भगवान से हमें क्या मांगना चाहिए ? What should we ask from God in Hindi
क्या भगवान हमारे गुलाम हैं ? क्या भगवान हमारे सस्ते सौदे के लिए बैठे हैं ? हम सभी दिन-रात भगवान से मांगने में ही लगे रहते हैं। हमारी कुछ इच्छा पूरी हो जाती है और कुछ रह जाती है। हम कितने लालची है 1 किलो मिठाई का डिब्बा लेकर मंदिर जायेंगे और 1 लाख मांगेंगे।
लेकिन संतों ने, महापुरुषों ने हमें सीखाया कि भगवान से क्या माँगा जाये ? But saints, great men taught us what to ask from God in Hindi
श्रीरामचरित मानस में तुलसीदासजी ने नारदजी की कथा का वर्णन करते हुए कहा है कि एक बार नारदजी, विष्णुजी के पास उनका रूप मांगने गए थे। लेकिन नारदजी भगवान से कहते हैं कि
हे नाथ ! जिस तरह मेरा हित हो, आप वही शीघ्र कीजिए।
बस, भगवान से यही मांगो कि प्रभु जिस तरह से आपके दास का भला हो।
अगर हमें सांसारिक वस्तु की कामना नहीं है तो भगवान से केवल यही मांगो
बार बार बर मागउँ
हरषि देहु श्रीरंग।
पद सरोज
भगति सदा सतसंग॥
मैं आपसे बार-बार यही वरदान माँगता हूँ कि मुझे आपके चरणकमलों की अचल भक्ति और आपके भक्तों का सत्संग सदा प्राप्त हो। हे लक्ष्मीपते ! हर्षित होकर मुझे यही दीजिए।
हम भगवान से भगवान की कृपा भी मांग सकते हैं, क्योकि भगवान की कृपा में सब कुछ आ जाता है। कृपा शब्द कहने में छोटा है लेकिन इसमें गहराई बहुत है। और सबसे बड़ी बात भगवान से और कुछ क्यों मांगे, क्यों ना भगवान से भगवान को ही मांग ले। क्योकि जब भगवान ही हमारे हो जायेंगे तो शेष क्या रह जायेगा ? उनका प्रेम, उनकी कृपा निरंतर हम पर बरसती रहे।
सच बात तो ये है कि हमें मांगना ही नहीं आता, क्योंकि भगवान से यदि हम कुछ मांगते हैं तो घाटे का सौदा करते हैं। मान लो आपने भगवान से एक लाख रूपये मांगे और भगवान हमें एक करोड़ रूपये देना चाहते हों तो ? हो गया ना घाटे का सौदा, आप थोड़ा सा सुदामाजी को देखिये। उनके जीवन का दर्शन कीजिये। आप सब समझ जायेंगे।
एक छोटी सी कहानी आती है comes a little story in Hindi
एक बार एक राजा था, वो घूमने के लिए नगर में निकला, रास्ते में उसके कुर्ते का बटन टूट गया। उसने सैनिको को कहा कि तुम लोग जाओ और दर्जी को लेकर आओ।
सैनिक गए और दर्जी को लेकर आये। दर्जी ने कुर्ते का बटन लगा दिया। अब राजा कहता है कि कितने पैसे हुए ?
उसने सोचा की मेरा तो केवल धागा लगा है। कुर्ता भी राजा का है और बटन भी। क्या मांगु राजा से ?
उसने कहा कि महाराज मुझे इसका दाम नहीं चाहिए।
राजा फिर कहता है कि तुम्हे कुछ लेना चाहिए। बताओ कितना दाम हुआ ?
अब दर्जी सोचता है कि अगर मैं राजा से 1 रुपैया ले लूंगा तो ठीक रहेगा। फिर वो सोचता है कि नहीं नहीं। अगर मैंने राजा से एक रुपैया लिया तो राजा को लगेगा की मैं सबसे एक रुपैया लेता हूँ। और उस समय एक रुपैया बहुत था।
उसने राजा से कहा -“राजन् ! आप जो भी अपनी इच्छा से देना चाहे दे दीजिये। राजा ने सोचा कि ये तो मेरी प्रतिष्ठा का सवाल है। उसने दर्जी को 10 स्वर्ण मुद्राएं दे दी।
अब जरा सोचिये कहाँ तो एक रुपैया और कहाँ पर 10 सोने की मुद्रा। इसलिए भगवान पे विश्वास रखो। वो हमें जो देंगे अच्छा ही देंगे।
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