यदि प्रेम को समझना है तो तन की नहीं मन की आंखें खोलो क्योंकि सच्चा प्रेम रूप से नहीं भाव से जुड़ा होता है
यदि प्रेम को समझना है तो तन की नहीं मन
यदि प्रेम को समझना है तो तन की नहीं मन
भक्तवत्सल क्यों कहा जाता है श्री कृष्ण को आप सभी
हे अर्जुन... प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर
हे अर्जुन.. ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप
हे अर्जुन.. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा
हे अर्जुन... सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए, प्रसन्नता
हे अर्जुन.. जो कोई भी जिस किसी भी देवता की
हे अर्जुन... मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के
अर्जुन... कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल
हे अर्जुन... प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर,