आयुर्वेद में त्रिफला का इस्तेमाल कई वर्षों से किया जा रहा है। यह तीन फलों आंवला, बहेड़ा और हरड़ के मिश्रण से तैयार किया जाता है। पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में पेट की बीमारियों से लेकर नेत्रों के लिए हितकर, वृद्धावस्था को रोकने वाला व मेधाशक्ति बढ़ाने वाला है। दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना), मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्र रोगों से रक्षा होती है दांतों में होने वाली परेशानियों को दूर करने तक, कई समस्याओं के इलाज के लिए त्रिफला का इस्तेमाल किया जाता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसका सेवन आप कई तरीकों से कर सकते हैं। खासतौर पर रात के समय सोने से पहले त्रिफला का सेवन करने से शरीर की कई परेशानियां दूर होती हैं। आइये जानते हैं कि रात में सोने से पहले त्रिफला का सेवन कैसे करें ?

त्रिफला से धोएं जीभ, यूरिन संबंधी परेशानियां होंगी दूर Wash your tongue with Triphala, urine related problems will go away 

रात में सोने से पहले आधा चम्मच त्रिफला लें। अब इसे थोड़े समय के लिए जीभ पर रखें। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करें। इस तरह त्रिफला का इस्तेमाल करने से यूरिन से जुड़ी परेशानी दूर हो सकती है। खासतौर पर अगर आपको रात में बार-बार पेशाब आती है, तो यह उपाय आपके लिए कारगर साबित हो सकता है।

दूध के साथ त्रिफला दिलाएगा कब्ज से राहत Triphala with milk will provide relief from constipation 

रात में सोने से पहले गर्म दूध के साथ त्रिफला का सेवन करने से कब्ज की परेशानी दूर हो सकती है। यह सुबह के समय होने वाले मोशन को क्लियर करने में आपकी मदद कर सकता है। इसका सेवन करने के लिए 1 गिलास दूध के साथ लगभग 5 ग्राम त्रिफला का सेवन करें। हालांकि, ध्यान रखें कि अधिक मात्रा में त्रिफला न लें। इससे पाचन संबंधी गड़बड़ी भी हो सकती है।

त्रिफला सेवन के लाभ Benefits of Triphala consumption in Hindi 

1. शिशिर ऋतू में ( 14 जनवरी से 13 मार्च) 5 ग्राम त्रिफला को आठवां भाग छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

2. बसंत ऋतू में (14 मार्च से 13 मई) 5 ग्राम त्रिफला को बराबर का शहद मिलाकर सेवन करें।

3. ग्रीष्म ऋतू में (14 मई से 13 जुलाई ) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग गुड़ मिलाकर सेवन करें।

4. वर्षा ऋतू में (14 जुलाई से 13 सितम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सैंधा नमक मिलाकर सेवन करें।

5. शरद ऋतू में (14 सितम्बर से 13 नवम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग देशी खांड/शक्कर मिलाकर सेवन करें।

6. हेमंत ऋतू में (14 नवम्बर से 13 जनवरी) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

औषधि के रूप में त्रिफला Triphala as medicine in Hindi 

रात को सोते वक्त 5 ग्राम (एक चम्मच भर) त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है। अथवा त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होता है।

इसके सेवन से नेत्रज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। 

1. सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी ले। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, इसे सुबह पी लें। इस पानी से आँखें भी धो ले। मुँह के छाले व आँखों की जलन कुछ ही समय में ठीक हो जायेंग।

2. शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगो दे सुबह मसल कर नितार कर इस जल से आँखों को धोने से नेत्रों की ज्योति बढती है।

3. एक चम्मच बारीख त्रिफला चूर्ण, गाय का घी10 ग्राम व शहद 5 ग्राम एक साथ मिलाकर नियमित सेवन करने से आँखों का मोतियाबिंद, काँचबिंदु, द्रष्टि दोष आदि नेत्ररोग दूर होते है। और बुढ़ापे तक आँखों की रोशनी अचल रहती है।

