आध्यात्म एवं ज्योतिष में अष्टमी तिथि का महत्त्व Importance of Ashtami Tithi in Spirituality and Astrology in Hindi 

हिंदू पंचाग की आठवी तिथि अष्टमी कहलाती है। इस तिथि का विशेष नाम कलावती है क्योंकि इस तिथि में कई तरह की कलाएं और विधाएं सीखना लाभकारी होता है। इसे हिंदी में अष्टमी, अठमी और आठें भी कहते हैं। यह तिथि चंद्रमा की आठवी कला है, इस कला में अमृत का पान अजेकपात नाम के देवता करते हैं।

अष्टमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 85 डिग्री से 96 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 265 से 276 डिग्री अंश तक होता है। अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव माने गए हैं लेकिन अष्टमी तिथि देवी दुर्गा की शक्ति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन जीने की शक्ति और परेशानियों से लड़ने के लिए इस तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

जानें अष्टमी तिथि का ज्योतिष में महत्त्व Importance of Ashtami date in astrology in Hindi 

यदि अष्टमी तिथि बुधवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा अष्टमी तिथि मंगलवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि अष्टमी तिथि जया तिथियों की श्रेणी में आती है। वहीं शुक्ल पक्ष की अष्टमी में भगवान शिव का पूजन करना वर्जित है लेकिन कृष्ण पक्ष की अष्टमी में शिव का पूजन करना उत्तम माना गया है। चैत्र महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली अष्टमी तिथि शून्य कही गई है।

अष्टमी तिथि में जन्मे जातक धार्मिक कार्यों में निपुण और दयावान भी होते हैं। इन्हें सदैव सत्य बोलना पसंद होता है। ये भौतिक सुख-सुविधाओं में विशेष रुचि लेते हैं। इस तिथि में जन्म लेने वाले लोग कई चीजों में विद्वान होते हैं। इनके मन में हमेशा समाज के कल्याण की इच्छा जागती रहती है। ये लोग किसी भी कार्य को करने के लिए मेहनत मे कमी नहीं छोड़ते हैं। इनको घूमना बहुत पसंद होता है। ये लोग उन कार्यों में भाग लेना ज्यादा पसंद करते हैं जिनमें बल का इस्तेमाल करना पड़ता हो। ये लोग मनमौजी स्वभाव के होते हैं अपनी मर्जी से नियम बनाते हैं और खुद ही पालन भी करते हैं।

Auspicious work of Ashtami Tithi in Hindi  अष्टमी तिथि के शुभ कार्य 

अष्टमी तिथि में युद्ध, राजप्रमोद, लेखन, स्त्रियों को आभूषण, नये वस्त्र खरीदने जैसे कार्य करने चाहिए। मान्यता है कि इस तिथि में अभिनय, नृत्य, गायन कला सीखने के लिए प्रवेश लेना भी शुभ है। इस तिथि में आप वास्तुकर्म, घर बनवाना, शस्त्र बनवाने जैसे कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। इसके अलावा किसी भी पक्ष की अष्टमी तिथि में नारियल नहीं खाना चाहिए।

Major Hindu festivals and fasting on Ashtami date in Hindi अष्टमी तिथि के प्रमुख हिन्दू त्यौहार एवं व्रत व उपवास  

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 

जन्माष्टमी का त्यौहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मथुरा नगरी में असुरराज कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को पैदा हुए। उनके जन्म के समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Ahoi Ashtami अहोई अष्टमी 

अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को आता है| इस दिन अहोई माता के पूजन का विधान है। इस तिथि पर महिलाएं पुत्र प्राप्ति और संतान सुख के लिए व्रत रखती हैं और शाम के वक्त तारे देखकर उपवास तोड़ा जाता है।

शीतला अष्टमी 

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस तिथि पर शीतला माता की पूजा की जाती है, जिससे चिकन पॉक्स या चेचक जैसे रोग दूर रहें। इस दिन बासी भोजन खाया जाता है।

दुर्गाष्टमी

नवरात्र में अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की आठवी शक्ति माता महागौरी का पूजन किया जाता है। इस दिन घरों में कन्याभोज भी कराया जाता है।

सीता अष्टमी 

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन धरती पर माता सीता का जन्म हुआ था। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए और अविवाहित कन्याओं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।

राधा अष्टमी 

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राधा जी का जन्म हुआ था। इस तिथि पर राधारानी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से आपको राधारानी के साथ भगवान कृष्ण की कृपा भी मिल जाती है।

Must Read वैदिक उपाय: जानें 7 वारों के देवताओ को प्रसन्न करने के वैदिक उपाय

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।