महालक्ष्मी अष्टक मंत्र का जाप करने से आपको सभी कष्टो का निवारण होगा। श्री महालक्ष्म्यष्टकम् इंद्र देव द्वारा माता महालक्ष्मी की भक्तिपूर्ण स्तुति है, जिसे पद्म पुराण मे समायोजित किया गया है। इसका पाठ करने से मां लक्ष्मी अत्यंत‍ प्रसन्न होकर धनवान होने का आशीष प्रदान करती हैं। आइए पढ़ें श्री महालक्ष्मी का प्रिय पाठ,

श्री महालक्ष्मी अष्टकम् 

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।१।। 

इन्द्र बोले–श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये। तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी! तुम्हें प्रणाम है।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।२।। 

गरुड़ पर आरुढ़ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मी तुम्हे प्रणाम है।

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।३।।

सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दु:खों को दूर करने वाली, हे देवि महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालनमोऽस्तु ते।।४।। 

सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मि! तुम्हें सदा प्रणाम है।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।५।। 

हे देवि! हे आदि-अन्तरहित आदिशक्ति! हे महेश्वरि! हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।६।। 

हे देवि तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा हो और बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली हो। हे देवि महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।७।। 

हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्मस्वरूपिणी देवि! हे परमेश्वरि! हे जगदम्ब! हे महालक्ष्मी तुम्हें मेरा प्रणाम है।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।८।। 

हे देवि तुम श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो। सम्पूर्ण जगत् में व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो। हे महालक्ष्मी तुम्हें मेरा प्रणाम है।

महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः । सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् । द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् । महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्न वरदा शुभा ॥

महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते । ॥

इतीन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥ 

इसे भी पढ़ें  Laxmi जाने लक्ष्मी हमसे कब क्यों और कैसे रूष्ट होती है