4. त्रिफला के चूर्ण को गौमूत्र के साथ लेने से अफारा, उदर शूल, प्लीहा वृद्धि आदि अनेकों तरह के पेट के रोग दूर हो जाते है।

5. त्रिफला शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल कर सकता है, त्रिफला की तीनों जड़ीबूटियां आंतरिक सफाई को बढ़ावा देती हैं।

6. चर्मरोगों में (दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी आदि) सुबह-शाम 6 से 8 ग्राम त्रिफला चूर्ण लेना चाहिये।

7. मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर ले।त्रिफला चूर्ण पानी में उबालकर, शहद मिलाकर पीने से चरबी कम होती है।

त्रिफला, शहद और घृतकुमारी तीनो को मिला कर जो रसायन बनता है वह सप्त धातु पोषक होता है। त्रिफला रसायन कल्प त्रिदोषनाशक, इंद्रिय बलवर्धक विशेषकर नेत्रों के लिए हितकर, वृद्धावस्था को रोकने वाला व मेधाशक्ति बढ़ाने वाला है। दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना), मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्र रोगों से रक्षा होती है और बाल काले, घने व मजबूत हो जाते हैं।

दो माह तक सेवन करने से चश्मा भी उतर जाता है। 

विधिः 500 ग्राम त्रिफला चूर्ण, 500 ग्राम देसी गाय का घी व 250 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर शरदपूर्णिमा की रात को चाँदी के पात्र में पतले सफेद वस्त्र से ढँक कर रात भर चाँदनी में रखें। दूसरे दिन सुबह इस मिश्रण को काँच अथवा चीनी के पात्र में भर लें।

सेवन-विधि बड़े व्यक्ति10 ग्राम छोटे बच्चे 5 ग्राम मिश्रण सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें दिन में केवल एक बार सात्त्विक, सुपाच्य भोजन करें। इन दिनों में भोजन में सेंधा नमक का ही उपयोग करे। सुबह शाम गाय का दूध ले सकते हैं।सुपाच्य भोजन दूध दलिया लेना उत्तम है कल्प के दिनों में खट्टे, तले हुए, मिर्च-मसालेयुक्त व पचने में भारी पदार्थों का सेवन निषिद्ध है। 40 दिन तक मामरा बादाम का उपयोग विशेष लाभदायी होगा। कल्प के दिनों में नेत्रबिन्दु का प्रयोग अवश्य करें।

मात्राः 4 से 5 ग्राम तक त्रिफला चूर्ण सुबह के वक्त लेना पोषक होता है जबकि शाम को यह रेचक (पेट साफ़ करने वाला) होता है। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करें तथा एक घंटे बाद तक पानी के अलावा कुछ ना खाएं और इस नियम का पालन कठोरता से करें ।

सावधानीः

१. दूध व त्रिफला के सेवन के बीच में दो ढाई घंटे का अंतर हो और कमजोर व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को बुखार में त्रिफला नहीं खाना चाहिए।

२. घी और शहद कभी भी सामान मात्रा में नहीं लेना चाहिए यह खतरनाख जहर होता है ।

३. त्रिफला चूर्ण के सेवन के एक घंटे बाद तक चाय-दूध कोफ़ी आदि कुछ भी नहीं लेना चाहिये।

४. त्रिफला चूर्ण हमेशा ताजा खरीद कर घर पर ही सीमित मात्रा में (जो लगभग तीन चार माह में समाप्त हो जाये) पीसकर तैयार करें व सीलन से बचा कर रखे और इसका सेवन कर पुनः नया चूर्ण बना लें।

त्रिफला चूर्ण स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि इसका सेवन करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। 

Must Read ज्योतिष रोग और उपाय: जाने नवग्रह द्वारा प्रदत रोग और बचाव के उपाय 

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।