अहम भाव में मत आओ किसी को कुछ देकर क्या पता किस जन्म का कर्ज उतारा है तुमने
अहम भाव में मत आओ किसी को कुछ देकर क्या
अहम भाव में मत आओ किसी को कुछ देकर क्या
श्रीकृष्ण से अच्छा सारथी और कोई नहीं हो सकता प्रश्न
ऊँची आवाज में तो वो चिल्लाते हैं, जिन्हें झूठ बोलना
तुझसे ज्यादा दिल को मेरे कुछ भी नहीं भाता सांवरिया..
मैं प्रभु की प्रेम भाव और शुद्ध मन से प्रार्थना
Even if the introduction of a human being begins with
मेरे सांवरिया यूंही तुम्हें धड़कन नहीं कहते हम, सांसे चलती
जिसे तुम्हारी ज़रूरत ना हो फिर भी जो तुमसे रिश्ता
भक्ति हमारा हृदय परिवर्तन कर देती है। हम में से
प्रेम वो होता है.. जो हृदय की अनंत गहराई से