ब्रह्म मुहूर्त का महत्त्व एवं समय Importance and timing of Brahma Muhurta
सुबह के 4.24 बजे से 5.12 के मध्य के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। इस मुहूर्त में उठने से जातक की बुद्धि, बल, सौंदर्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर अधिकतम रहता है। अगर इस समय व्यायाम किया जाता है तो शरीर को शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। इस समय व्यायाम करने से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं।
वैसे तो सूर्य हमेशा आपके सिर के ऊपर ही होता है, लेकिन जब मैं कहता हूं कि सूर्य ठीक आपके सिर पर है तो इसका मतलब है उस समय वह आपके सिर पर लंबवत है। उस समय यह एक विशेष तरीके से काम करता है। यह समय होता है सुबह 4.24 से लेकर अगले १२ से २० मिनट तक।
अब सवाल आता है कि इस समय में हम क्या करें ? इस समय में हम ध्यान करें या क्रिया करें ? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या करें। इस समय में आपको वही करना चाहिए, जिसमें आपको दीक्षित किया गया है। दरअसल, दीक्षा का मतलब यह नहीं है कि आपको कोई क्रिया सिखाई गई है, इसका मतलब है कि इस क्रिया से आपके सिस्टम को परिचित करा कर आपके सिस्टम में इसे बाकायदा स्थापित किया गया है।
अगर आपके सिस्टम में एक जीवंत बीज पड़ चुका है और अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में जागकर कोई भी अभ्यास करने बैठते हैं तो यह बीज आपको सबसे ज्यादा फल देगा। उसकी वजह है कि इस समय धरती आपके सिस्टम के अनुसार काम करती है। अगर आप खास तरीके से जागरूक हो जाते हैं, आपके भीतर एक खास स्तर की जागरूकता आ जाती है तो आपको इस समय का सहज रूप से अहसास हो जाता है। अगर आप सही वक्त पर सोने चले जाते हैं तो आपको उठने के लिए घड़ी देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपको हमेशा पता चल जाएगा कि कब 4.24 का वक्त हो गया है, क्योंकि यह वक्त होते ही आपका शरीर एक अलग तरीके से व्यवहार करने लगेगा।
ब्रह्म मुहूर्त का महत्त्व Importance of Brahma Muhurta in Hindi
आप जिस भी क्रिया में दीक्षित हुए हैं, अगर इस समय वह करना शुरू कर देंगे, तो आपको इसका सर्वश्रेष्ठ फल मिलेगा। हां, यह समय किताब पढ़ कर सीखी हुई क्रिया करने का नहीं है। आपके भीतर पड़ा वह बीज इस समय विशेष सहयोग मिलने से अकुंरित होने लगेगा या दूसरे समय की अपेक्षा ज्यादा तेजी से फूटेगा। यह समय सिर्फ दीक्षित हुए लोगों के लिए ही अनुकूल है। अगर आप दीक्षित नहीं है तो फिर 4.24 हो या ६:४५ या फिर ७:४५ कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए संध्या काल ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। यह एक तरह का संधि काल होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या करें : ब्रह्म मुहूर्त में 4 कार्य ही करें:
1. संध्या वंदन, 2. ध्यान, 3. प्रार्थना और 4. अध्ययन वैदिक रीति से की गई संध्या वंदन सबसे उचित। उसके बाद ध्यान फिर प्रार्थना। विद्यार्थी वर्ग को संध्या वंदन के बाद अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन के लिए यह समय सबसे उत्तम माना गया है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या न करें:
नकारात्मक विचार, बहस, वार्तालाप, संभोग, नींद, भोजन, यात्रा, किसी भी प्रकार का शोर आदि। यह देखा गया है कि बहुत से लोग इस समय जोर-जोर से आरती आदि पूजन-पाठ करते हैं। कुछ तो हवन करते हैं, यह अनुचित है। इससे वे खुद को और दूसरों को संकट में डाल देंगे। विद्वान मनुष्य को चाहिए कि वे ऐसे लोगों से दूर रहें।
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