मंत्र जाप में अशुद्ध उच्चारण का प्रभाव Effect of wrong pronunciation in mantra chanting in Hindi
कई बार मानव अपने जीवन में आ रहे दुःख और संकटो से मुक्ति पाने के लिये किसी विशेष मन्त्र का जाप करता है लेकिन मन्त्र का बिल्कुल शुद्ध उच्चारण करना एक आम व्यक्ति के लिये संभव नहीं है ।
कई लोग कहा करते है.. कि देवता भक्त का भाव देखते है . वो शुद्धि अशुद्धि पर ध्यान नही देते है..
उनका कहना भी सही है, इस संबंध में एक प्रमाण भी है..
मूर्खो वदति विष्णाय, ज्ञानी वदति विष्णवे ।
द्वयोरेव संमं पुण्यं, भावग्राही जनार्दनः ।।
भावार्थ:– मूर्ख व्यक्ति ऊँ विष्णाय नमः बोलेगा ज्ञानी व्यक्ति ऊँ विष्णवे नमः बोलेगा फिर भी इन दोनों का पुण्य समान है क्यों कि भगवान केवल भावों को ग्रहण करने वाले है
जब कोई भक्त भगवान को निष्काम भाव से, बिना किसी स्वार्थ के याद करता है तब भगवान भक्त कि क्रिया और मन्त्र कि शुद्धि अशुद्धि के ऊपर ध्यान नही देते है वो केवल भक्त का भाव देखते है
लेकिन जब कोइ व्यक्ति किसी विशेष मनोरथ को पूर्ण करने के लिये किसी मन्त्र का जाप या स्तोत्र का पाठ करता है तब संबंधित देवता उस व्यक्ति कि छोटी से छोटी क्रिया और अशुद्ध उच्चारण पर ध्यान देते है जैसा वो जाप या पाठ करता है वैसा ही उसको फल प्राप्त होता है
एक बार एक व्यक्ति कि पत्नी बीमार थी । वो व्यक्ति पंडित जी के पास गया ओर पत्नी कि बीमारी कि समस्या बताई । पंडित जी ने उस व्यक्ति को एक मन्त्र जप करने के लिये दिया
मन्त्र:- भार्यां रक्षतु भैरवी अर्थात हे भैरवी माँ मेरी पत्नी कि रक्षा करो
वो व्यक्ति मन्त्र लेकर घर आ गया और पंडित जी के बताये मुहुर्त में जाप करने बैठ गया..
जब वो जाप करने लगा तो रक्षतु कि जगह भक्षतु जाप करने लगा वो सही मन्त्र को भूल गया
भार्यां भक्षतु भैरवी अर्थात हे भैरवी माँ मेरी पत्नी को खा जाओ भक्षण का अर्थ खा जाना है
अभी उसे जाप करते हुये कुछ ही समय बीता था कि बच्चों ने आकर रोते हुये बताया पिताजी माँ मर गई है ।
उस व्यक्ति को दुःख हुआ साथ ही पण्डित जी पर क्रोध भी आया कि ये कैसा मन्त्र दिया है
कुछ दिन बाद वो व्यक्ति पण्डित जी से जाकर मिला ओर कहा आपके दिये हुये मन्त्र को में जप ही रहा था कि थोडी देर बाद मेरी पत्नी मर गई पण्डित जी ने कहा आप मन्त्र बोलकर बताओ कैसे जाप किया आपने…
वो व्यक्ति बोला:– भार्यां भक्षतु भैरवी
पण्डित जी बोले:– तुम्हारी पत्नी मरेगी नही तो ओर क्या होगा.. एक तो पहले ही वह मरणासन्न स्थिति में थी और रही सही कसर तुमने “रक्षतु” कि जगह “भक्षतु” जप करके पूरी कर दी भक्षतु का अर्थ है खा जाओ और दोष मुझे दे रहे हो उस व्यक्ति को अपनी गलति का अहसास हुआ तथा उसने पण्डित जी से क्षमा माँगी ।
इस लेख का सार यही है कि जब भी आप किसी मन्त्र का विशेष मनोरथ पूर्ण करने के लिये जप करे तब क्रिया ओर मन्त्र शुद्धि पर अवश्य ध्यान दे अशुद्ध पढने पर मन्त्र का अनर्थ हो जायेगा और मन्त्र का अनर्थ होने पर आपके जीवन में भी अनर्थ होने कि संभावना बन जायेगी। अगर किसी मन्त्र का शुद्ध उच्चारण आपसे नहीं हो रहा है तो बेहतर यही रहेगा कि आप उस मन्त्र से छेड़छाड़ नहीं करे और यदि किसी विशेष मंत्र का क्या कर रहे हैं तो योग्य और समर्थ गुरु के मार्गदर्शन में ही करें और मंत्र के अर्थ को अच्छी तरह से समझ लेना के बाद ही उसका प्रयोग भाव विभोर होकर करें।
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