जन्मपत्री के सभी द्वादश भावों में शनि, भू संपत्ति से संबंधित क्या-क्या अच्छे बुरे परिणाम देता हैं जानिए  

कुण्डली या कहें जन्म पत्रिका जिसके भीतर जातक के जीवन के जीवन का सारांश छुपा होता है जिसे पढ़कर व्यक्ति भूत, भविष्य और वर्तमान के संदर्भ में अनेक बातों को जान सकता है. कुण्डली में अनेक योगों का निर्माण होता है कुछ शुभ योग होते हैं और कुछ अशुभ योग होते हैं किसी की कुण्डली में कौन सा योग किस प्रकार के फल देगा इस बात को तभी समझा जा सकत है जब हम व्यक्ति की कुण्डली का अवलोकन करते हैं.

प्रथम भाव में शनि के होने पर तथा साथ ही शनि के मंदे होने पर गरीबी एवं चारों तरफ बर्बादी होती है। इसके साथ ही यदि मंगल भी चतुर्थ खाने में हो तो जमीन-जायदाद भी नष्ट करते हैं।

द्वितीय भाव में होने पर मकान जब भी बने और जैसा भी बने, बनने देना चाहिये क्योंकि इसे खाली हो तो मकान शुभ फल देता है। ऐसी स्थिति में शुभ माना गया है नहीं तो नुकसान करते हैं।

तृतीय खाने में होने पर भूखंड पर तीन कुत्ते पालने चाहिए, ऐसा करने से मकान बनने की संभावना काफी बढ़ जाती है और परिणाम भी शुभ मिलते हैं।

चतुर्थ खाने में होने पर मकान अपने नाम का नहीं बनवाना चाहिये, ऐसा करना शुभ रहता है नहीं तो बर्बादी शुरू कर देता है।

पांचवें भाव का शनि संतान हानि देता है। अतः शुभ परिणाम के लिए ऐसे लोगों को भैंसा आदि दान करने के पश्चात ही मकान की नींव डालनी चाहिए तथा यदि हो सके तो 48 वर्ष की उम्र के पश्चात ही मकान बनवाना शुभ रहता है।

छठे भाव में होने पर लड़कियों के रिश्तेदारों को परेशानी पैदा करता है। अतः उम्र के 36 या 39 वर्ष के पश्चात ही मकान बनवाना शुभ रहता है।

सप्तम भाव में होने पर अशुभ परिणाम मिलते हैं। अतः लाभ हेतु पुश्तैनी या बने-बनाये मकान में ही रहना चाहिये।

अष्टम भाव में होने पर तथा राहु-केतु के अनुकूल होने पर मकान बनवाना शुभ रहता है। यदि राहु केतु मंदे हों तो अपना मकान नहीं बनवाना चाहिये अन्यथा कर्ज के साथ सम्पति हानि होती है।

नवम भाव में हो तो तीन से अधिक मकान नहीं बनाने चाहिए।

दसवें भाव का शनि मकान का काम पूरा होते ही धन हानि शुरू कर देता है। अतः ऐसे जातकों को मकान का कार्य पूरा ही नहीं होने देना चाहिये अर्थात मकान में कोई-न-कोई काम अधूरा रखना चाहिए ताकि धन हानि न हो।

एकादश भाव का शनि शुभ परिणाम दे, इसके लिए उम्र के 55 वें वर्ष के पश्चात मकान बनवाना चाहिये।

द्वादश भाव में होने पर मकान तो आसानी से बनता है, लेकिन ऐसे जातकों को यह ध्यान में रखना चाहिये कि मकान का कार्य आरंभ होने के पश्चात् कार्य को बीच में रोकना शुभ नहीं है, मकान का कार्य पूरा करके छोड़ें। इसके अलावा चार कोने वाला (वर्गाकार/आयताकार) मकान लेना/ बनवाना ही शुभ रहता है।

नोट कुंडली मे मंगल के स्वराशि उच्च राशि, चतुर्थ में होने (यहां किसी अशुभ ग्रह से युति या दृष्टि ना हो) में होने पर आथ्व अन्य ग्रहों के बलाबल अनुसार उपरोक्त फलादेश बदल भी सकते है।

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