घर में किन प्राणियों की धातु प्रतिमा रखी जाती है ? 

घर में वैसे तो कई तरह की प्रतिमाएं होती हैं लेकिन आपको पता होना चाहिए कि किस तरह की प्रतिमा का किस तरह का प्रभाव आपके घर पर पड़ेगा। इसी तरह से घर में रखी प्रतिमाएं नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव डालती है। जानवरों की मूर्तियां घर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है, लेकिन इनका प्रभाव क्या क्या पड़ता है यह जाने-

हाथी की मूर्ति घर में रख सकते हैं लेकिन यह मूर्ति ठोस चांदी की या पीतल की होना चाहिए। हाथी ऐश्वर्य का प्रतीक है। शयनकक्ष में पीतल की प्रतिमा रखने से पति पत्नी के बीच मतभेद खत्म होते हैं और चांदी का हाथी रखने से राहु संबंधी सभी दोष दूर रहो जाते हैं।

घर में कई तरह की प्रतिमाएं होती हैं जिसमें से कुछ वास्तु अनुसार होती है और कुछ नहीं। जो नहीं होती है उसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं।

1. भगवान शिव की मूर्ति 

वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर पर भगवान की तस्वीर या मूर्ति रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. घर में देवी-देवताओं की प्रतिमा रखने से सुख-समृद्धि का वास होता है. हिंदू धर्म में सभी देवताओं में भगवान शिव को सर्वोच्च माना गया है. शिव की कृपा से बड़े से बड़ा संकट भी टल सकता है. ऐसे में घर में शिवजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए.

घर में शिव की तस्वीर अवश्य लगाएं लेकिन घर में भगवान शिव का चित्र किस दिशा में लगाना चाहिए यह जानना भी जरूरी है. भगवान शिव की पसंदीदा दिशा उत्तर है और इसी दिशा में उनका निवास स्थान कैलाश पर्वत है. इसलिए घर में भगवान शिव की तस्वीर लगाने के लिए उत्तर दिशा का चयन करना चाहिए. इस दिशा में तस्वीर लगाने से शुभ फल मिलते हैं.

2. हाथी की पीतल मूर्ति: घर में आप हाथी की मूर्ति रख सकते हैं। यह मूर्ति ठोस चांदी की या पीतल की होना चाहिए। हाथी ऐश्वर्य का प्रतीक है। शयनकक्ष में पीतल की प्रतिमा रखने से पति पत्नी के बीच मतभेद खत्म होते हैं और चांदी का हाथी रखने से राहु संबंधी सभी दोष दूर रहो जाते हैं। यह पंचम और द्वादश में बैठे राहु का उपाय है। हाथी की तस्वीर या मूर्ति घर में रखने से सकारात्मक उर्जा के साथ-साथ धन प्राप्ति के स्रोत बनते हैं।

3. हंस की मूर्ति: घर में अतिथि कक्ष में हंस के जोड़ों की मूर्ति स्थापित करें जिससे अपार धन समृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाएगी और घर में हमेशा शांति बनी रहेगी। दो हंसों के जगह आप दो बत्तख या दो सारस के जोड़े की मूर्ति भी लगा सकते हैं। इससे दांपत्य जीवन में भी सामंजस्य बना रहता है।

4. कछुआ: घर में कछुआ रखने से उन्नति के साथ ही धन-समृद्धि का योग बनता है। इसे रखने से आयु भी लंबी होने की मान्यता है। पूर्व और उत्तर दिशा कछुए की स्थापना हेतु सर्वोत्तम मानी गई है। ड्राइंग रूम में कछुआ रख सकते हैं किसी पात्र में जल भर कर। कछुआ धातु का होना चाहिए लकड़ी का नहीं।

5. तोते की मूर्ति: वास्तु के अनुसार तोते की मूर्ति या तस्वीर को अध्ययन कक्ष में रखना चाहिए या जहां बच्चे पढ़ाई करते हैं वहां रखना या लगाना चाहिए। तोता पालना नहीं चाहिए बल्की उसी तस्वीर या प्रतिमा घर में रखने से लाभ होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में तोते की तस्वीर को लगाने से पढ़ाई में बच्चों की रुचि बढ़ती है, साथ ही उनकी स्मरण क्षमता में भी वृद्धि होती है। तोता प्रेम, वफादारी, लंबी आयु और सौभाग्य का प्रतीक होता है।

