करवाचौथ की उद्यापन विधि (Karva Chauth Udyapan method in Hindi)

किसी भी व्रत को करने के बाद उसका उद्यापन करना जरूरी माना गया है। उद्यापन किए बिना व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए आपने चाहे कोई भी व्रत किया गया हो, लेकिन उसका उद्यापन जरूर करें। आइए जानते हैं कि किसी व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है।

करवा चौथ का उद्यापन खास तरीके से होता है। करवा चौथ का उद्यापन या उजमन करने वाली महिला उद्यापन से पहले एक साल तक हर महीने पूर्णिमा के बाद वाली चौथ का व्रत करती है।

करवा चौथ सबसे बड़ी चौथ होती है। इसलिए इसे सभी करते है। शादी चाहे किसी भी महीने में हो चौथ का व्रत करवा चौथ से ही शुरू किया जाता है।

कुछ जगह चार चौथ के व्रत किये जाते है। करवा चौथ, माही चौथ (इसे से तिल चौथ या संकट चौथ भी कहते है), वैशाखी चौथ और भादुड़ी चौथ। कुछ लोग दो ही चौथ करते है करवा चौथ और संकट चौथ।

कुछ लोग हर महीने पूर्णिमा के बाद वाली चौथ का व्रत करते है। करवा चौथ के व्रत का उजवना करने के बाद भी व्रत किया सकता है। जिसमे व्रत के दौरान पानी पी सकते है तथा फल खा सकते है।

करवाचौथ उद्यापन का महत्व (Udyapan Importance in Hindi)

शास्त्रों में बताया गया है कि आप चाहे करवाचौथ, एकादशी, पूर्णिमा, सोमवार या मंगलवार आदि कोई भी व्रत करें, उसका उद्यापन जरूर करना चाहिए। बिना उद्यापन के व्रत का फल नहीं मिलता। यदि व्रत के दौरान पूजा-पाठ में कोई गलती हुई हो या फिर किसी कारण कोई व्रत छूट गया हो, तो ऐसे में इन व्रतों की पूरा करने के लिए उद्यापन किया जाता है। इसलिए व्रत के बाद उद्यापन करना अनिवार्य माना गया है।

करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि 

1. करवा चौथ का उद्यापन करवा चौथ के दिन ही होता है।

2. तेरह ऐसी महिलाओं को, जो करवा चौथ का व्रत करती हों, सुपारी देकर भोजन पर आमंन्त्रित करें।

3. ये महिलाएं करवा चौथ का पूजन खुद के घर पर करके आपके यहाँ आकर व्रत खोलेंगी और भोजन करेंगी।

4. आप घर पर हलवा पूड़ी और सुविधानुसार खाना बनाइये।

5. एक थाली में चार-चार पूड़ी तेरह जगह रखें। इन पर थोड़ा-थोड़ा हलवा रखें। थाली पर रोली से टीकी करके चावल लगाएं। हाथ में पल्लू लेकर सात बार इस थाली के चारों और घुमाएँ। यह पूड़ी हलवा आमन्त्रित की गई तेरह महिलाओं को भोजन से पहले दिया जायेगा।

6. एक दूसरी थाली में सासु माँ के लिए भोजन रखें। उस पर एक बेस, सोने की लोंग, लच्छा, बिंदी, काजल, बिछिया, मेहंदी, चूड़ा आदि सुहाग के सामान रखें, साथ में कुछ रूपये रखें। हाथ में पल्लू लेकर हाथ फेरकर इसे सासु माँ को दें, पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।

7. अब बुलाई गई तेरह महिलाओं को भोजन कराएँ। सबसे पहले चार चार पूड़ी वाली थाली से सबको परोसें। 8. भोजन के पश्चात् महिलाओं को रोली से टीकी करें फिर एक प्लेट में सुहाग के सामान रखकर उपहार स्वरूप दें।

9. देवर या जेठ के लड़के को सांख्या-साखी ( साक्षी ) बनाकर उसे खाना खिलाएँ। उसे नारियल और रूपये दें।

10. यदि तेरह महिलाओं को घर पर आमंत्रित करके भोजन कराना संभव ना हो तो उनके लिए परोसा (एक व्यक्ति जितना खाना और चार चार पूड़ी जो निकाली थी उसमे से पूड़ी हलवा) और सुहाग के सामान आदि उनके घर पर भिजवाया जा सकता है।

11. इस दिन भोजन में पूड़ी , हलवा के साथ छोले की सब्जी, गोभी की सब्जी , पनीर की सब्जी , मिर्ची के टपोरे आदि अपनी सुविधा के अनुसार या परिवार के रिवाज के हिसाब से बना सकते है।

नोट : – भोजन में लहसुन और प्याज का उपयोग ना करें।

इस प्रकार उद्यापन सम्पूर्ण होता है।

करवाचौथ के दिन ही होता है उद्यापन 

करवा चौथ का उद्यापन आज ही किया जाएगा। इसके लिए 13 से 15 सुहागिन महिलाओं को घर बुलाया जाता है। इसके बाद उन्होंने सुहाग की चीजों के साथ एक सुपारी दी जाती और बिना लहसुन और प्याज का भोजन कराया जाता है। करवा चौथ को ऐसी ही सुहागन महिलाओं को बुलाएं जिन्होंने करवा चौथ का व्रत न रखा है। इसके साथ ही 13 करवा भी मांगा लें और उन्हें साफ करके मुंह के पास कलावा बांध दें।

।। चौथ माता की जय ।।

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