किसी नाग मंदिर में पूजा करें और दूध, मिठाई आदि का भोग लगाएं।

5. रक्षापंचमी पर भगवान कालभैरव और श्रीगणेश की पूजा भी विधि विधान से करें।

Must Read Kaal Bhairav Jayanti: जानें कालभैरव साधना विधि और कालभैरव साधना नियम व सावधानी

भाद्र कृष्ण “रक्षा पंचमी” में अपने वंश की रक्षा के लिए रात को करें विशेष प्रयोग 

इस दिन प्रातः काल दैनिक कृत से निवृत होकर विधिवत “हरिद्रा गणेश”, “सर्पनाथ भैरव” और शिव के “ताड़केश्वर स्वरुप” का विधिवत पूजन करें। धूप दीप पुष्प गंध और नववैध अर्पित करें। गणेश जी पर दूर्वा, सिंदूर लडडू चढ़ाएं। भैरव जी पर उड़द गुड़ और सिंदूर अर्पित करें। तत्पश्चात ताड़ के पत्ते पर “त्रीं ताडकेश्वर नमः” लिखकर घर के उत्तर दिशा के द्वार पर टांग दें। ताड़ के पत्ते के साथ- साथ एक पीले रंग की पोटली में दूर्वा, अक्षत, पीली सरसों, कुशा और हल्दी बांधकर टांग दें। पूजन में गणेश, भैरव और शिव के चित्रों पर रक्षासूत्र स्पर्श करवाकर घर के सभी सदस्यों को बांधें। इसके बाद बाएं हाथ में काले नमक की डली अथवा उड़द लेकर हकीक अथवा गोमेदक की माला से इस मंत्र का यथासंभव जाप करें; मन्त्र यथा- “कुरुल्ले हुं फट्स्वाहा।।”

जाप पूरा होने के बाद रात्रि के समय नाग, बैताल ब्रह्मराक्षस और दश दिगपाल आदि का खीर से पूजन कर, रात्रि के समय उनके लिए घर की दक्षिण पश्चिम दिशा में खीर का भोग रखें। बाएं हाथ में ली हुई काले नमक की डली अथवा उड़द पीले कपड़े में बांधकर घर की दक्षिण पश्चिम दिशा में छुपाकर रख दें। इस पूजन और उपाय से सारे परिवार के प्राणों की रक्षा होती है। इस पूजन से सर्प और देव, गन्धर्व प्रसन्न होते हैं और वंशजों की रक्षा होती है। तथा परमेश्वर शिव प्रसन्न होकर नकारात्मक विचारों से दूर रखते हुए दु:ख और पीड़ा से निजात दिलाते हैं।

डिसक्लेमर इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।