अगर आप घर में बीमारी, निराशा, दरिद्रता और सुखों का अभाव महसूस कर रहे हैं तो तोते का चित्र या मूर्ति घर में स्थापित करें। पति और पत्नी में प्रेम संबंध स्थापित करने के लिए भी फेंगशुई के अनुसार तोते के जोड़े को स्थापित किया जाता है। तोता 5 तत्वों का संतुलन स्थापित करने में सहायक होता है। तोते के रंग-बिरंगे पंख वास्तव में पृथ्वी, अग्नि, जल, लकड़ी और धातु के प्रतीक हैं। तोता सौभाग्य की वृद्धि करता है।

6. मछली की मूर्ति : कई लोग घर में एक्वेरियम में मछली पालते हैं परंतु उससे ज्यादा उचित होता है मछली की पीतल या चांदी की मूर्ति बनवाकर घर में रखना। वास्तु अनुसार यह मूर्ति घर में खुशहाली और शांति को दृढ करके उन्नति के मार्ग खोलती है। मछली अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, धन और शक्ति का प्रतीक है। इस मूर्ति को आप अपने घर की उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में ही रख सकते हैं।

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7. गाय बछड़े की मूर्ति: बहुत से घरों में बछड़े को दूध पिला रही कामधेनु गाय की पीतल की मूर्ति होती है। गाय की मूर्ति रखने से संतान प्राप्ति के साथ ही मानसिक शांति मिलती है। फेंगशुई में भी इसका महत्व बताया गया है। पढ़ाई में एकाग्रता के लिए भी इस मूर्ति को घर में स्थापित करते हैं।

8. ऊंट की मूर्ति: ऊंट की मूर्ति भी घर में रखने का प्रचलन है। ऊंटों के जोड़े की मूर्ति को ड्राइंगरूम या लिविंग रूम में उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर रखा जाता है। ऊंट कठिन परिश्रम का प्रतीक है। करियर में उन्नति हेतु या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में ऊंटों की मूर्ति या तस्वीर रखी जाती है। यह मन को स्थिर रखकर सफलता प्रदान करता है। परिवार के लोग मानसिक रूप से सुदृड़ और शान्ति से रहते हैं।

9. तांबे एवं पीतल की प्रतिमाएं 

हर घरों के मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमा की पूजा की जाती है. आम आम आदमी सोने-चांदी की मूर्तियां स्थापित करने का सामर्थ्य नहीं रखता. सोने चांदी के बाद शुद्ध धातु तांबा माना गया है. वास्तु मान्यताओं के अनुसार तांबे की प्रतिमाओं की पूजा करने से स्वर्ण-रजत मूर्ति की पूजा के समान पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए अगर आप स्वर्ण या रजत की मूर्तियां नहीं रख सकते तो आप तांबे की मूर्तियों की पूजा भी कर सकते हैं. तांबे के अलावा पीतल की मूर्तियों की पूजा करने से भी आपको विशिष्ठ फल प्राप्त हो सकता है

मंदिर में इन धातु की प्रतिमाएं नुकसानदेह हो सकती हैं 

कुछ ऐसे भी धातु हैं जो वास्तु के अनुसार पूजा स्थल के लिए अपवित्र माने जाते है. इनमें प्रमुख हैं लोहा, स्टेनलेस स्टील, और एल्युमिनियम. इन धातु की प्रतिमाओं की पूजा से आपको शुभ फलों के बजाय हानि ही होती है.

नोट बहुत से लोगों के घरों में वस्तु के रूप में बैल, भैसा, शेर, चुहे, घोड़े, नर्मदा शिवलिंग, श्‍वेतार्क गणपति, सिंघम लक्ष्मी शंख, नजर बट्टू, द्वारिका शिला, नागमणि, पारद शिवलिंग, हीरा शंख, गोमती चक्र, श्रीयंत्र, गौरोचन, मछलीघर, शिवलिंग, शालिग्राम, दक्षिणावर्ती शंख, मणि, नग, कौड़ी, समुद्री नमक, हल्दी की गांठ, रुद्राक्ष, हाथी जोड़ी, पारद शिवलिंग आदि सैकड़ों वस्तुएं हो सकती हैं, लेकिन घर में क्या और कहां कौन-सी वस्तु रखें इसके लिए वास्तु के जानकार से सलाह लें।

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